फीचर स्टोरी। ये मेहनतकश और सरकार की सफल योजनाओं की तस्वीर है, जो खुशहाली की कहानी बयां कर रही है. ये हाथों में जाल और जाल में मंछलियां कोसगाई दाई मछुआ सहकारी समिति के सदस्यों की तकदीर बदल रही हैं. यूं कहें कि सरकार की योजनाओं से जुड़कर खुद की किस्मत को उकेर रही हैं. भूपेश सरकार की ये योजनाएं गांव-गांव खुशहाली, उन्नति और मछली पालकों के चेहरे पर मुस्कान बिखेर रही हैं. मछली पालकों की आमदनी में इजाफा को रफ्तार मिल रही है.
छत्तीसगढ़ शासन द्वारा संचालित योजनाओं से लाभ उठाकर मछली पालन का कार्य करने वाले मछुआ सहकारी समिति के सदस्य आर्थिक संपन्नता की ओर बढ़ रहे हैं. स्वयं आत्मनिर्भर हो रहे हैं और अन्य लोगों को भी इस कार्य से रोजगार उपलब्ध करा रहे हैं. जिले के कटघोरा विकासखण्ड के ग्राम छुरीकला के कोसगाई दाई मछुआ सहकारी समिति विभागीय योजनाओं से जुड़कर मछली पालन का कार्य कर रहे हैं.
समिति के सदस्य मछली पालन को अपने आय का प्रमुख जरिया बनाया है. समिति के सदस्यों ने सफलता प्राप्त की ही नहीं, बल्कि अब वे अपने इस काम को नई ऊंचाईयां दे रही है. समिति के सदस्यों द्वारा कृषि कार्य के साथ-साथ मछली पालन का व्ययसाय भी किया जा रहा है.
उन्हें मछली पालन विभाग द्वारा आवश्यक प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन देकर मछली पालन के लिए प्रेरित किया गया, जिससे समिति के सदस्य इस कार्य में संलग्न होकर छुरी के भेलवाडबरा सिंचाई जलाशय को पट्टे पर लेकर मत्स्य पालन का कार्य प्रारंभ किया. समिति द्वारा जलाशय में रोहू, कतला, मिरगल, ग्रासकार्प जैसे अन्य मछली बीज का संचयन किया गया है.
दाई महुआ सहकारी समिति के अध्यक्ष आत्माराम केंवट ने बताया कि मत्स्य पालन कार्य से जुड़कर समिति के सदस्यों की आर्थिक स्थिति में सुधार हो रहा है, इससे उन्हें आमदनी का अतिरिक्त साधन प्राप्त हुआ है. उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा उन्हें योजना के तहत 3 लाख का अनुदान एवं सहायक सामग्री के रूप में मत्स्य बीज अंगुलिका, चटजाल, आईस बॉक्स इत्यादि सामग्री भी उपलब्ध कराया गया है.
साथ ही उन्हें समय-समय पर आवश्यक प्रशिक्षण भी प्रदान किया गया. समिति के सदस्य मत्स्य बीज एवं जाल पाकर काफी उत्साहित हुए और मत्स्य पालन के प्रति रूचि लेने लगे, जिसका सकारात्मक परिणाम अब देखने को मिल रहा है. समिति द्वारा अपने दैनिक कामकाज करने के साथ-साथ मत्स्य पालन का कार्य भी जिम्मेदारी पूर्वक कर रहे हैं.
उनके द्वारा जलाशय की आवश्यक साफ-सफाई, मछलियों की देख-रेख, उन्हें मत्स्य आहार देने के साथ ही नियमित रूप से जलाशय की रख-रखाव का कार्य भी किया जा रहा है. आत्माराम ने बताया कि योजना से जुड़कर अब तक 3000 किलोग्राम से अधिक का मत्स्य उत्पादन किया है जिसके विक्रय से उन्हें 3 लाख से अधिक की आमदनी हुई है.
कोसगाई दाई मछुआ सहकारी समिति के सभी सदस्यों ने नियमित रूप से मछली पालन से जोड़कर रोजगार दिलाने एवं आर्थिक रूप से सशक्त बनाने हेतु जिला प्रशासन एवं छत्तीसगढ़ सरकार को धन्यवाद ज्ञापित किया है.
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