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जोगीरा सा रा रा रा… होली गीतों में ऐसा क्यों कहते हैं, क्या होता है इसका मतलब? जानें इतिहास

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Mar 12, 2025    150827 views     Online Now 346

होली के गीत मस्ती के लिए जाने जाते हैं. जोश और उमंग से भरपूर होते हैं होली के गाने. चाहे फिल्मी हों या लोक धुन… इनमें अक्सर आप ने जोगीरा सा रा रा रा… भी खूब सुना होगा. आखिर क्या होता है इसका मतलब? होली के गीतों में यह टेक कहां से आया? क्या है इसकी परंपरा? और क्या है इसका इतिहास? होली के दिन गांव हो या शहर- द्वारे द्वारे जाकर हुल्लड़ों की टोली जितने भी होली गीत गाती हैं, उनमें जोगीरा सा रा रा रा … की धुन कैसे बन जाती है? आखिर ऐसा क्या होता है कि इस टेक के साथ ही लोगों में दोगुना जोश और उत्साह जाग उठता है. इसे सुनने वाले भी मदमस्त हो जाते हैं. लोग एक अलग ही दुनिया में चले जाते हैं. हर कोई इस टेक को दुहराता है और नाचता गाता है. ऐसा क्यों होता है? और कब से हो रहा है?

अगर आप का वास्ता गांव से नहीं है तो फिल्मी गानों में जोगीरा सा रा रा रा… जरूर सुना होगा. अस्सी के दशक में राजश्री प्रोडक्शन की एक बहुत ही पॉपुलर फिल्म थी- नदिया के पार. फिल्म में एक गीत था- जोगी जी ढूंढ़ के ला दो… जोगी जी वाह, जोगी जी… इस गीत को यू ट्यूब देखा सुना जा सकता है. सचिन और साधना सिंह पर इस गीत को फिल्माया गया था. साथ में गांव की पूरी टोली नाच रही है. लौंडा नाच भी हो रहा है. खूब रंग और गुलाल उड़ाए गए. नदिया के पार ने क्या उत्तर, क्या दक्षिण पूरे भारत में धूम मचाई थी. खास बात ये कि इस गीत में बार-बार जोगी जी शब्द एक टेक की तरह बोला गया है. लोकधुनों पर आधारित इस फिल्मी गाने में आखिर बार-बार जोगी जी या जोगीरा किसे कहा गया है. इसे गंभीरता से समझा जाना चाहिए.

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जब से होली, तब से जोगीरा सा रा रा रा…

जोगीरा सा रा रा रा… वास्तव में ग्रामीण होली गीतों का टेक है. आगे बढ़ने से पहले टेक को समझिए, यह क्या होता है. किसी भी गीत की पंक्ति के आखिरी में जब एक शब्द की समान सुर के साथ आवृति होती है तो उसे टेक कहते हैं. इस प्रकार जोगीरा सा रा रा रा… का रिवाज बहुत पुराना है. कितना पुराना… इसका आकलन नहीं किया जा सकता. बस, समझ लीजिए यह सदियों पुरानी परंपरा है. जब से होली, तब से जोगीरा सा रा रा रा… लेकिन इसके आशय को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता. जोगीरा या जोगी जी- कहने का एक खास मतलब है. इसका सांस्कृतिक और दार्शनिक पक्ष भी है. जितनी मस्ती में इसे सुनकर गुलाल की तरह यूं ही उड़ा दिया जाता है, उतना आसान नहीं है इसका अर्थ.

जोगी परंपरा में सब एक समान होते हैं

जोगीरा शब्द जोगी से बना है. भारतीय पृष्ठभूमि में जोगी उस शख्स को कहा गया है, जो सांसारिक माया-मोह से मुक्त होते हैं. उन्हें किसी भी भौतिक वस्तु से कोई लगाव नहीं होता है. वह कबीर की तरह फकीर होते हैं. यही वजह है कि होली पर जब भी पूरी टोली गाते हुए घर से निकलती है तो उसमें शामिल लोग जोगी समान मस्त, मगन नजर आते हैं. होली खेलने का वास्तविक आनंद इसी अंदाज में है. लोग सबकुछ भूलकर रंगों में सराबोर हो जाते हैं.

