शरद पवार, एकनाथ शिंदे और अजित पवार.
महाराष्ट्र की 11 विधान परिषद सीटों पर 12 प्रत्याशियों के उतरने से चुनाव की स्थिति बन गई है, जिसके लिए 12 जुलाई को वोटिंग है. बीजेपी की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन से 9 और कांग्रेस नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन से 3 उम्मीदवार मैदान में हैं. एमएलसी चुनाव में 12वें कैंडिडेट के होने से क्रॉस वोटिंग का खतरा मंडराने लगा है, क्योंकि कांग्रेस और बीजेपी को छोड़कर किसी भी दल के पास अपने दम पर अपने प्रत्याशियों को जिताने का नंबर गेम नहीं है. ऐसे में देखना है कि अजित पवार से लेकर एकनाथ शिंदे और शरद पवार से लेकर उद्धव ठाकरे तक किसके खेमे में सेंध लगेगी और कौन अपने विधायकों को बचाकर रख पाता है?
विधान परिषद की 12 सीटों के लिए हो रहे चुनाव में बीजेपी ने पांच और अजित पवार और शिंदे की अगुवाई वाली एनसीपी और शिवसेना ने दो-दो कैंडिडेट उतारे हैं. बीजेपी से पंकजा मुंडे, डॉ.परिणय फुके, अमित बोरखे, योगेश टिलेकर और सदाभाऊ खोत मैदान में हैं. शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने पूर्व सांसद भावना गवली और कृपाल तुमाने को प्रत्याशी बनाया है तो अजित पवार की एनसीपी से शिवाजीराव गर्जे और राजेश विटेकर मैदान में हैं.
इंडिया गठबंधन की तरफ से तीन प्रत्याशी मैदान में हैं. इसमें कांग्रेस से प्रज्ञा सातव, उद्धव ठाकरे की शिवसेना यूबीटी से मिलिंद नार्वेकर और शरद पवार की एनसीपी ने जयंत पाटिल का समर्थन कर रखा है. एक एमएलसी सीट जीतने के लिए प्रथम वरीयता के आधार पर 23 विधायकों के वोटों के समर्थन की जरूरत होगी. इन चुनावों में क्रॉस वोटिंग की आशंकाओं के बीच सभी दलों ने अपने विधायकों की बाड़ेबंदी शुरू कर दी है.
क्या है एमएलसी चुनाव का नंबर गेम
महाराष्ट्र की विधानसभा में कुल 288 सदस्य हैं लेकिन मौजूदा समय में 274 विधायक हैं. इस लिहाज से एक एमएलसी सीट जीतने के लिए प्रथम वरीयता के आधार पर कम से कम 23 विधायकों का समर्थन चाहिए. बीजेपी के 103 विधायक हैं तो उसके सहयोगी अजित पवार की एनसीपी के पास 40 विधायक और शिंदे की शिवसेना के 38 विधायक हैं. इसके अलावा एनडीए के अन्य सहयोगी दलों और निर्दलीय विधायकों को मिलाकर एनडीए के पास 203 विधायकों का समर्थन है. इस आधार पर सत्ताधारी दल अगर चार विधायकों का और समर्थन जुटा लेता है तो उसके सभी 9 एमएलसी प्रत्याशियों की जीत हो जाएगी, लेकिन उसके लिए अन्य छोटे दल हैं, उन्हें साधकर रखना होगा.
इंडिया गठबंधन के पास 71 विधायकों का ही समर्थन है. इसमें कांग्रेस के 37 विधायक हैं. इसके अलावा उद्धव ठाकरे की शिवसेना के 16 विधायक हैं. शरद पवार की एनसीपी के 12 विधायक हैं. सपा के 2, सीपीआई (एम) के दो और 3 अतिरिक्त विधायकों का समर्थन है. इंडिया गठबंधन के विधायकों की संख्या के आधार पर तीनों सीटें जीत सकती है लेकिन उसके लिए अन्य दलों के विधायकों को जोड़कर रखना होगा और कांग्रेस विधायकों के विश्वास को भी बनाए रखना होगा.
अजित अपने विधायकों को साधने में जुटे
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने अपने तमाम नेताओं और विधायकों के साथ सिद्धिविनायक के दर्शन किए, जीत की हुंकार भरी. बप्पा के दर्शन करने के बाद अजित ने लिखा था कि लोक कल्याण के लिए श्री गणेश, लोगों के विकास का जुनून. उन्होंने कहा कि किसी भी कार्य की शुरुआत गणेश जी की पूजा से होती है. आज सिद्धिविनायक के दर्शन से नई ऊर्जा मिली है. आने वाले समय में इसी ऊर्जा से जनता का प्यार, विश्वास और आशीर्वाद हासिल करेंगे. अजित पवार ने नेताओं के साथ विक्ट्री साइन बनाकर फोटो भी खिंचवाए थे. इसे एमएलसी चुनाव से पहले शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है.
