
व्हाइट हाउस में असीम मुनीर को न्योता.
ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच हुआ सीजफायर तो अब बीते दिनों की बात हो गई है, लेकिन सियासत अभी भी शांत नहीं हुई है. 10 मई के बाद से देश की राजनीति में सबसे बड़ा सवाल यही बना रहा कि आखिर ये सीजफायर हुआ कैसे? क्या इसमें अमेरिका की कोई भूमिका थी? अब जब प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच 35 मिनट की फोन बातचीत हो चुकी है, तो क्या विवाद खत्म हुआ? या फिर असीम मुनीर को व्हाइट हाउस बुलाकर ट्रंप ने इसे और उलझा दिया?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने G7 समिट के मौके पर ट्रंप से फोन पर बात कर ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर से जुड़ी सभी हकीकतें उनके सामने रख दीं. मोदी ने दो टूक कहा कि भारत ने किसी मध्यस्थता को स्वीकार नहीं किया. न कोई ट्रेड डील हुई और न ही अमेरिका की दखलंदाजी की वजह से युद्धविराम लागू हुआ. पीएम ने बताया कि 9 मई को अमेरिकी वाइस प्रेसिडेंट जेडी वेंस ने बस यह सूचना दी थी कि पाकिस्तान बड़ा हमला कर सकता है. भारत ने उसी वक्त साफ कर दिया था कि जवाब उससे बड़ा होगा.
व्हाइट हाउस में लंच पर जाएंगे मुनीर
मोदी की इस स्पष्टता के बावजूद ट्रंप ने जो कदम उठाया, उसने नई बहस छेड़ दी है. अमेरिका ने पाकिस्तान के आर्मी चीफ फील्ड मार्शल असीम मुनीर को व्हाइट हाउस लंच पर बुलाया. वही असीम मुनीर जिन्हें भारत पहलगाम आतंकी हमले का मास्टरमाइंड मानता है. ऐसे में यह सवाल और बड़ा हो गया है क्या ट्रंप का यह न्योता भारत की कूटनीतिक स्थिति को कमजोर करने की कोशिश है?
भारतीय विपक्ष ने भी मुद्दे को लपका
विपक्ष ने इस मुद्दे को और तेज़ी से उठाया है. कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार को तीन बड़े झटके लगे हैं. पहला, असीम मुनीर को ट्रंप का न्योता; दूसरा, अमेरिकी सेंट्रल कमांड द्वारा पाकिस्तान को आतंकवाद में साझेदार बताना; और तीसरा, पीएम मोदी की चुप्पी. कांग्रेस पूछ रही है कि 40 दिनों तक पीएम क्यों खामोश रहे और अब जो दावा हो रहा है, क्या ट्रंप उसे सार्वजनिक रूप से स्वीकार करेंगे?
अमेरिका में मुनीर क्यों?
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या पीएम और ट्रंप की बातचीत के बाद सीजफायर पर लगे आरोपों पर विराम लगेगा? या फिर व्हाइट हाउस में मुनीर की मौजूदगी भारत के लिए कूटनीतिक असहजता की वजह बनेगी? क्योंकि भारत जिस आतंकी हमले का जवाब ऑपरेशन सिंदूर के जरिए दे चुका है, उसी हमले के कथित गुनहगार को अमेरिका का सम्मान देना कई सवाल खड़े करता है.
इस पूरे घटनाक्रम से साफ है कि ऑपरेशन सिंदूर केवल सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि अब एक बड़ा राजनीतिक और कूटनीतिक अध्याय बन चुका है. भारत ने जहां अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है, वहीं अमेरिका के दोहरे रुख ने नई चिंता खड़ी कर दी है. ऐसे में यह कहना जल्दबाज़ी होगा कि मोदी-ट्रंप की बातचीत से सियासत शांत हो गई है. उल्टा, असीम मुनीर को व्हाइट हाउस में बुलाने से मामला और उलझ गया है.
-टीवी9 ब्यूरो रिपोर्ट
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