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‘मैं ना दबाव में रहता हूं और ना किसी पर दबाव डालता हूं’, जयपुर में बोले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

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Jun 30, 2025    150816 views     Online Now 450
'मैं ना दबाव में रहता हूं और ना किसी पर दबाव डालता हूं', जयपुर में बोले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़.

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जयपुर में आयोजित स्नेह मिलन समारोह में संबोधन के दौरान राजनीति, लोकतंत्र, अभिव्यक्ति और राष्ट्रवाद जैसे अहम मुद्दों पर बेबाक राय रखी. अपने भाषण में उन्होंने कहा, मैं न दबाव में काम करता हूं, न दबाव देता हूं और न ही किसी से दबाव में काम करवाता हूं. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा दिए गए एक बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें चिंता अपने स्वास्थ्य की नहीं, बल्कि अपने मित्र की हुई जो उन्हें दबाव में बता रहे थे. मैं सार्वजनिक रूप से उन्हें आश्वस्त करता हूं, मैं किसी दबाव में नहीं रहता.

राजनीतिक सौहार्द्र की जरूरत पर उपराष्ट्रपति ने कहा, सत्ता और विपक्ष का स्थान बदलता रहता है लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि एक-दूसरे को दुश्मन समझा जाए. दुश्मन हमारे सीमापार हो सकते हैं, देश में नहीं. राजनीतिक कटुता लोकतंत्र के लिए घातक है. आज का राजनीतिक तापमान स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है. जब हम देश से बाहर जाते हैं, तब पक्ष या विपक्ष नहीं होता. वहां केवल भारत होता है. वहां हम सब एक हैं. राष्ट्रहित ही हमारा धर्म है और भारतीयता हमारी पहचान.

राज्यपाल और उपराष्ट्रपति के दायित्वों पर टिप्पणी

राज्यपालों की संवैधानिक स्थिति की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि कई बार राज्यपालों को ईजी पंचिंग बैग बना दिया जाता है. खासकर तब जब राज्य की सरकार केंद्र से अलग पार्टी की हो. उन्होंने इसे चिंताजनक बताया और कहा कि अब राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को भी इस तरह के आरोपों में घसीटा जाने लगा है.

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लोकतंत्र की आत्मा है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, अगर हम दूसरे के मत को महत्व नहीं देंगे तो अभिव्यक्ति अपना अस्तित्व खो देगी. लोकतंत्र में वाद-विवाद और बातचीत जरूरी है. बड़ी संभावना ये हो सकती है कि किसी दूसरे का मत आपके मत से अधिक सही हो. इसीलिए सबकी बात सुनना जरूरी है.

संविधान सभा से सीखा जा सकता है संवाद

उपराष्ट्रपति ने संविधान सभा की कार्यशैली को आज के जनप्रतिनिधियों के लिए आदर्श बताया. उन्होंने कहा कि संविधान सभा ने करीब तीन साल तक गहन संवाद और सहमति से संविधान का निर्माण किया. टकराव और अव्यवस्था की बजाय शांतिपूर्ण विमर्श हुआ.

किसानों की सब्सिडी सीधे खाते में जाए

कृषि नीति पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा, अगर सरकार की ओर से दी जाने वाली खाद और अन्य सब्सिडी सीधे किसानों को दी जाए तो हर किसान परिवार को प्रति वर्ष ₹30,000 तक की मदद मिल सकती है. उन्होंने ये भी कहा, अगर यह सिस्टम लागू हो तो किसान स्वयं ये फैसला ले सकता है कि वह प्राकृतिक खेती करे या ऑर्गैनिक खेती.

ये पूरे राष्ट्र की प्रगति है

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती का जिक्र करते हुए कहा कि आज भारत दुनिया की शीर्ष चार अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है. एक समय था जब भारत को फ्रैजाइल फाइव में गिना जाता था. मगर, आज हमने यूके, जर्मनी, जापान जैसे देशों को पीछे छोड़ा है. यह किसी एक राजनीतिक दल की उपलब्धि नहीं बल्कि पूरे राष्ट्र की प्रगति है.

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