
इटावा की घटना
काशी विद्वत्परिषद ने इटावा की घटना की कड़ी निंदा की है. इस घटना को लेकर पद्मभूषण प्रोफेसर वशिष्ठ त्रिपाठी (अध्यक्ष काशी विद्वत्परिषद) की अध्यक्षता में एक बैठक हुई. इसमें सर्वसम्मति से ये कहा गया कि इटावा की जो घटना कथा वाचक के साथ हुई है, वह सर्वथा प्रथमदृष्ट्या निंदनीय है. किसी भी व्यक्ति को कानून हाथ में लेने का अधिकार नहीं है.
काशी विद्वत्परिषद के महामंत्री प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि हमारी सनातन परंपरा में पहले भी तमाम ब्राह्मणेतर लोग हुए हैं, जिनकी गणना ऋषि तुल्य की गई है. चाहे वह महर्षि वाल्मीकि हों, चाहे वेदव्यास हों, चाहे रविदास हों, चाहे रैदास हों. सभी लोगों को सनातन परंपरा में सम्मान और आदर प्राप्त हुआ है और भागवत की चर्चा या भगवान की चर्चा करने का सभी हिंदुओं को अधिकार है.
किसी को भी इस तरह से रोका नहीं जा सकता
उन्होंने कहा कि किसी को भी इस तरह से रोका नहीं जा सकता. दुख इस बात का भी है कि कुछ तथाकथित व्यास लोगों ने व्यास पीठ को हिंदू होते हुए भी समय-समय पर कलंकित करने का कार्य किया है, जिससे व्यास पीठ बदनाम हुई है. किसी भी व्यास को वंचना करने का अधिकार नहीं है क्योंकि हम किसी भक्त के घर में व्यास पीठ पर जब बैठते हैं तो विश्वास घात नहीं कर सकते क्योंकि विश्वास ही श्रद्धा और भक्ति का कारण है. इस विषय पर हम हिंदुओं को आपस में विचार करना चाहिए और हमें अपनी पहचान को छिपाना नहीं चाहिए.
समाज को बांटने का कार्य नहीं होना चाहिए
प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी ने कहा कि हमारे सनातन धर्म में सभी को समान आदर प्राप्त है, अगर हम व्यास पीठ पर हैं और भगवान की कथा कर रहे हैं तो हमें असत्य से बचना चाहिए परंतु जिस तरह से कानून का उल्लंघन किया गया है अगर यह सत्य है तो प्रशासन उसमें संवैधानिक तरीके से कार्यवाही करे और निष्पक्ष जांच करे. जो लोग भी दोषी हों उन पर कार्यवाही हो. समाज को बांटने का कार्य नहीं होना चाहिए. हमारे सनातन हिंदू समाज में यदुवंशियों को अत्यंत ही सम्मानजनक स्थान प्राप्त है. कुछ लोग राजनैतिक लाभ के लिए हिंदुओं को आपस में लड़वाने की कोशिश कर रहे हैं. यह हिंदुओं को आपस में समझना चाहिए, जिससे इस प्रकार की गलती दोबारा न दोहराई जाए.
हिन्दू समाज में अभद्र व्यवहार करने की परंपरा नहीं
उन्होंने आगे कहा कि हिन्दू समाज में किसी को अपमानित करने की तथा अभद्र व्यवहार करने की परंपरा नहीं है और किसी की जाति विशेष का सामूहिक गाली गलौज नहीं होना चाहिए. अगर किसी एक व्यक्ति ने जिस किसी रूप में कोई गलती की है तो संविधान के दायरे में भारत के संविधान पर विश्वास रखते हुए विधि सम्मत कार्यवाही पर विश्वास रखना चाहिए.
हम काशी विद्वत्परिषद की ओर से इस कृत्य की निंदा करते हैं और हिन्दू सनातन धर्मावलंबियों से आग्रह करते हैं कि आपस में ऊंच-नीच जातिभेद से ऊपर उठकर सद्भावना तथा समरसतापूर्ण वातावरण में आध्यात्मिक एवं राष्ट्रीय चेतना का विकास करे, जिससे हमारा राष्ट्र विश्व गुरु के पद पर सुशोभित हो, हमारे शाब्नों में आपस में घृणा, द्वेष, ईर्ष्या, भेदभाव करने का स्थान नहीं है.
इस बैठक में प्रोफेसर रामकिशोर त्रिपाठी, प्रोफेसर रमाकांत पाण्डेय, प्रोफेसर विनय कुमार पाण्डेय, प्रोफेसर हर प्रसाद दीक्षित, डॉक्टर दिव्या चैतन्य ब्रह्मचारी, प्रोफेसर विवेक कुमार पाण्डेय इत्यादि विद्वान सम्मिलित रहे.
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