
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू
हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने अनुशासनहीनता पर बड़ी कार्रवाई की है. मुख्यमंत्री सुक्खू ने तीन बड़े अफसरों को उनके पदों से हटा दिया है. सरकार ने विमल नेगी मौत मामले की जांच के बाद सुर्खियों में आए अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह ओंकार शर्मा, हिमाचल प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) डा. अतुल वर्मा और शिमला के पुलिस अधीक्षक (एसपी) संजीव गांधी को छुट्टी पर भेज दिया है.
सरकार ने एसीएस ओंकार शर्मा से सभी विभाग वापस ले लिए हैं. इसके साथ ही डीजीपी और एसपी शिमला को हटा दिया गया है, आईपीएस अशोक तिवारी को डीजीपी का जिम्मा सौंपा गया है, वहीं आईपीएस गौरव सिंह को एसपी शिमला का जिम्मेदारी दी गई है. डीजीपी और एसपी को कारण बताओ नोटिस भी जारी किए गए हैं. जिसमें पूछा गया है कि क्यों न आपके खिलाफ सस्पेंशन की कार्रवाई की जाए?. हालांकि अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह ओंकार शर्मा को कोई नोटिस नहीं है, लेकिन उनका सारा कार्यभार वापस ले लिए गया है. अतिरिक्त मुख्य सचिव कमलेश कुमार पंत होम, विजिलेंस और राजस्व विभाग के साथ पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष का पदभार देखेंगे.
‘अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं’
मंगलवार को सीएम सुक्खू की अध्यक्षता में 3 घंटे तक चली बैठक के बाद देर शाम यह फैसला लिया गया. सीएम ने साफ कर दिया है कि राज्य सरकार अनुशासनहीनता को किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं करेगी. इस बैठक में मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना, प्रधान सचिव विधि शरद कुमार लगवाल, सचिव राकेश कंवर एवं हाईकोर्ट के एडवोकेट जनरल अनूप रत्न शामिल हुए. इससे पहले दिल्ली दौरे से लौटने के बाद मुख्यमंत्री सुक्खू ने बीते सोमवार को तीनों अधिकारियों के आचरण (मिस कंडक्ट) को लेकर रिपोर्ट तलब की थी, जिसके आधार पर मंगलवार को निर्णय लिया गया.
विमल नेगी केस को लेकर सरकार नाराज
दरअसल विमल नेगी केस में जिस तरह वरिष्ठ अधिकारियों की खींचतान की वजह से राज्य सरकार की किरकिरी हुई थी उससे सीएम काफी नाराज थे. दिल्ली से लौटने के बाद उन्होंने मंगलवार को अधिकारियों की कोर टीम के साथ बातचीत की और मंगलवार को बैठक के दौरान इस पर फैसला लिया गया.
विमल नेगी केस में डीजीपी ने बंद लिफाफे में हाईकोर्ट में रिपोर्ट दी थी, जो शिमला पुलिस द्वारा की जा रही जांच के पूरी तरह से खिलाफ थी. अतिरिक्त मुख्य सचिव ने हाईकोर्ट में अपनी स्टेटस रिपोर्ट महाधिवक्ता से समीक्षा करवाए बिना दायर कर दी, वहीं एसपी शिमला की रिपोर्ट इससे अलग थी. इन्हीं तथ्यों के आधार पर राज्य सरकार की फजीहत हुई थी जिसके बाद हाईकोर्ट ने केस को सीबीआई को सौंप दिया था.
इनपुट- लियाकत
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