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मंडप पर ससुर ने दी नोटों से भरी थाली, दूल्हे ने पहले तो रख ली फिर वापस लौटाई… वजह जानकर आप भी करेंगे तारीफ

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Feb 18, 2025    150832 views     Online Now 345
मंडप पर ससुर ने दी नोटों से भरी थाली, दूल्हे ने पहले तो रख ली फिर वापस लौटाई... वजह जानकर आप भी करेंगे तारीफ

प्रतीकात्मक तस्वीर.

जहां कुछ लोग दहेज न मिलने के चलते शादी जैसा पवित्र बंधन तोड़ देते हैं. वहीं, कुछ ऐसे लोग भी हैं जो दहेज मिल भी रहा तो तब भी उसे नहीं लेते. ऐसा ही एक वाकया राजस्थान के जैसलमेर से सामने आया है. यहां सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे एक युवक की शादी थी. ससुर ने तिलक समारोह में दूल्हे राजा को नोटों से भरी थाली भेंट की. दूल्हे राजा ने थाली पहले स्वीकार कर ली. लेकिन बाद में उसे लौटा दिया.

दूल्हे ने कहा- हम जैसे लोग ही अगर दहेज की प्रथा को नहीं रोकेंगे तो और कौन रोकेगा. अब दूल्हे की हर जगह तारीफ हो रही है. जानकारी के मुताबिक, सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे परमवीर राठौड़ की शादी 14 फरवरी को करालिया नामक एक छोटे से गांव में निकिता भाटी से हुई. जैसे ही राठौड़ घोड़े पर सवार होकर ढोल की थाप और जश्न के बीच शादी के लिए पहुंचा, दुल्हन के परिवार ने उसका और बारातियों का भव्य स्वागत किया.

जल्द ही तिलक समारोह शुरू हुआ. दूल्हे को उसके होने वाले ससुराल वालों ने उपहार देना शुरू किया. इस बीच दूल्हन के परिवार की तरफ से एक थाली आई, जो नोटों से भरी हुई थी. इसमें कुल 5 लाख 51 हजार रुपये थे. लेकिन दूल्हे ने पहले नोटों से थाली ले ली. फिर उसे लौटा दिया.

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परमवीर ने लौटा दी नोटों से भरी थाली

एक न्यूज चैनल को दूल्हे परमवीर राठौड़ ने कहा, ‘जब उन्होंने मुझे पैसे देने की कोशिश की तो मुझे यह देखकर दुख हुआ कि समाज में ऐसी (दहेज) प्रथाएं जारी हैं. मैं इसे तुरंत अस्वीकार नहीं कर सकता था, इसलिए मुझे रस्म जारी रखना पड़ा. मैंने अपने पिता और परिवार के अन्य सदस्यों से बात की और कहा कि हमें पैसे वापस करने होंगे. फिर हमने थाली वापस लौटा दी.

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किसी को शुरुआत करनी होगी

उन्होंने कहा, ‘मैं सिविल सेवा का अभ्यर्थी हूं और मैंने बहुत पढ़ाई की है. इसलिए मुझे लगा कि अगर शिक्षित लोग बदलाव नहीं लाएंगे, तो कौन करेगा. हमें एक उदाहरण पेश करना चाहिए. मेरे माता-पिता सहमत हुए और मेरा समर्थन किया. मेरी एक बहन भी है. अगर हम इन कुप्रथाओं को खत्म नहीं करेंगे, तो हम समाज में बदलाव कैसे लाएंगे? हममें से प्रत्येक को कहीं न कहीं से शुरुआत करनी होगी.’

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