
लैब में स्पर्म और एग बनाने का काम चल रहा है.
फर्टिलिटी यानी प्रजनन क्षमता घट रही है, दुनिया के कई देश ऐसे हैं जो इस समस्या से जूझ रहे हैं. वैज्ञानिक इस प्रॉब्लम का सॉल्यूशन ढूंढने लगे हैं. ऐसा ही एक रिसर्च चल रही है ओसाका यूनिवर्सिटी में, यहां के वैज्ञानिक प्रो.कात्सुहिको हायाशी ने दावा किया है कि जल्द ही लैब में स्पर्म (शुक्राणु) और एग (अंडाणु) बनने लगेंगे. अगले 7 साल में यह तकनीक पूरी तरह से विकसित कर ली जाएगी. इस तकनीक को इन-विट्रो गैमेटोजेनेसिस कहते हैं. हायाशी के मुताबिक उन करोड़ों कपल्स के लिए उम्मीद की किरण की तरह है जो इनफर्टिलिटी से जूझ रहे हैं.
प्रो. हायाशी के मुताबिक वह और उनकी टीम इस तकनीक पर तेजी से काम कर रही है. वह कहते हैं कि जल्द ही ऐसी यौन कोशिका विकिसित की जाएगी जो सामान्य प्रजनन प्रक्रिया में प्रयोग की जा सके.इससे फर्टिलिटी की समस्या से जूझ रहे कपल्स तो माता-पिता बन ही सकेंगे, बल्कि समलैंगिक जोड़ों, कैंसर पीड़ितों और उम्र दराज दंपतियों को भी लाभ मिलेगा.
प्रो. हायाशी के हवाले से द गार्जियन में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक लैब में स्पर्म और एग विकसित करने की रेस में कैलिफॉर्निया की स्टार्टअप कंपनी Conception Biosciences भी आगे हैं. इसके CEO के मुताबिक लैब में स्पर्म पैदा करने से जनसंख्या में आ रही गिरावट को रोका जा सकता है. इस स्टार्टअप को ओपनएआई के संस्थापक सैम ऑल्टमैन समेत कई दिग्गजों का समर्थन प्राप्त है.
त्वचा व रक्त कोशिकाओं से बनेंगी यौन कोशिका
रिसर्च के मुताबिक सब कुछ ठीक रहा तो जल्द ही किसी भी व्यक्ति त्वचा व रक्त कोशिकाओं से संतान को जल्द देना संभव होगा. भले ही वह व्यक्ति जैविक तौर पर कभी माता-पिता न बन सकता हो. गार्जियन से बात करते हुए ओसाना विवि के प्रोफेसर कात्सुहिको हायाशी ने कहा कि इस रिसर्च में तेजी से प्रगति हो रही है. इसी सप्ताह पेरिस में यूरोपियन सोसाइटी ऑफ ह्यूमन रिप्रोडक्शन एंड एम्ब्रियोलॉजी की वार्षिक बैठक में उन्होंने कहा था कि मुझे थोड़ा दबाव महसूस होता है, ऐसा लगता है कि मैं किसी दौड़ में भाग ले रहा हूं, लेकिन मैं वैज्ञानिक मूल्य की भावना बनाए रखने की कोशिश करता हूं.
चूहों पर सफल रहा है प्रयोग
प्रो. हायाशी ने बताया कि यह एक बहुत बड़ी रिसर्च होगी, चूहों पर प्रयोग सफल रहा है, हमने एक ऐसा चूहा बनाया है, जिसके दो पिता हैं, यानी यह तकनीक समलैंगिक जोड़ों के लिए भी वरदान हो सकती है. वह बताते हैं कि हमें सप्ताह में कम से कम एक ईमेल ऐसा आता है, जिसमें इनफर्टिलिटी के मरीज अपनी परेशानी बताते हैं. इसलिए मैं इस समस्या को समझता हूं, स्टार्टअप कंपनी कॉन्सेप्शन के सीईओ मैट क्रिसिलॉफ ने गार्जियन को बताया कि प्रयोगशाला में विकसित एग सब कुछ बदल देंगे. यह महिलाओं को अधिक उम्र में बच्चे पैदा करने की अनुमति देगा.