शरद पवार के खेमे से दावा किया गया था कि अजित पवार के साथ गए 19 विधायक लौटना चाहते हैं. यह दावा 2024 के लोकसभा चुनाव नतीजे के बाद ही किया जा रहा है. इसके चलते माना जा रहा है कि अजित पवार अपने विधायकों को क्रॉस वोटिंग से बचाए रखने के लिए एक सुरक्षित स्थान पर उनके ठहरने का इंतजाम कर सकते हैं. विधायकों के आधार पर एनडीए को अपने 9 एमएलसी जिताने के लिए 4 विधायकों को समर्थन जुटाना होगा, जिसे लेकर शरद पवार और उद्धव ठाकरे ही नहीं कांग्रेस विधायकों पर भी क्रॉस वोटिंग का खतरा बना हुआ है.
विधायकों की संख्या के आधार पर कांग्रेस की एक सीट पर जीत तय मानी जा रही है लेकिन असल चुनौती उद्धव ठाकरे और शरद पवार के प्रत्याशी की है. उद्धव और शरद ने अपने-अपने करीबी नेताओं को चुनाव में उतार रखा है. अपने विधायकों के आधार पर न उद्वव ठाकरे के करीबी की जीत नजर आ रही है और न ही शरद पवार के सिपहसालार की. इस तरह दोनों दलों की जीत का आधार कांग्रेस पर टिका है. इंडिया गठबंधन में सबसे बड़े दल के तौर पर कांग्रेस है.
14 अतरिक्त विधायक तय करेंगे हार-जीत
कांग्रेस के मौजूदा विधायकों की संख्या के आधार पर प्रज्ञा सातव की जीत तय मानी जा रही है. कांग्रेस के 23 विधायकों के प्रज्ञा सातव के वोट मिलने के बाद 14 वोट अतरिक्त बचेंगे. शरद पवार के पास 12 विधायकों का फिलहाल समर्थन है, जिसके चलते उन्हें अपने प्रत्याशी को जिताने के लिए 11 अतिरिक्त वोटों की जरूरत होगी, क्योंकि 23 वोट चाहिए. इसी तरह उद्धव ठाकरे की शिवसेना के पास 16 विधायक हैं. इस लिहाज से शिवसेना प्रत्याशी मिलिंद नार्वेकर को पार्टी के 16 विधायक के बाद 7 अतरिक्त विधायकों के वोट की जरूरत है.
शरद पवार के जयंत पाटिल और उद्धव ठाकरे के मिलिंद नार्वेकर दोनों की जीत का दारोमदार कांग्रेस के ऊपर टिका हुआ है. कांग्रेस के 14 अतरिक्त विधायकों के वोट जिसके पक्ष में जाएंगे, उसकी जीत होगी. नार्वेकर को अगर अपनी जीत सुनिश्चित करनी है तो 8 वोट जुटाने होंगे जबकि शरद पवार के जयंत पाटिल को अपनी जीत के लिए 11 वोट चाहिए. ऐसे में देखना है कि कांग्रेस के अतिरिक्त वोट शरद पवार के उम्मीदवार को मिलते हैं या उद्धव ठाकरे को मिलते हैं.
एनडीए बनाम इंडिया गठबंधन की जंग
महाराष्ट्र विधान परिषद चुनाव में अगर एनडीए बनाम इंडिया की लड़ाई होती है तो फिर मुकाबला रोचक होगा. एनडीए को निर्दलीय विधायकों के समर्थन के बाद भी 4 वोट की जरूरत है जबकि इंडिया गठबंधन अगर एकजुट रहता है और कांग्रेस के अतरिक्त वोट का बंटवारा सही तरीके से हुआ तो फिर तीनों सीटें उसके खाते में जा सकती है. हालांकि, इंडिया गठबंधन को कांग्रेस, उद्धव ठाकरे और शरद पवार खेमे के विधायकों के साथ-साथ सपा और ओवैसी के दो-दो विधायक का भी समर्थन जुटाए रखना होगा.
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से ही महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में ऐसी चर्चा है कि शरद पवार और उद्धव ठाकरे के संपर्क में एकनाथ शिंदे और अजित पवार की पार्टियों के विधायक हैं. 2022 विधान परिषद के चुनाव में क्रॉस वोटिंग हुई थी, जिसके कारण महाविकास आघाडी को झटका लगा था. इसके चलते इंडिया गठबंधन को अपने समर्थक विधायकों का विश्वास बनाए रखना होगा, लेकिन एक बात साफ है कि जोड़तोड़ की सियासत तेज होगी. ऐसे में क्रॉस वोटिंग का खतरा सभी राजनीतिक दलों पर मंडरा रहा है. ऐसे में देखना है कि किसके विधायक एकजुट रहते हैं और किसके खेमे में सेंधमारी होती है?
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