चंडीगढ़ की सोनम गर्ग ऑस्ट्रेलियाई टीम की कप्तान हैं.Image Credit source: PTI
अभी तक क्रिकेट में ही ऐसा देखने को मिलता रहा है कि दूसरे देशों की टीमों में भी भारतीय मूल के कई खिलाड़ी खेलते हुए दिखते हैं. अब दूसरे खेलों में भी ऐसा होता दिख रहा है, जिसमें फिलहाल भारत में खेला जा रहा खो-खो वर्ल्ड कप चर्चा में है. हाल ही में शुरू हुए पहले खो-खो वर्ल्ड कप में भारत समेत दुनियाभर के कई देश अपना दम दिखा रहे हैं. जाहिर तौर पर भारतीय फैंस तो टीम इंडिया के खिलाड़ियों को ही सपोर्ट कर रहे हैं लेकिन विदेशी खिलाड़ियों के बीच भी एक भारतीय है, जो ऑस्ट्रेलियाई महिला टीम की कप्तानी कर रही है. नाम है- सोनम गर्ग.
चंडीगढ़ में सीखा, फिर मेलबर्न में अपनाया
नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में 13 जनवरी से इस वर्ल्ड कप की शुरुआत हुई थी और 19 जनवरी को इसका समापन होगा. ये वर्ल्ड कप खो-खो के हर खिलाड़ी के लिए खास है क्योंकि उनके खेल को विश्व स्तर पर खास पहचान मिल रही है. मगर सोनम गर्ग के लिए ये और भी खास है क्योंकि वो ये वर्ल्ड कप उस देश में खेल रही हैं, जहां उनका जन्म हुआ और पढ़ाई के साथ ही खो-खो की शुरुआती समझ मिली. ऑस्ट्रेलियाई टीम की कप्तान सोनम ने चंडीगढ में अपने स्कूली दिनों में पहली बार इस खेल में हाथ आजमाया था और अब एक बच्चे की मां बनने के बाद वो दूसरे देश की कप्तान के रूप में वर्ल्ड कप खेल रही हैं.
न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए एक इंटरव्यू में सोनम ने बताया कि ये वर्ल्ड कप कई कारणों से ही उनके लिए खास है और उसमें से एक बच्चे के जन्म के बाद इसमें हिस्सा लेना है. सोनम ने कहा, “मैं चंडीगढ में पली बढी और शादी के बाद करीब दस साल पहले मेलबर्न में जाकर बस गई. मैं करीब 20-22 साल पहले भारत में स्कूल के दिनों में खूब खो-खो खेलती थी. फिर मैंने वर्ल्ड कप के बारे में सुना तो काफी उत्साहित थी क्योंकि मेरी यादें ताजा हो गईं. मैंने अधिकारियों से बात की और ऑस्ट्रेलियाई टीम में जगह बनाई, जिसके बाद मुझे कप्तान बनाया गया.
क्रिकेट फैन बेटे को भी हुआ खो खो से प्यार
किसी भी शादीशुदा महिला एथलीट की तरह सोनम के लिए भी ये आसान नहीं रहा है. उनका बेटा 9 साल का है और उसे संभालने के साथ ही परिवार का ध्यान रखना, नौकरी भी करना और फिर साथ-साथ इस खेल के शौक को भी पूरा करना चुनौतीपूर्ण रहा. ऑस्ट्रेलियाई कप्तान ने बताया, “मेरा 9 साल का बेटा है और काम, परिवार, शौक के बीच संतुलन बनाना आसान नहीं था. फिर भी परिवार ने खूब साथ दिया. मैं अक्सर बेटे को भी ग्राउंड में ले जाती थी क्योंकि घर पर उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं होता था. वो मैदान पर बैठकर ही किताबें पढता और कई बार हमारे साथ दौड़ता भी था.
फाइनेंस की दुनिया में काम करने वाली सोनम ने इस खेल में अपने शौक को पूरा करने के लिए कुछ दिनों की छुट्टी ली है ताकि वर्ल्ड कप का हिस्सा बन सकें. वैसे सोनम के घर में खो-खो को लेकर ज्यादा इंटरेस्ट नहीं है, खास तौर पर उनका बेटा तो पूरी तरह से इंडियन क्रिकेट टीम का फैन है लेकिन मां को देखते हुए वो भी खो-खो को समझने और पसंद करने लगा है. यहां तक कि सोनम की टीम के पहला मैच हारने के बाद तो उनका बेटा भी रोता रहा.
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