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दुर्गा जी का तीसरा शक्तिरूप है मां चंद्रघण्टा, पूजन से समस्त पाप और बाधाए होती है विनश … – Achchhi Khabar, हिंदी न्यूज़, Hindi Samachar

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Mar 24, 2023    150824 views     Online Now 136

मां दुर्गा जी के तीसरे शक्तिरूप का नाम ‘‘चंद्रघण्टा’’ है. नवरात्रि उपासना में तीसरे तीन परम शक्तिदायक और कल्याणकारी स्वरूप की आराधना की जाती है. इनके मस्तक में घण्टे के आकार का अर्धचंद्र है, इस कारण माता के इस रूप का नाम चंद्रघण्टा पड़ा. इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला है. इनके दस हाथ हैं तथा सभी हाथों में खड्ग आदि शस्त्र तथा बाण आदि अस्त्र विभूषित है.

इनका वाहन सिंह है. इनकी मुद्रा यु़द्ध के लिए उद्यत रहने की होती है. इनके घण्टे की सी भयानक चण्डध्वनि से अत्याचारी दानव-दैत्य-राक्षस सदैव प्रकम्पित रहते हैं. नवरात्र के तीसरे दिन माता के इस रूप की पूजा होती है, जिसमें साधक का मन ‘मणिपूर’ चक्र में प्रविष्ट होता है. मां चंद्राघण्टा के पूजन से समस्त पाप और बाधाए विनष्ट होती है. इनका वाहन सिंह है अतः इनकी उपासना से सिंह की तरह पराक्रमी और निर्भयता प्राप्त होती है.

घण्टे की ध्वनि से प्रेत-बाधादि से रक्षा होती है. इनकी आराधन से होने वाला एक बहुत बड़ा सद्गुण यह भी है कि वीरता-निर्भयता के साथ सौम्यता एवं विनम्रता का भी विकास होता है. इनके मुख, नेत्र तथा संपूर्ण काया में कांति गुण की वृद्धि तथा स्वर में दिव्य, अलौकिक माधुर्य होने से साधक हो शांति और सुख का अहसास होता है. माता के इस रूप की साधना करने से समस्त सांसारिक कष्टों से विमुक्त हेाकर सहज ही परमपद प्राप्त होता है.

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