
RSS के नेता दत्तात्रेय होसबाले
सरकार्यवाह
इंडियन यूथ कांग्रेस (IYC) की लीगल सेल ने रविवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले के खिलाफ संविधान की प्रस्तावना में “समाजवादी” और “धर्मनिरपेक्ष” शब्दों को शामिल करने पर पुनर्विचार करने का आह्वान करने को लेकर औपचारिक शिकायत दर्ज कराई. इस बीच कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने संविधान की प्रस्तावना की समीक्षा का आह्वान करने के लिए होसबाले की आलोचना की.
लीगल सेल के चेयरमैन श्रीधर, सह-अध्यक्ष समृद्ध हेगड़े और अन्य पदाधिकारियों तथा एडवोकेट्स की ओर से शेषाद्रिपुरम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई गई. इस शिकायत में खासतौर से 26 जून को आपातकाल की याद में एक सार्वजनिक सभा के दौरान होसबोले की टिप्पणियों का जिक्र किया गया है, जहां उन्होंने प्रस्तावना से शब्दों पर पुनर्विचार करने और उन्हें हटाने का आह्वान किया था.
इसे गंभीरता से लिया जाएः इंडियन यूथ कांग्रेस
श्रीधर ने अपनी शिकायत के साथ अटैच एक पत्र में कहा, “26 जून 2025 को आपातकाल की बरसी में आयोजित एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए, होसबोले ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि संविधान की प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्दों पर पुनर्विचार किया जाना चाहिए और उन्हें हटा दिया जाना चाहिए. एक संगठन के उच्च पदस्थ विचारक की ओर से राजनीतिक रूप से अहम और संवेदनशील कार्यक्रम में की गई ये टिप्पणियां, महज वैचारिक टिप्पणी नहीं हैं.”
उन्होंने आगे कहा, “संवैधानिक मूल्यों को सार्वजनिक रूप से खत्म करने की ऐसी किसी भी कोशिश को अत्यंत गंभीरता और तत्परता के साथ लिया जाना चाहिए. साथ ही एक स्पष्ट संदेश भी दिया जाना चाहिए कि कोई भी संविधान से ऊपर नहीं है. असंवैधानिक साधनों या संवैधानिक सिद्धांतों को खत्म करने की किसी भी सार्वजनिक वकालत को कानून की उचित प्रक्रिया का सामना करना पड़ेगा.”
मनुस्मृति में विश्वास करता है RSS: CM सिद्धारमैया
इससे पहले आज, सीपीआई (एम) के राज्यसभा सांसद संदोष कुमार ने आरएसएस के सरसंघचालक मोहन भागवत को एक पत्र लिखा, जिसमें उनसे होसबोले के आह्वान के बाद संविधान के आधारभूत मूल्यों के रूप में धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद की अहम भूमिका को मान्यता देने का अनुरोध किया. अपने पत्र के जरिए संदोष कुमार ने संघ के एक वरिष्ठ पदाधिकारी की ओर से दिए गए बयानों की आलोचना की, जिसमें इन सिद्धांतों पर सवाल उठाए गए और तर्क दिया गया कि ये भारत के बहुलवादी और न्यायपूर्ण समाज के लिए जरूरी है.
दूसरी ओर, सीएम सिद्धारमैया ने संविधान में संशोधन के होसबाले के आह्वान से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए कहा, “आरएसएस मनुस्मृति में विश्वास करता है. उनका संविधान के प्रति कोई सम्मान नहीं है और वह लोकतंत्र में कोई आस्था नहीं रखती है.” उन्होंने आगे कहा कि उनकी मानसिकता संविधान बदलने और देश में मनुस्मृति थोपने की है. इसके अलावा वे और क्या कह सकते हैं.
होसबोले ने संविधान को लेकर क्या कहा था
इससे पहले 26 जून को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में संघ के महासचिव होसबोले ने संविधान की प्रस्तावना में “समाजवादी” और “धर्मनिरपेक्ष” शब्दों को शामिल करने पर पुनर्विचार करने का सुझाव दिया था.
तब होसबाले ने कहा था, “बाबासाहेब आंबेडकर ने जो संविधान बनाया था, उसकी प्रस्तावना में ये दोनों शब्द नहीं थे. आपातकाल के दौरान जब मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए, और संसद तक काम नहीं कर रही थी, तभी ये शब्द जोड़े गए थे. इसलिए उन्हें प्रस्तावना में रहना चाहिए या नहीं, इस पर विचार किया जाना चाहिए.”
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