अवैध बांग्लादेशियों पर JNU की रिपोर्टImage Credit source: Amarjeet Kumar Singh/Anadolu Agency via Getty Images
भारत में रह रहे अवैध आप्रवासियों को लेकर अक्सर ही चिंता जताई जाती है. इस बीच दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी यानी जेएनयू (JNU) ने इसी मामले पर एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि राजधानी दिल्ली में भी बड़ी संख्या में अवैध आप्रवासी रह रहे हैं.
रिपोर्ट में कहा गया है कि दिल्ली में अवैध आप्रवास ने शहर के डेमोग्राफिक परिदृश्य को काफी हद तक बदल दिया है, जिसमें बांग्लादेश और म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों से बड़ी संख्या में आप्रवासी आ रहे हैं. ये प्रवासी अक्सर सीलमपुर, जामिया नगर, जाकिर नगर, सुल्तानपुरी, मुस्तफाबाद, जाफराबाद, द्वारका, गोविंदपुरी जैसे कई अन्य भीड़भाड़ वाले इलाकों में बस जाते हैं, जहां वो संसाधनों पर दबाव डालते हैं और स्थानीय सामाजिक सामंजस्य को बाधित करते हैं.
चुनावी प्रक्रियाओं को किया कमजोर
रिपोर्ट में लिखा है, ‘बांग्लादेश से अवैध आप्रवास का इतिहास साल 2017 के रोहिंग्या संकट से जुड़ा है, जिस दौरान लाखों शरणार्थी भागकर भारत आ गए थे. इनमें से कई प्रवासी दिल्ली में बस गए. ये प्रवासी आमतौर पर आवास और नौकरियों को सुरक्षित करने के लिए दलालों, एजेंटों और धार्मिक प्रचारकों सहित अनौपचारिक नेटवर्क पर निर्भर रहते हैं, जिससे अवैध आप्रवास का चक्र चलता रहता है. ये नेटवर्क फेक आईडी डॉक्यूमेंट्स भी बनवा देता है, जो देश के लीगल सिस्टम और चुनावी प्रक्रियाओं को कमजोर करते हैं’.
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अवैध कॉलोनियां बनीं जी का जंजाल
जेएनयू की रिपोर्ट के मुताबिक, अवैध प्रवासियों द्वारा अनधिकृत बस्तियों के कारण झुग्गी-झोपड़ियां और अनियोजित कॉलोनियां बढ़ी हैं, जिससे दिल्ली के पहले से ही दबाव में चल रहे बुनियादी ढांचे पर और भारी दबाव पड़ रहा है. इसमें आवास से लेकर स्वच्छता और जल आपूर्ति शामिल हैं. इन प्रवासियों के कारण ही दिल्ली में स्वास्थ्य सेवा प्रणाली (हेल्थकेयर सिस्टम) को भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इस वजह से अधिक भीड़भाड़ वाले अस्पताल और क्लीनिक दिल्ली में रह रहे वैध निवासियों की भी मांगों को पूरा करने में असमर्थ हैं. इसका नतीजा ये हुआ है कि सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच कम हो गई है.
एजुकेशन सिस्टम पर भारी दबाव
रिपोर्ट में बताया गया है कि जिन इलाकों में अवैध बांग्लादेशी रह रहे हैं, वहां एजुकेशन सिस्टम पर भी भारी दबाव है. स्कूलों को छात्रों की बढ़ती संख्या को समायोजित करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. इस समस्या ने शिक्षा की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है, खासकर कम आय वाले इलाकों में.
नौकरियों में भी चल रहा कंपटीशन
रिपोर्ट के मुताबिक, कम सैलरी वाली नौकरियों में दिल्ली के स्थानीय मजदूरों और प्रवासियों के बीच कंपटीशन बढ़ गया है, जिससे दिल्ली की मूल आबादी में भारी नाराजगी है. .चूंकि ये आप्रवासी कम सैलरी पर भी काम करने को तैयार हैं, ऐसे में कुछ क्षेत्रों में लोगों की कुल इनकम में भी कमी आ गई है और ये एक बड़ी समस्या है.
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