होली के रंग में ना कोई छोटा और ना ही कोई बड़ा होता है. ना ऊंच, ना नीच. रंगों में डूबकर सब एक समान हो जाते हैं. जोगी परंपरा में भी यही सोच काम करती है. जोगी होने का मतलब है कि अलमस्त जीवन. भौतिक जगत के मोह से दूर. होली का संपूर्ण आनंद अलमस्त होने में ही है. इसीलिए होली खेलने वालों को जोगी जी या कि जोगीरा कहा जाता है. जोगी बनकर होली खेलने में एक प्रकार का अलौकिक सुख मिलता है.

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लेकिन समय के साथ इसमें बदलाव भी होता गया है. इसमें लोक रंग के साथ-साथ अब कई बार समसामयिक तंज भी होते हैं. चूंकि होली कुंठाओं और कमियों को अभिव्यक्त करने वाला भी त्योहार है. इस दिन लोग दिल खोलकर अपनी बातें कह लेते हैं और इशारों-इशारों में अपनी भड़ास भी निकाल लेते हैं. इसी भाव से इस दिन हास्य-व्यंग्य की परंपरा भी शुरू हुई. होली पर खूब हंसी-ठिठोली होती है. इस दौरान बड़ी से बड़ी बातें कह कर तंज कसा जाता है. खूब चुटकी ली जाती है. और फिर एक ठहाके के साथ कहा जाता है- बुरा न मानो होली है, जोगीरा सा रा रा रा…

सवाल-जवाब का अनोखा गीत-संगीत

खासतौर पर उत्तर भारत के गांवों में आज भी होली सामूहिक तौर पर खेलने की परंपरा है. चौक-चौराहे पर ढपली की थाप पर लोकधुनों के होली गीत खूब गाये जाते हैं. इस दौरान निराला सामूहिक अंदाज देखने को मिलता है. होली की टोलियां द्वार-द्वार पर जाती हैं और वहां फक्कड़ अंदाज में मस्ती भरे गीतों को गाकर पकवानों का स्वाद लेती हैं.

वैसे तो होली अब पूरी दुनिया में फैल चुकी है लेकिन यह उत्तर भारत के गांव-गांव में गहरे पैठी हुई है. यही वजह है कि होली के ज्यादातर लोकगीत अवधि, भोजपुरी, मगही, बज्जिका, मैथिली, ब्रज, बुंदेलखंडी, राजस्थानी, हरियाणवी और पंजाबी में हैं, जिनके अब कई संस्करण बन चुके हैं. होली गीतों का बहुत विकास हो चुका है, डिस्को के जमाने से रैप के दौर तक इसके कई रूप सामने आ चुके हैं. तब भी इन गीतों में जोगीरा का ठाठ बना हुआ है.

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भोजपुरी, अवधि, ब्रज में होली के लोकगीतों में दो टोलियों में बड़ा ही रोचक सवाल-जवाब देखने को मिलता है. गिरमिटिया मजदूर बन कर दूसरे मुल्कों में गए उत्तर भारतीय आज भी वहां इसे गाते हैं और अपनी परंपरा को पीढ़ी दर पीढ़ी बचा कर रखा है.

कुछ नमूने देख सकते हैं. एक टोली सवालों को कुछ इस प्रकार गाती है-

कौन फूल धरती पर फूले, कौन फूल आकाश, कौन फूल पर सिया विराजे, खुश रहे भगवान.

दूसरी टोली जवाब भी सुरीले अंदाज में देती है-

बेली फूल धरती पर फूले, तारा फूल आकाश, कमल फूल पर सिया विराजे, खुश रहे भगवान.

फिर टेक आता है- जोगीरा सा रा रा रा…

इसी तरह आचार्य रामपलट दास रचित एक और सवाल-जवाब देखिये. यह सामयिक संस्करण है.

सवाल- कौन खेत में गेहूं उपजे, कौन खेत में धान, कौन खेल में लड़े लड़ाई, के होला बलिदान

जवाब- गोमट खेत में गेहूं उपजे, मटियारे में धान, लोन चुकावत सब कुछ हारे, जाए कहां किसान

जोगीरा सा रा रा रा…

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