
रोबोटिक म्यूल्स
भारतीय सेना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि आधुनिक युद्ध सिर्फ बंदूक और बारूद से नहीं, बल्कि टेक्नोलॉजी और रणनीति से भी लड़े जाते हैं. डिफेंस सूत्रों के मुताबिक, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सेना ने जहां आधुनिक ड्रोन का इस्तेमाल किया. वहीं पहली बार रोबोटिक म्यूल्स (Robotic Mules) भी आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन में दुर्गम पहाड़ी इलाकों में हथियार और रसद पहुंचाने में क्रांतिकारी साबित हुए.
ये रोबोटिक म्यूल्स भारत में ही विकसित किए गए हैं. इन्हें विशेष रूप से ऐसे मिशनों के लिए तैयार किया गया है जहां मानव या जानवरों द्वारा सामान ले जाना बेहद मुश्किल या खतरनाक होता है. ये मशीनें ऑटोमैटिक नेविगेशन, AI बेस्ड रूट सलेक्शन और 30 किलोग्राम तक भार वहन क्षमता जैसी खूबियों से लैस हैं.
इनमें फॉलो मी मोड जैसी सुविधा भी है
नॉर्दन बॉर्डर पर तैनात ये म्यूल्स थर्मल कैमरे और सेंसर से लैस हैं. 10 फीट ऊंचाई तक चढ़ने में सक्षम हैं और आधुनिक तकनीक से लैस ये म्यूल्स हथियारों से भी लैस हैं. ये म्यूल जवानों तक हथियार, गोला-बारूद पहुंचाने में मददगार है. साथ ही सर्विलांस करने की अपनी क्षमता साबित कर चुके हैं.
इन रोबोटिक खच्चरों की सबसे बड़ी खासियत ये है कि ये बिना थके, बिना रुके, कई घंटों तक काम कर सकते हैं. और ये GPS आधारित प्रोग्रामिंग से अपना रास्ता भी खुद तय कर सकते हैं. साथ ही इनमें फॉलो मी मोड जैसी सुविधा भी है, जिससे यह मशीन जवानों के पीछे-पीछे बिना किसी रिमोट कंट्रोल के चल सकती है.
रोबोटिक म्यूल की खासियत:
- ये किसी भी मौसम में काम कर सकते हैं.
- ये -40 से +55 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान में काम कर सकते हैं.
- ये 15 किलोग्राम का वजन उठा सकते हैं.
- ये सीढ़ियां, खड़ी पहाड़ियां, और अन्य बाधाओं को आसानी से पार कर सकते हैं.
- ये पानी के अंदर जा सकते हैं और नदी-नालों को भी पार कर सकते हैं.
- इनमें इलेक्ट्रो-ऑप्टिक्स, इंफ़्रारेड जैसी चीज़ों को पहचानने की क्षमता होती है.
- इनमें दुश्मन की लोकेशन का पता लगाने के लिए 360 डिग्री कैमरे होते हैं.
- इनमें थर्मल कैमरे और अन्य सेंसर लगे होते हैं.
- इनका इस्तेमाल सीमा पर तैनात जवानों तक छोटे-मोटे सामान ले जाने के लिए भी किया जा सकता है.
यह तकनीक न केवल भारतीय सेना की ऑपरेशनल क्षमताओं को बढ़ा रही है, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत की सोच को भी मजबूती दे रही है. क्योंकि इन रोबोटिक म्यूल्स का विकास पूरी तरह स्वदेशी कंपनियों और DRDO की साझेदारी में हुआ है. भारतीय सेना ने आपातकालीन खरीद (ईपी) के चौथे चरण (सितंबर 2022 से सितंबर 2023) के तहत 100 रोबोटिक खच्चर खरीदे हैं. इनकी तैनाती LoC और LAC की फॉरवर्ड लोकेशन में की गई है.
[ Achchhikhar.in Join Whatsapp Channal –
https://www.whatsapp.com/channel/0029VaB80fC8Pgs8CkpRmN3X
Join Telegram – https://t.me/smartrservices
Join Algo Trading – https://smart-algo.in/login
Join Stock Market Trading – https://onstock.in/login
Join Social marketing campaigns – https://www.startmarket.in/login