
जेनसोल, ब्लूस्मार्ट फ्रॉड
Gensol और Blusmart की मुसीबतें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं. हाल ही में SEBI की कार्रवाई के बाद अब Gensol Engineering और उससे जुड़ी कंपनी BluSmart पर भारत सरकार की नजर है. कंपनी कॉर्पोरेट मिनिस्ट्री के रडार पर है. मंत्रालय इन कंपनियों के खिलाफ कॉर्पोरेट गवर्नेंस में चूक और फंड के दुरुपयोग के आरोपों की जांच करने पर विचार कर रहा है.
SEBI ने हाल ही में Gensol के प्रमोटर भाई अनमोल और पुनीत जग्गी पर शेयर बाजार से बैन लगा दिया था. आरोप है कि उन्होंने फंड का गलत इस्तेमाल किया और दस्तावेज़ों में गड़बड़ी की. SEBI ने एक फॉरेंसिक ऑडिट का भी आदेश दिया है.
बंद होने लगीं सर्विसेज
फिलहाल BluSmart जो कि एक इलेक्ट्रिक व्हीकल राइड-हेलिंग कंपनी है उसने अपनी सर्विसेज बंद करनी शुरू कर दी है. अब मंत्रालय इस बात की जांच करेगा कि कहीं इन कंपनियों ने प्रमोटरों के व्यक्तिगत खर्चों के लिए, जैसे कि लग्ज़री अपार्टमेंट की खरीद, परिवार के सदस्यों को ट्रांसफर या निजी कंपनियों में निवेश के लिए फंड का इस्तेमाल तो नहीं किया.
कितना था लोन
SEBI की रिपोर्ट के अनुसार Gensol ने कुल ₹977.75 करोड़ का लोन लिया था, जिसमें से ₹663.89 करोड़ की राशि 6,400 इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EVs) खरीदने के लिए थी. लेकिन कंपनी ने सिर्फ 4,704 गाड़ियाँ खरीदीं, जिसकी लागत ₹567.73 करोड़ थी. इस हिसाब से लगभग ₹262.13 करोड़ का कोई हिसाब नहीं है.
हालांकि अभी तक मंत्रालय ने Gensol या BluSmart को कोई नोटिस जारी नहीं किया है. यह प्रक्रिया केवल जांच आदेश जारी होने के बाद शुरू होती है.मामला अब कॉर्पोरेट गवर्नेंस और सार्वजनिक धन के दुरुपयोग से जुड़ा है, जिसे मंत्रालय गंभीरता से ले रहा है. यदि शुरुआती मूल्यांकन में चूक की पुष्टि होती है, तो मंत्रालय द्वारा औपचारिक जांच या पूछताछ शुरू की जा सकती है.
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