
नागास्त्र-3. (सांकेतिक तस्वीर)
भारत ने हाल ही में अपनी रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करते हुए नागास्त्र-3 ड्रोन का प्रदर्शन किया, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देखा. यह मीडियम रेंज प्रिसीजन किल सिस्टम (MRPKS) के तहत विकसित एक आधुनिक कामिकाज़े ड्रोन है, जो दुश्मन के ठिकानों को सटीक निशाना बनाकर नष्ट करने में सक्षम है.
यह ड्रोन 100+ किमी की मारक दूरी और 5 घंटे से अधिक उड़ान क्षमता रखता है, जिससे यह आधुनिक युद्ध के लिए बेहद प्रभावी साबित हो सकता है.
कामिकाजे ड्रोन और आधुनिक युद्ध
हाल के वर्षों में ड्रोन युद्धक्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके हैं, खासकर रूस-यूक्रेन युद्ध और इज़राइल-हमास संघर्ष में. इन दोनों युद्धों में शहीद-136 जैसे ईरानी ड्रोन और हारोप जैसे इजराइली ड्रोन ने निर्णायक भूमिका निभाई है. इनसे सीख लेते हुए, भारत ने अब अपने स्वदेशी कामिकाजे ड्रोन को विकसित करने की दिशा में कदम बढ़ाया है.
रूस-यूक्रेन युद्ध में कामिकाजे ड्रोन की भूमिका
रूस और यूक्रेन दोनों ने आत्मघाती ड्रोन का व्यापक उपयोग किया है. रूस ने शहीद-136 ड्रोन का इस्तेमाल कर यूक्रेन के ऊर्जा संयंत्रों और सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया, जबकि यूक्रेन ने भी अपने ड्रोन से रूस के सैनिक ठिकानों पर हमले किए. नागास्त्र-3, इसी तरह, भारतीय सेना को भविष्य में संभावित संघर्षों के दौरान रणनीतिक बढ़त दिला सकता है.
इजराइल-हमास युद्ध में ड्रोन रणनीति
इजराइल ने हमास के खिलाफ अपनी सैन्य कार्रवाई में अत्याधुनिक ड्रोन तकनीक का उपयोग किया, जिसमें आत्मघाती ड्रोन का प्रमुख स्थान रहा. इजराइली हारोप ड्रोन, जो दुश्मन के रडार और कमांड सेंटरों को नष्ट करने में सक्षम है, ने दिखाया कि कैसे छोटे और तेज़ गति वाले ड्रोन किसी भी पारंपरिक हवाई हमले से अधिक प्रभावी हो सकते हैं. नागास्त्र-3 इसी प्रकार भारतीय सेना को सीमित संसाधनों में अधिकतम प्रभावी शक्ति देने में मदद करेगा.
नागास्त्र-3 की प्रमुख विशेषताएं
- 100+ किमी की मारक क्षमता लंबी दूरी तक दुश्मन को निशाना बना सकता है.
- 5 घंटे से अधिक उड़ान समय लगातार निगरानी और लक्ष्य पर हमला करने की क्षमता.
- सटीकता और स्टील्थ तकनीक जीपीएस-गाइडेड प्रणाली और रडार से बचने की उन्नत तकनीक.
- स्वदेशी निर्माण आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत पूरी तरह से भारतीय तकनीक से निर्मित.
- सैन्य ठिकानों, बंकरों और कमांड सेंटरों को निशाना बनाने की क्षमता.
भारत के लिए नागास्त्र-3 का रणनीतिक महत्व
नागास्त्र-3 भारतीय सेना के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है. हाल के संघर्षों ने यह साबित किया है कि आत्मघाती ड्रोन युद्ध में पारंपरिक मिसाइलों और बमों से अधिक प्रभावी हो सकते हैं, क्योंकि वे अधिक सटीक, कम खर्चीले और दुश्मन के हवाई रक्षा सिस्टम को चकमा देने में सक्षम होते हैं.
प्रमुख हथियार के रूप में इस्तेमाल
रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास युद्धों से स्पष्ट है कि आधुनिक युद्धक्षेत्र में ड्रोन अब केवल निगरानी के लिए नहीं, बल्कि सक्रिय हमला करने वाले हथियार के रूप में उभर चुके हैं. नागास्त्र-3 के विकास से भारत अपनी स्वदेशी रक्षा उत्पादन क्षमताओं को और मजबूत करेगा और भविष्य के युद्धों में इसे एक प्रमुख हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकेगा.
रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम
नागास्त्र-3 केवल एक ड्रोन नहीं, बल्कि भारत के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह भारतीय सेना को भविष्य के युद्धों के लिए तैयार करेगा और क्षेत्रीय संतुलन में भारत को रणनीतिक बढ़त दिलाने में मदद करेगा. इसके जल्द ही सेना में शामिल होने की उम्मीद है.
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