लैब में ऐसे बनेगा स्पर्म
ईएसएचआरई सम्मेलन में प्रो. हायाशी ने बताया कि अब तक हमें चूहों के स्पर्म को बनाने और मानव अंडकोष विकसित करने में सफलता मिल गई है.अब हम पूरी तरह IVG पर काम कर रहे हैं. इसमें किसी व्यक्ति की स्किन या रक्त कोशिकाओं से स्टेम कोशिकाएं बनाई जाती हैं, फिर इन्हें जर्म कोशिकाओं में बदल दिया जाता है. ये एग और स्पर्म की शुरुआत की तरह होते हैं. इन्हें लैब में बनाई गई स्टेम कोशिकाओं में रखा जाता है. यही जर्म कोशिकाओं से एग या स्पर्म बना सकते हैं. चूहों में ये प्रयोग भी सफल हो चुका है.
अभी लगेंगे सात साल
प्रो. हायाशी ने कहा कि लैब में स्पर्म को विकसित करने में अभी सात लग सकते हैं, इसें महिलाओं की कोशिश से स्पर्म विकसित करने में चुनौती महसूस हो रही है. हालांकि उन्होंने इसे असंभव नहीं कहा. अन्य विशेषज्ञ भी हायाशी की समय सीमा से सहमत हैं. एडिनबर्ग विवि में कैंसर से पीड़ित बच्चों में पुरुष प्रजनन क्षमता के संरक्षण के लिए शोध कर रहे प्रोफेसर रॉड मिशेल ने कहा कि विज्ञान तेजी से बढ़ रहा है, हमें उम्मीद है कि हम पांच या दस साल के समय में अंडाशय और अंडकोश में लैब में बने स्पर्म और एग देख पाएंगे.
हमें साबित करना होगा कि तकनीक सुरक्षित है
मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के एंड्रोलॉजी के प्रोफेसर और उप-उपाध्यक्ष प्रोफेसर एलन पेसी ने प्रो. हायाशी की बात पर सहमति जताई. उन्होंने कहा कि कई प्रयोगशाल में उगाए गए अंडो से शिशु चूहे पैदा किए गए हैं. हालांकि मानव एग बनाना चुनौतीपूर्ण है, लेकिन हाल ही में इस बारे में लोगों की ज्यादा समझ विकसित हुई है कि आखिर निष्क्रिय अवस्था में मानव अंडे कैसे रहते हैं. ज्यादातर लोगों का मानना हे कि अभी इस तकनीक में कई वर्ष लग सकते हैं. हालांकि अच्छी बात ये है कि प्रयोगशाला में बने चूहों का जीवनकाल अच्छा रहा है और उन्होंने भी सामान्य चूहों की तरह बच्चे पैदा किए हैं. प्रो. हायाशी ने कहा कि हमारी जिम्मेदारी ये भी है कि हम इस बात को साबित करें कि ये तकनीक सुरक्षित है. उन्होंने कहा कि बेशक मैंने दो पिताओं से एक चूहा बनाया, मगर यह प्राकृतिक नहीं है. अगर विज्ञान ऐसे रिजल्ट लाए जो प्राकृतिक नहीं हैं, तो हमें सावधान रहना होगा.
[ Achchhikhar.in Join Whatsapp Channal –
https://www.whatsapp.com/channel/0029VaB80fC8Pgs8CkpRmN3X
Join Telegram – https://t.me/smartrservices
Join Algo Trading – https://smart-algo.in/login
Join Stock Market Trading – https://onstock.in/login
Join Social marketing campaigns – https://www.startmarket.in/login