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कैसे हुई नाग पंचमी मनाने की शुरुआत, नागों को क्यों प्रिय है पंचमी तिथि?

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Jul 22, 2025    150810 views     Online Now 490
कैसे हुई नाग पंचमी मनाने की शुरुआत, नागों को क्यों प्रिय है पंचमी तिथि?

नागों को क्यों प्रिय है पंचमी तिथि?

इस साल नाग पंचमी 27 जुलाई को मनाई जाएगी. हिंदू धर्म में नाग पंचमी का पर्व का खास महत्व है. यह नागों की पूजा का पर्व है. इस दिन हिंदू धर्म के लोग पूरे विधि-विधान से सांपों की पूजा की जाती है.

नागों का अस्तित्व महर्षि कश्यप और उनकी पत्नी कद्रू से माना जाता है. भविष्य पुराण की मानें तो यही दोनों नाग जाति के माता-पिता हैं. नाग पंचमी का त्यौहार भारत देश में अलग-अलग हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है. इसे मानने की शुरुआत के पीछे एक पौराणिक कथा बताई जाती है.

सांपों की माता कद्रू ने ही दिया था अपने बच्चों को श्राप

पौराणिक कथा के अनुसार एक बार ऋषि की दोनों पत्नियों कद्रू और विनीता साथ में विहार कर रही थीं, तभी उन्हें एक सफेद घोड़ा दिखाई दिया. कद्रू ने कहा कि इस घोड़े की पूंछ काली थी लेकिन विनीता बोली कि नहीं घोड़े की बहुत पूंछ सफेद थी. कद्रू विनीता से हारना नहीं चाहती थी इसलिए उन्होंने अपने पुत्रों से कहा कि वह जाकर पूंछ से ऐसे लिपट जाएं जिससे ऐसा प्रतीत हो की पूंछ काली है. लेकिन जब पुत्रों ने ऐसा करने से मना कर दिया तो कद्रू ने अपने ही बच्चों को श्राप दे दिया कि पांडव वंश के राजा जनमजेय होंगे जो तुम्हारा विनाश करेंगे. तुम यज्ञ में जलकर मर जाओगे.

आस्तिक मुनि ने बचाये थे सांपों के प्राण

वैसा ही हुआ राजा जनमजेय के पिता राजा परीक्षित को सृप ने डस लिया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई. इसी से नाराज होकर राजा जनमजेय ने सर्प मेध यज्ञ किया, जिसमें करोड़ों नाग जलकर भस्म होने लगे. तभी आस्तिक मुनि पहुंचे और उन्होंने राजा को ऐसा न करने के लिए मना लिया. नागों पर उन्होंने ठंडा दूध डाला जिससे नागों का जीवन बच गया. तब ब्रह्मा जी ने प्रकट होकर नागों को धरती पर अपना अस्तित्व बचाए रखने का वरदान दिया. जिस दिन नागों की जान बची वो पंचमी तिथि थी. तभी से नागों को ये तिथि अत्यंत प्रिय है. तभी से इस तिथि को नागों की पूजा की जाती है, उन्हें दूध चढ़ाया जाता है और माना जाता है कि ऐसा करने से नाग देवता हमेशा उनकी रक्षा करेंगे.

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