
जालौन के दीपेश से जर्मनी की जूलिया ने लिए सात फेरे
बता दें कि प्यार की कोई सीमा नहीं होती, यह बात जर्मनी (Germany) की रहने वाली जूलिया ने साबित कर दी है. एक छोटी सी मुलाकात दोस्ती के बाद प्यार में बदली और फिर जालौन के रहने वाले दीपेश के साथ हिंदू रीति-रिवाज के साथ 7 फेरे ले लिए और उसे अपनी जिंदगी का हमसफर बना लिया. होली से ठीक एक दिन पहले जूलिया ने अपने विदेशी मेहमानों के साथ आकर यहां दीपेश संग शादी रचा ली.
दोनों ने 12 मार्च को होली के एक दिन पहले हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार सात फेरे लिए. शादी में सनातन परंपराओं का पूरा ध्यान रखा गया. मंत्रोच्चार के बीच अग्नि को साक्षी मानकर दोनों ने विवाह बंधन में बंध गए. जालौन के जिले उरई मुख्यालय से मात्र 10 किमी की दूरी पर स्थित ग्राम कपासी निवासी मानवेन्द्र सिंह पटेल मनरेगा में संविदा पर टीए हैं, जिनकी पोस्टिंग जालौन में है.
जर्मनी में कर रहे हैं नौकरी
दीपेश पटेल, मानवेंद्र सिंह के इकलौते सुपुत्र हैं. उन्होने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस में मास्टर डिग्री हासिल की है. दीपेश के पिता मानवेन्द्र सिंह ने बताया कि बीएचयू से डिग्री प्राप्त करने के बाद दीपेश वियतनाम चले गए. वहां उन्होने एक साल तक पढ़ाया और उसके बाद इण्डोनेशिया तथा यूएसए में भी रहे, लेकिन करीब ढाई साल से वह जर्मनी में रह रहे हैं.
जॉब के दौरान हुई मुलाकात
दीपेश पटेल ने बताया कि जर्मनी में ही जॉब के दौरान उसकी मुलाकात जूलिया से हुई और फिर दोस्ती से शुरू हुआ सफर प्यार में बदल गया. ऐसे में उन्होंने अब जूलिया को जीवनसंगिनी बना लिया है. दीपेश ने इसके बारे में अपने माता पिता को पहले ही जानकारी दे दी थी. उन्होंने भी अपनी सहमति जताई तो फिर शादी की तैयारियां शुरू हुई और अब प्यार को मंजिल मिल ही गई. जूलिया अपने 10 मेहमानों के साथ भारत आई और यहां आकर उसे देश की संस्कृति और यहां के रीति-रिवाजों से रुबरु होने का मौका मिला. इस शादी को यादगार बनाने के लिए दीपेश के परिवार ने सनातनी परंपराओं के मुताबिक शादी की संपन्न कराया. दीपेश की मां क्रांति भी बेटे की शादी से बेहद खुश हैं. 12 मार्च को दोनों ने अग्नि को साक्षी मानते हुए दांपत्य जीवन में प्रवेश किया. इस दौरान विदेशी मेहमानों ने यहां की संस्कृति को सर्वश्रेष्ठ माना.
भारतीय और विदेशी संस्कृति का अनोखा संगम
दोनों की शादी भारतीय और विदेशी संस्कृति का अनोखा संगम रहा. यह विवाह के हर किसी के लिए खास था, क्योंकि एक ही मंडप के नीचे यहां की पवित्रता और आध्यात्मिकता का माहौल बन चुका था. शादी में शामिल मेहमानों विवाह के सारे संस्कार पूरे किए और उन्होंने नवविवाहितों को आशीर्वाद देते हुए उनके सुखमय जीवन की कामना की.
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