
प्लास्टिक बैग्स में सब्जियां रखने के गंभीर नुकसान Image Credit source: Pexels
भारतीय घरों में अक्सर महिलाएं सब्जियां खरीदकर उन्हें ऐसे ही प्लासिटक की थैलियों में ही फ्रिज में स्टोर कर लेती हैं. ये आदत आम है लेकिन कितनी खतरनाक हो सकती है इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता है. हाल ही में एक स्टडी में में खुलासा हुआ है कि प्लास्टिक की थैलियां में रखी चीजें कैसे आपके हेल्थ को नुकसान पहुंचा सकती हैं.
आज कल आपको ज्यादातर खाने -पीने की चीजें प्लास्टिक बैग्स या कंटेनर में ही मिलती है. उन्हें फिर वैसे ही फ्रिज में स्टोर भी कर लिया जाता है. फिर चाहे वो बाहर से लाया सैंडविच हो या फिर पैक्ड फूड. लेकिन रोजाना की ये आम आदतें आपके सेहत को कैसे नुकसान पहुंचा रही हैं चलिए जानते हैं?
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क्या कहती है रिसर्च ?
NPJ साइंस ऑफ फूड जर्नल में छपे एक अध्ययन में बताया गया है कि, कैसे कांच और प्लास्टिक की बोतलों के ढक्कन को बार-बार खोलने और बंद करने से उनमें मौजूद माइक्रोप्लास्टिक और नैनोप्लास्टिक कण निकलते हैं और हमारी ड्रिंक्स में घुल जाते हैं.
खाने -पीने की चीजों रिसर्च करने वाली संस्था फूड पैकेजिंग फोरम की साइंटफिक कम्युनिकेशन ऑफिसर बताती हैं कि, “रिसर्च से पता चला है कि बोतल खोलने के हर एक प्रयास के साथ माइक्रोप्लास्टिक्स की संख्या बढ़ती जाती है. यानी आप जितनी बार बोतल खोलेंगे माइक्रो और नैनोप्लास्टिक्स रिलीज होंगे. अध्ययन के अनुसार, अब तक बीयर, कैन्ड फिश, चावल, मिनरल वॉटर, टी बैग्स, टेबल सॉल्ट, टेकअवे फूड और सॉफ्ट ड्रिंक्स जैसे फूड्स और ड्रिंक्स में माइक्रो और नैनोप्लास्टिक कण पाए जा चुके हैं.
क्या होता है माइक्रोप्लास्टिक्स?
सबसे पहले जान लेते हैं कि माइक्रोप्लास्टिक्स होता क्या है. दरअसल, ये प्लास्टिक के छोटे-छोटे कण होते हैं, जो दिखाई भी नहीं देते हैं. प्लास्टिक के टूटने से बनते हैं. कभी-कभी इनका साइज थोड़ा बड़ा भी हो सकता है.वैज्ञानिकों के मुताबिक, ये आपको प्लास्टिक की हर चीज में मिल जाएंगे और अब तो ये हमारे खाने-पीने की चीजों में भी पहुंच चुके हैं. हाल ही में आई रिसर्च में इस बात का खुलासा भी हुआ है, जिसमें साफ तौर पर बताया गया है कि कैसे माइक्रोप्लास्टिक्स अब हमारे खाने को दूषित कर रहा है, जिससे सेहत को भी बुरा असर पड़ रहा है.
प्लास्टिक बैग्स में फूड रखना कितना जानलेवा?
आज कल आपको अमूमन चीजें चाहे फिर खाना, पीना हो या फिर बर्तन, में प्लास्टिक का यूज किया जा रहा है. ऐसे में माइक्रोप्लास्टिक हमारे खाने, पीने से लेकर किचन में भी तेजी से घुल रहा है, जिसका असर हमारे सेहत पर भी पड़ रहा है. ये कण इतने छोटे होते हैं की व्यक्ति के टिशूज में अब्जॉर्ब हो सकते हैं और खून के जरिए पूरे शरीर में फैल सकते हैं. रिसर्च में दावा किया गया है कि 96% तक चेक किए गए पैकेजिंग फूड में माइक्रोप्लास्टिक पाया गया है.
माइक्रोप्लास्टिक का शरीर पर पड़ रहा बुरा असर
हाल की रिसर्च में पाया गया है कि, माइक्रोप्लास्टिक अब लोगों के खून, फेफड़ों और दिमाग तक में फैल रहे हैं. आपको जान कर हैरानी होगी की एक अध्ययन में पाया गया कि, 80% लोगों के खून में माइक्रोप्लास्टिक मिला है. यानी की अब ज्यादातर लोग इससे प्रभावित हो रहे हैं. वहीं, इससे दिल की बीमारियों का भी खतरा बढ़ा है. एक और रिसर्च में पाया गया है कि करीब 58% लोगों की arteries में माइक्रोप्लास्टिक मिला है. इसकी वजह से ऐसे लोगों में हार्ट अटैक और स्ट्रोक होने की संभावना 4.5 तक ज्यादा है.
हार्वर्ड केशोधकर्ताओं ने माइकरोप्लास्टिक से होने वाली क्रॉनिक इंफ्लेमेशन को लेकर भी खास चिंता जताई है. इसके होने से शरीर में सूजन आती हैं जो लंबे समय तक बनी रहती है. लंबे समय तक शरीर में सूजन बने रहने से गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है. जैसे हार्ट डिजीज, ऑटोइम्यून डिजीज और यहां तक कैंसर का भी.
प्लास्टिक बैग्स नहीं ऐसे करें सब्जियों को स्टोर
प्लास्टिक बैग्स में सब्जियों या दूसरी चीजों को स्टोर करने के बजाय आप कई दूसरे तरीके आजमा सकती हैं. इसके लिए आप नेट के बैग्स, स्टील का बर्तन या फिर अच्छे मैटेरियल से बनी टोकरियों का इस्तेमाल कर सकती हैं. हालांकि, हमें उतनी ही सब्जियां या फल खरीदने चाहिए जितनी जरूरत हो. खरीदते समय कपड़े या नेट के बैग्स साथ कैरी करें.
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