
डॉ. एस. जयशंकर ने इजराइल के राजदूत रूवेन अजर से की मुलाकात.
भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने शुक्रवार को इजराइल के राजदूत रूवेन अज़र से मुलाकात की. यह बैठक दोनों देशों के बीच आतंकवाद, विशेषकर सीमा पार इस्लामी आतंकवाद से निपटने के साझा प्रयासों को लेकर हुई. बैठक के बाद डॉ. जयशंकर ने ट्वीट कर कहा, नई दिल्ली में इजराइल के राजदूत रूवेन अज़र के साथ अच्छी चर्चा हुई. सीमा पार आतंकवाद से लड़ने में इजराइल के अडिग समर्थन की सराहना करता हूं.
भारत और इजराइल, दोनों ही देश 1990 के दशक से आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष करते आए हैं. इसी साझा अनुभव के चलते दोनों देशों के बीच सुरक्षा, खुफिया जानकारी साझा करने और रक्षा सहयोग पर लगातार गहरे संबंध बने हैं.
600 मिलियन डॉलर के हथियारों का व्यापार
1992 में भारत-इजराइल राजनयिक संबंधों की औपचारिक शुरुआत के बाद से, यह साझेदारी लगातार मजबूत होती गई है. 2016 तक इजराइल भारत का दूसरा सबसे बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्ता बन चुका था, जिससे हर साल लगभग 600 मिलियन डॉलर के हथियारों का व्यापार होता है. यह बैठक ऐसे समय पर हुई है जब वैश्विक और क्षेत्रीय स्तर पर आतंकवाद एक बड़ी चुनौती बना हुआ है. भारत और इजराइल दोनों ही I2U2 जैसे बहुपक्षीय मंचों के माध्यम से क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में मिलकर काम कर रहे हैं.
भारत और इजराइल एक साथ
दोनों देशों के बीच यह सहयोग न केवल सैन्य दृष्टिकोण से, बल्कि रणनीतिक और राजनीतिक स्तर पर भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. यह साफ संकेत है कि भारत और इजराइल आने वाले समय में आतंकवाद के खिलाफ और भी सशक्त और मिलकर कदम उठा सकते हैं. या इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद की तर्ज पर भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ भी पाकिस्तानी आतंकियों को चुन-चुनकर मार सकती है.
आतंकवाद के खिलाफ खुफिया युद्ध
भारत में पहलगाम जैसे आतंकी हमलों के बाद यह सवाल उठता है कि क्या अब भारत एक बड़े एक्शन की नीति अपनाएगा? या इसमें इजराइल की खुफिया एजेंसी मोसाद भारत की RAW (रिसर्च एंड एनालिसिस विंग) के साथ मिलकर किसी गंभीर गुप्त अभियान को अंजाम दे सकती है? या भारत का एक्शन इजराइल के एक्शन से मिलता जुलता होगा? ये तमाम सवाल इस मुलाकात के बाद उभर कर सामने आ रहे हैं. लेकिन ये समझना जरूरी है कि भारत और इजराइल का आतंकवाद के खिलाफ गहरा कनेक्शन रहा है.
- भारत और इजराइल के कूटनीतिक संबंध 1992 में शुरू हुए, लेकिन खुफिया सहयोग उससे पहले ही शुरू हो चुका था.
- कारगिल युद्ध, 26/11 और पुलवामा जैसे हमलों के बाद इजराइल ने भारत को तकनीकी सहायता, सर्विलांस उपकरण और रणनीतिक सलाह दी.
- Mossad और RAW के बीच कई बैठकें, इंटेलिजेंस एक्सचेंज, और एंटी-टेरर ट्रेनिंग पहले से चल रही हैं.
क्या आतंकवाद की रीढ़ तोड़ी जा सकती है?
अगर दोनों एजेंसियां साथ मिलकर काम करती हैं, तो क्या-क्या संभव है, क्या रणनीति अपनाई जा सकती है, और क्या इससे पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद की रीढ़ तोड़ी जा सकती है. इसे भी समझने की कोशिश करते हैं:
ज्वाइंट खुफिया नेटवर्क
- पाकिस्तान के अंदर, अफगानिस्तान, गल्फ देशों और अफ्रीका में मौजूद आतंकियों और उनके समर्थकों की निगरानी और पहचान.
- डार्क वेब, फंडिंग चैनल्स, हवाला नेटवर्क और हथियार आपूर्ति पर नजर.
हाई-प्रिसीजन ‘टारगेटेड ऑपरेशन’
- Mossad के अंदाज में आतंकियों का चुपचाप सफाया (जैसे ऑपरेशन Wrath of God)
- RAW की स्थानीय जानकारी और Mossad की तकनीक का मेल आतंकियों के लिए जानलेवा होगा.
- ऐसे ऑपरेशन पाकिस्तान, तुर्की, मलेशिया या खाड़ी देशों में हो सकते हैं, जहां भारत सीधे कार्रवाई नहीं कर सकता लेकिन मोसाद के साथ कर सकता है.
साइबर वॉरफेयर और इन्फो-डोमिनेशन
- आतंकियों की डिजिटल गतिविधियों, सोशल मीडिया नेटवर्क, और आतंकी गतिविधियों और कट्टरवाद फैलाने वाले पूरे नेटवर्क को मोसाद की साइबर टीम से ध्वस्त करना.
- फेक आईडीज़, डिजिटल जासूसी, और साइबर ट्रैप से जिहादी नेटवर्क को तोड़ना.
- मोसाद के विशेषज्ञता वाले ‘फॉल्स फ्लैग’ ऑपरेशन जिनमें दुश्मन को भ्रम में डालकर अंदर से हमला किया जाता है.
- RAW के ग्राउंड एसेट्स का उपयोग कर, पाकिस्तान या PoK में भ्रम पैदा कर आतंकियों के बीच विश्वास खत्म करना.
ऑपरेशनल ट्रेनिंग और Joint Units
- भारतीय स्पेशल फोर्स, NSG, Para SF को इजराइली शैली की अर्बन वॉरफेयर, होस्टेज रेस्क्यू और Black Ops की ट्रेनिंग देना.
- भविष्य में एक जॉइंट टास्क फोर्स (JTF) तैयार की जा सकती है जो No Mans Land या विदेशों में ऑपरेशन कर सके.
आतंकवाद की जड़ों पर सीधा प्रहार
भारत की नीति अब धीरे-धीरे रक्षात्मक से आक्रामक रुख की ओर बढ़ रही है. लेकिन यह रुख पारंपरिक युद्ध के बजाय गुप्त युद्ध (Shadow War) की दिशा में भी जा सकता है. जिससे मोसाद के साथ गठजोड़ इस रणनीति को मजबूत बना सकता है. जिससे आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में फौज और खुफिया एजेंसियां युद्ध की अगली पंक्ति में खड़ी होंगी. यदि RAW और Mossad ने खुलकर सहयोग बढ़ाया, तो पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद की जड़ों पर सीधा प्रहार किया जा सकता है. फिलहाल भारत का आने वाले दिनों में क्या एक्शन होगा इस पर सस्पेंस बना हुआ.
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