
केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी. (फाइल फोटो)
पर्यावरण संरक्षण में भारत के वैश्विक नेतृत्व का एक दशक पूरा हो रहा है. केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी ने एक पोस्ट में भारत के पर्यावरण संरक्षण के बारे में बताया है. 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ग्लासगो में COP26 में दुनिया को संबोधित किया था. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण पर भारत की यात्रा विश्व को दिखाती है कि दूरदर्शिता, दृढ़ संकल्प और जिम्मेदारी के साथ जलवायु और आर्थिक विकास का संतुलित संयोजन संभव है.
इस समय, पीएम मोदी ने भारत को 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के लिए प्रतिबद्ध किया था. कई लोगों ने इसे एक महत्वाकांक्षी, शायद दूर की आकांक्षा के रूप में देखा. हालांकि, कुछ वर्षों के भीतर, भारत ने 2015 में अपना पहला राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान दिया था. 2022 में अपेक्षा से पहले ही संशोधित एनडीसी को अपना लिया है. आज, भारत 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों की ओर तेजी से आगे बढ़ने वाले विश्व के अग्रणी देशों में से एक है.
जीवन जीने का एक तरीका
भारत की जलवायु प्रतिबद्धता जीवन जीने का एक तरीका है. प्रधानमंत्री ने दुनिया को मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिए जीवनशैली) से परिचित कराया. इसमें हर नागरिक को अपनी भूमिका निभाने की परिकल्पना की गई है. जी. किशन रेड्डी ने बताया कि यह नजरिया केवल व्यक्तिगत गतिविधियों तक सीमित नहीं है. यह कोयला और खनन उद्योगों सहित हर क्षेत्र तक फैला हुआ है.
ऊर्जा क्षेत्र में अहम परिवर्तन
पिछले एक दशक में भारत के ऊर्जा क्षेत्र में अहम परिवर्तन हुआ है. स्थापित बिजली क्षमता में कोयले की हिस्सेदारी 2014-15 में लगभग 60 प्रतिशत से घटकर 2024-25 में सिर्फ़ 47 प्रतिशत रह गई है. साथ ही, नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में भी वृद्धि हुई है, जो मात्र 20 प्रतिशत से बढ़कर 82 प्रतिशत तक पहुंच गई है, जो स्वच्छ ऊर्जा की ओर एक निर्णायक बदलाव को दर्शाता है.
यह परिवर्तन खासकर कोयला और खान मंत्रालय द्वारा विभिन्न प्रभावी तरीकों से पृथ्वी को वापस देने के लिए किए गए निरंतर प्रयासों की वजह से है:
हरित खनन: कोयला एरोमोबिलाइजेशन के लिए प्रोत्साहन जीवाश्म ईंधन आधारित ऊर्जा के लिए स्वच्छ भविष्य की दिशा में एक कदम है. हाईवॉल माइनिंग और फर्स्ट-माइल कनेक्टिविटी जैसे उत्सर्जन को कम कर रहे हैं.
खनन उद्योग और अधिक आधुनिक होता जा रहा है और परिवहन प्रणाली भी अधिक आधुनिक होती जा रही है. खनन जल का संरक्षण और अधिक कुशल परिवहन प्रणाली स्थिरता के प्रति क्षेत्र की प्रतिबद्धता को और अधिक प्रतिबिंबित करती है.
भूमि अधिग्रहण: कोयला मंत्रालय ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में 2,459 हेक्टेयर से अधिक खनन भूमि को हरा-भरा कर उसे इको-पार्क और जंगलों में परिवर्तित कर दिया है. इसके तहत 54 लाख से अधिक पौधे लगाए गए हैं.
सौर प्रगति: कोयला मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2025-26 तक 3 गीगावाट और 2030 तक 9 गीगावाट सौर क्षमता का लक्ष्य रखा है, जो मुख्य रूप से कैप्टिव उपयोग के लिए है.
ऊर्जा परिवर्तन: हालांकि कोयला उत्पादन 1 बिलियन टन को पार कर गया है, फिर भी भारत का ऊर्जा मिश्रण अभी भी नवीकरणीय ऊर्जा पर जोर देता है.
ऊर्जा सुरक्षा: राष्ट्रीय महत्वपूर्ण खनिज मिशन के अंतर्गत, भारत 16,300 करोड़ रुपए की लागत से हरित प्रौद्योगिकी के लिए महत्वपूर्ण खनिजों के लिए एक मजबूत वैल्यू श्रृंखला का निर्माण करेगा.
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