
समीक्षा बैठक में बातचीत करते कानपुर डीएम और सीएमओ.
डॉ. हरिदत्त नेमी एक बार फिर कानपुर के CMO बन गए हैं. उन्होंने ऑफिस में कामकाज भी करना शुरू कर दिया है. शुक्रवार को एक समीक्षा बैठक में DM जितेंद्र प्रताप सिंह से उनका आमना-सामना हुआ. इस दौरान दोनों ने एक-दूसरे से बातचीत भी की. बैठक में DM जितेंद्र प्रताप सिंह ने डॉ. हरिदत्त नेमी को जिले में चिकित्सा सुविधा को लेकर कई दिशा-निर्देश दिए और उनका पालन कराने को कहा, जिस पर डॉ. हरिदत्त नेमी ने कहा कि दिशा-निर्देश को जल्द ही अमल में लाया जाएगा.
बता दें कि DM जितेंद्र प्रताप सिंह से विवाद के बाद निलंबित हुए CMO डॉ. हरिदत्त नेमी ने उन पर तमाम तरह के जातिगत, भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे. हालांकि हाई कोर्ट से निलंबन रद्द कर कर लौटे डॉ. हरिदत्त नेमी ने बाद में विवादों का मौन साधते हुए नो कमेंट मीडिया को बोला था. शुक्रवार को DM जितेन्द्र प्रताप सिंह की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट स्थित नवीन सभागार में गर्भधारण एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (लिंग चयन प्रतिषेध) अधिनियम, 1994 के अंतर्गत समुचित प्राधिकारी पीसीपीएनडीटी, कानपुर नगर की बैठक सम्पन्न हुई.
बैठक में अधिनियम के अंतर्गत नामित सभी सदस्यों की उपस्थिति रही. DM जितेंद्र प्रताप सिंह ने CMO डॉ. हरिदत्त नेमी को निर्देशित किया कि विगत तीन वर्षों में पीसीपीएनडीटी अधिनियम के अंतर्गत नियमों के उल्लंघन के मामलों में कितने चिकित्सा संस्थानों के विरुद्ध कार्रवाई की गई है, इसकी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए. बैठक में पंजीकरण, नवीनीकरण, स्थल परिवर्तन, चिकित्सक एवं मशीन जोड़े जाने से संबंधित प्राप्त प्रार्थना पत्रों का जिलाधिकारी द्वारा अवलोकन किया गया. नामित मजिस्ट्रेट और संबंधित चिकित्सकों की संयुक्त निरीक्षण रिपोर्ट के आधार पर प्रकरणवार विचार-विमर्श करते हुए विभिन्न आवेदनों में संस्तुति प्रदान की गई. वहीं कुछ प्रकरणों में नोटिस निर्गत किए जाने की कार्रवाई की गई.
समीक्षा बैठक में नवीन पंजीकरण के कुल 12 आवेदन प्रस्तुत किए गए, जिनमें से 8 को संस्तुति प्रदान की गई. नवीनीकरण के लिए प्राप्त 14 आवेदनों में से 11 को स्वीकृति दी गई और 3 पर नोटिस जारी किए गए. स्थल परिवर्तन के 2 आवेदनों में से एक को संस्तुत किया गया. चिकित्सक जोड़े जाने हेतु प्राप्त 2 आवेदनों को अनुमोदन प्रदान किया गया, जबकि मशीन जोड़े जाने के 6 में से सभी 6 आवेदनों को स्वीकृति दी गई. उन्होंने यह भी निर्देशित किया कि अधिनियम के अंतर्गत लाइसेंस प्राप्त प्रत्येक केंद्र में उन चिकित्सकों की सूची अनिवार्य रूप से प्रदर्शित की जाए, जिनके नाम पर लाइसेंस निर्गत किया गया है. यह सुनिश्चित किया जाए कि पंजीकृत मशीनों का संचालन केवल उन्हीं अधिकृत चिकित्सकों द्वारा किया जाए.
जिलाधिकारी ने यह भी कहा कि अधिनियम के अंतर्गत प्राप्त प्रत्येक आवेदन का निस्तारण निर्धारित 70 दिवस की समय सीमा के भीतर किया जाए. साथ ही, प्रत्येक महीने के दूसरे बुधवार को पीसीपीएनडीटी समिति की बैठक नियमित रूप से आयोजित की जाए, जिसमें लंबित प्रकरणों पर विचार किया जाए. इसके अतिरिक्त, उन्होंने यह निर्देश भी दिए कि अधिनियम के अंतर्गत पंजीकृत सभी चिकित्सा संस्थानों में दो बाई दो फीट आकार का एक स्पष्ट सूचना बोर्ड अनिवार्य रूप से लगाया जाए, जिस पर यह संदेश अंकित हो कि यहां लिंग निर्धारण नहीं किया जाता है. साथ ही, लिंग निर्धारण से संबंधित शिकायत हेतु निर्धारित हेल्पलाइन नंबर भी स्पष्ट रूप से प्रदर्शित किया जाए.
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