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जनता की सुरक्षा या भाजपा की ढाल… जन सुरक्षा बिल पर उद्धव का हमला

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Jul 11, 2025    150813 views     Online Now 349
जनता की सुरक्षा या भाजपा की ढाल... जन सुरक्षा बिल पर उद्धव का हमला

उद्धव ठाकरे

महाराष्ट्र विधान परिषद ने 11 जुलाई को विवादित महाराष्ट्र विशेष जन सुरक्षा विधेयक 2024 को बहुमत से पारित कर दिया है. यह विधेयक एक दिन पहले गुरुवार को विधानसभा में पास हुआ था. विधेयक का उद्देश्य नक्सलवाद और शहरी माओवाद जैसे खतरों से निपटना बताया गया है, लेकिन विपक्ष ने इसे लोकतांत्रिक आवाजों को दबाने का हथियार करार दिया है.

शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे ने विधान परिषद में इस विधेयक पर तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि ‘सरकार की कथनी और करनी में फर्क है. इस विधेयक में नक्सलवाद या आतंकवाद का जिक्र तक नहीं है. इसमें उग्रवादी विचारधारा की बात है, खासकर लेफ्ट विचारधारा पर जोर दिया गया है. मैं राइट विंगर हूं, लेकिन धर्म मानने वाला राइट विंगर हूं. इस कानून का नाम भाजपा सुरक्षा कानून रख देना चाहिए.’

उद्धव ठाकरे की आपत्तियां

ठाकरे ने विधेयक के दुरुपयोग की आशंका जताते हुए कहा कि यह MISA और TADA जैसे कठोर कानूनों की तरह है. उन्होंने सवाल उठाया कि ‘पहलगाम में धर्म पूछकर गोली मारने वाला आतंकी किस विचारधारा का था? लेफ्ट या राइट? उसे तो अभी तक पकड़ा भी नहीं गया है. माओवादी अरुणाचल में घुस रहे हैं, उनके खिलाफ क्या किया गया है? हम मराठी अस्मिता के लिए लड़ रहे हैं. क्या इस कानून से हमें जेल में डालने की तैयारी है?’ उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि सरकार अपने बहुमत का दुरुपयोग कर रही है. ठाकरे ने कहा कि ‘मोदी जी ने सबका साथ, सबका विकास की बात की थी. लेकिन यह कानून किस विचारधारा से प्रेरित है? यह जनता की सुरक्षा के लिए है या भाजपा की?’

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क्या है जन सुरक्षा विधेयक?

महाराष्ट्र सरकार का दावा है कि यह विधेयक नक्सलवाद और शहरी माओवाद को रोकने के लिए लाया गया है. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि ‘गडचिरोली और कोकण जैसे इलाकों में वामपंथी उग्रवाद का फैलाव कानून-व्यवस्था के लिए खतरा है. शहरी नक्सलियों से निपटने के लिए यह कानून जरूरी था.’ बता दें कि इस विधेयक में गैरकानूनी गतिविधियों में शामिल लोगों के लिए दो से सात साल की जेल का प्रावधान है. हालांकि विधेयक में शहरी नक्सल और वामपंथी उग्रवाद जैसे शब्दों की अस्पष्ट परिभाषा ने विवाद को जन्म दिया है. विपक्ष का कहना है कि इन शब्दों का दुरुपयोग राजनीतिक विरोधियों, छात्र संगठनों, किसान आंदोलनों और नागरिक अधिकार समूहों को निशाना बनाने के लिए हो सकता है.

निगरानी के लिए सलाहकार बोर्ड

मुख्यमंत्री फडणवीस ने विधेयक में निगरानी के लिए एक तीन सदस्यीय सलाहकार बोर्ड के गठन का जिक्र किया. जिसमें एक मौजूदा या रिटायर्ड हाईकोर्ट जज, एक रिटायर्ड जिला जज और एक लोक अभियोजक शामिल होंगे. उन्होंने कहा कि ‘पत्रकार संगठनों से चर्चा के बाद हमने सुनिश्चित किया है कि यह कानून अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को किसी तरह से नुकसान न पहुंचाए.’

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