• Tue. Apr 15th, 2025

हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, संविदा कर्मियों को मातृत्व अवकाश का देना होगा वेतन

ByCreator

Apr 13, 2025    150811 views     Online Now 143

वीरेंद्र गहवई, बिलासपुर। संविदा कर्मियों के लिए हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला दिया है. कोर्ट ने आदेश दिया कि केवल संविदा कर्मचारी होने के आधार पर मातृत्व अवकाश (Maternity leave) का वेतन देने से इनकार नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने स्टाफ नर्स को अवकाश अवधि का वेतन देने के निर्देश दिए हैं. न्यायमूर्ति अमितेन्द्र किशोर प्रसाद की एकल पीठ ने राज्य प्राधिकरणों को निर्देश दिया कि वे याचिकाकर्ता द्वारा दायर मातृत्व अवकाश के वेतन संबंधी दावा पर तीन माह के भीतर नियमानुसार निर्णय लें.

न्यायालय ने कहा कि मातृत्व और शिशु की गरिमा के अधिकार को संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है. इसे प्रशासनिक अधिकारियों की इच्छा पर निर्भर नहीं किया जा जा सकता. कोर्ट ने राज्य के अधिकारियों को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता द्वारा मातृत्व अवकाश वेतन की मांग पर नियमानुसार तीन माह के माह के भीतर निर्णय लिया जाए.

याचिकाकर्ता राखी वर्मा, जिला अस्पताल कबीरधाम में स्टाफ नर्स के रूप में संविदा पर कार्यरत हैं. उन्होंने 16 जनवरी 2024 से 16 जुलाई 2024 तक मातृत्व अवकाश के लिए आवेदन किया था. इसे स्वीकृत कर लिया गया. उन्होंने 21 जनवरी 2024 को एक कन्या को जन्म दिया और 14 जुलाई 2024 को पुनः ड्यूटी ज्वाइन की. इसके बावजूद, उन्हें मातृत्व अवधि का वेतन नहीं दिया गया. इससे उन्हें और उनके नवजात को आर्थिक कठिनाई का सामना करना पड़ा. उन्होंने 25 फरवरी 2025 को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को वेतन की मांग का आवेदन प्रस्तुत किया. कार्रवाई न होने पर उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की.

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता श्रीकांत कौशिक ने तर्क दिया कि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (अवकाश) नियम, 2010 के नियम 38 के अंतर्गत मातृत्व अवकाश एक विधिक अधिकार है, जो संविदा कर्मचारियों पर भी समान रूप से लागू होता है.

See also  क्या टीम इंडिया ने पुणे T20 जीतने के लिए की बेईमानी? आकाश चोपड़ा ने सरेआम उठाए सवाल

याचिकाकर्ता की ओर से पूर्व में दिए गए कोर्ट के निर्णय का हवाला दिया, जिसमें संविदा कर्मचारियों को मातृत्व लाभ दिये जाने की पुष्टि की गई थी. उन्होंने यह भी तर्क रखा कि वेतन न देना अनुच्छेद 14 और 16 के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन है, क्योंकि यह स्थायी व अस्थायी कर्मचारियों के मध्य अनुचित भेदभाव को जन्म देता है. राज्य की ओर से महाधिवक्ता ने तर्क प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता संविदा पर नियुक्त थीं और उन्हें स्थायी कर्मचारियों की भांति लाभ प्राप्त करने का अधिकार नहीं है.

कोर्ट ने कहा कि मातृत्व अवकाश का उद्देश्य मातृत्व की गरिमा की रक्षा करना है, ताकि महिला व उसके बच्चे का पूर्ण व स्वस्थ विकास हो हो सके. संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत जीवन के अधिकार में मातृत्व का अधिकार और प्रत्येक बच्चे के पूर्ण विकास का अधिकार भी सम्मिलित है.सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का उल्लेख करते हुए जस्टिस एके प्रसाद की सिंगल बेंच ने कहा कि मातृत्व लाभ अधिनियम एक कल्याणकारी कानून है. और इसे केवल नियमित कर्मचारियों तक सीमित नहीं रखा जा सकता. कोर्ट ने छत्तीसगढ़ सिविल सेवा अवकाश नियम, 2010 के नियम 38 एवं अन्य लागू दिशा-निर्देशों के अनुसार शासन को विचार करने और आदेश की प्रति प्राप्त होने की तिथि से तीन माह के भीतर इस संबन्ध में उपयुक्त निर्णय पारित करने के निर्देश दिए.

[ Achchhikhar.in Join Whatsapp Channal –
https://www.whatsapp.com/channel/0029VaB80fC8Pgs8CkpRmN3X

Join Telegram – https://t.me/smartrservices
Join Algo Trading – https://smart-algo.in/login
Join Stock Market Trading – https://onstock.in/login
Join Social marketing campaigns – https://www.startmarket.in/login

See also  UP: पहले पति ने भेजा तलाकनामा, नहीं मानी पत्नी तो सामने जाकर दिया ट्रिपल तलाक
0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments
0
Would love your thoughts, please comment.x
()
x
NEWS VIRAL