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जम्मू-कश्मीर चुनाव में अब ‘हलाल-हराम’ की एंट्री, आखिर क्यों भिड़े दो पूर्व CM? – Hindi News | Halal haram jamaat e islami PDP Mehbooba Mufti National Conference Umar Abdullah

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Aug 31, 2024    150837 views     Online Now 214
जम्मू-कश्मीर चुनाव में अब 'हलाल-हराम' की एंट्री, आखिर क्यों भिड़े दो पूर्व CM?

जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती

जम्मू-कश्मीर में जैसे-जैसे चुनाव की तारीख नजदीक आ रही है वैसे-वैसे सियासी खेल दिलचस्प होते जा रहे हैं. चुनाव में अब हराम और हलाल की एंट्री भी हो गई है. पीडीपी चीफ महबूबा मुफ्ती ने जमात-ए-इस्लामी (JEI) पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग की है ताकि उसके चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो सके. इसके साथ-साथ उन्होंने जमात-ए-इस्लामी को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला की टिप्पणी को अफसोसजनक बताया.

नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि जमात-ए-इस्लामी कभी चुनावों को हराम मानती थी, लेकिन अब उसे हलाल यानी सही मान रही है. इस पर महबूबा मुफ्ती ने 1987 का जिक्र करके नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष पर हमला बोला. उन्होंने कहा कि जब जेईआई और अन्य ग्रुपों ने चुनाव में शामिल होने की कोशिश की थी तो नेशनल कॉन्फ्रेंस ने बड़े स्तर पर अनियमितताएं की. क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि जम्मू-कश्मीर की सियासत में उनके अलावा कोई और उभरे. उनके कारण ही जेईआई और अन्य समूहों ने चुनाव का बहिष्कार किया था.

उमर अब्दुल्ला के बयान के बाद शुरू हुआ हंगामा

नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने मंगलवार को कहा था कि प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी नेताओं को लेकर कहा था कि देर आए दुरुस्त आए. हमें बताया गया था कि चुनाव हराम (निषिद्ध) हैं, लेकिन अब चुनाव हलाल (अनुमति) हो गए हैं. कभी नहीं से देर से ही सही बेहतर है. पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि वह लंबे समय से कह रहे हैं कि लोकतंत्र ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है.

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उन्होंने आगे कहा था कि 35 साल तक जमात-ए- इस्लामी ने एक खास राजनीतिक विचारधारा का पालन किया जो अब बदल गई है. यह अच्छी बात है. हम चाहते थे कि जमात पर प्रतिबंध हटाया जाए और वे अपने चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़े, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. यह अभी भी अच्छी बात है कि वे स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं. उमर अब्दुल्ला के इसी बयान पर पीडीपी चीफ ने निशाना साधा.

‘हारने पर चुनाव को हराम बताती है नेशनल कॉन्फ्रेंस’

महबूबा मुफ्ती ने उमर अब्दुल्ला के बयान को खेद जनक बताया. उन्होंने कहा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस जब चुनाव जीतती है तो उसे हलाल और हारती है तो उस समय चुनाव को हराम कहती है. उन्होंने दावा किया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने ही चुनाव के संबंध में हराम और हलाल कहानी की शुरुआत की. जब वे मुख्यमंत्री बने थे तो चुनाव हलाल थे, लेकिन जब पद से हटा दिया गया तो फिर चुनाव हराम हो गया.

फारूक अब्दुल्ला भी लड़ाई में कूदे

हराम और हलाल को लेकर विवाद बढ़ा तो इस लड़ाई में नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला भी कूद पड़े. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को कश्मीर के बचाने के प्रयासों की तरह ध्यान देने की नसीहत दे दी. उन्होंने कहा कि एक दूसरे दलों पर हमला करने से कुछ नहीं होने वाला है. जमात-ए- इस्लामी के चुनाव लड़ने पर एनसी सुप्रीमो ने कहा कि अच्छी बात है.

दोनों इस्लामी शब्द हैं

हराम और हलाल दोनों इस्लामी शब्द हैं और दोनों काफी मशहूर भी हैं. हलाल का मतलब कोई चीज जो जरूरी हो और हराम का अर्थ होता है वो चीज जो वर्जित हो. मौजूदा वक्त में ये दोनों ही शब्द जम्मू-कश्मीर की सियासत में छाए हुए हैं. अब देखने है कि इन दो शब्दों की वजह से केंद्र शासित प्रदेश की सियासत किस करवट बैठती है.

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