जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज का मामला.
जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लापरवाही का एक और गंभीर मामला सामने आया है. कॉलेज के हॉस्टल नंबर एक के पीछे के मैदान में दो स्वान (कुत्ते) के बच्चे नवजात शिशु की खोपड़ी (स्कल) से खेलते हुए नजर आए. इस घटना का एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसने अस्पताल प्रशासन को कटघरे में खड़ा कर दिया है. वहीं अब मेडिकल प्रबंधन ने पूरे मामले की जांच पुलिस को सौंपी है, जो पूरे मामले की जांच करेगी.
दअरसल, जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल के पीछे दो स्वान कुत्ते एक नवजात बच्चे की खोपड़ी यानी कि स्कल से खेलने और खाते हुए नजर आए. इस वीडियो के सामने आने के बाद मेडिकल कॉलेज के डीन नवनीत सक्सेना ने पूरे मामले की जांच की बात कही है. उन्होंने सवाल उठाया कि यह खोपड़ी आई कहां से? यह किसकी है? और क्या यह पीछे तालाब के पास से आई है? इन सभी पहलुओं पर जांच करवाई जाएगी.
डीन का कहना है कि मेडिकल कैंपस में इस तरह से स्कल का मिलना बेहद गंभीर विषय है. इसके साथ डीन ने बताया कि छात्रों की पढ़ाई के लिए शवों और खोपड़ियों का उपयोग किया जाता है. प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, यह खोपड़ी सफाई कर्मचारियों द्वारा हॉस्टल के पीछे दफन की गई थी, लेकिन इतनी लापरवाही बरती गई कि जानवर इसे बाहर निकाल लाए और खेलते नजर आए.
मेडिकल प्रशासन ने पुलिस को सौंपी जांच
घटना की गंभीरता को देखते हुए मेडिकल प्रशासन ने पूरे घटना की जानकारी गढ़ा पुलिस को दी. डीन नवनीत सक्सेना ने गढ़ा थाना प्रभारी को फोन कर पूरे मामले की जांच के निर्देश दिए. अब पुलिस की मौजूदगी में इस खोपड़ी को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा जाएगा, ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह खोपड़ी मेडिकल कॉलेज के किसी अध्ययनरत शव की है या किसी अन्य कारण से यहां पहुंची. इसके साथ यह भी चर्चा है कि संभाग के सबसे बड़े अस्पताल मेडिकल अस्पताल में भी बच्चों की डिलीवरी होती है. कहीं मौत के बाद बच्चे को पीछे की तरफ दफन तो नहीं किया गया या फिर मेडिकल प्रशासन की लापरवाही के चलते वहां तक पहुंचा है.
सफाई कर्मचारियों ने ही बनाया था वीडियो
पूरे मामले सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह वीडियो सफाई कर्मचारियों ने खुद ही बनाया और इसे वायरल कर दिया. बताया जा रहा है कि वीडियो बनाने के बाद सफाई कर्मचारियों के द्वारा इस स्कल को दोबारा हॉस्टल के पीछे ही दफन कर दिया गया और न इस बात की जानकारी मेडिकल प्रशासन को दी गई, न ही पुलिस को, जो यह घटना अस्पताल प्रशासन की बड़ी लापरवाही को उजागर करती है.
पहले भी हुई थीं लापरवाहियां
यह पहली बार नहीं है जब नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में इस तरह की लापरवाही सामने आई है. दो दिनों पहले एक जिंदा मरीज का मृत प्रमाण पत्र बना दिया गया था, जिसके बाद चार डॉक्टरों को निलंबित कर दिया गया था. इस घटना ने अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं. मेडिकल कॉलेज, जो पूरे संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल है, वहां बार-बार हो रही लापरवाहियों से लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है. अब देखना होगा कि इस मामले में क्या कार्रवाई होती है और प्रशासन इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाता है.
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