लगातार तीन बार ब्याज दरों में कटौती करने के बाद अमेरिका के सेंट्रल बैंक फेड रिजर्व एक बार फिर से पॉज बटन को एक्टिव कर दिया है. इस बात का अंदाजा पहले ही लगाया जा रहा था कि डोनाल्ड ट्रंप के शपथ के बाद फेड ब्याज दरों में कटौती के सिलसिले को रोक देगा. सितंबर महीने से शुरू हुए रेट कट साइकिल को दिसंबर महीने जारी रखा गया. नवंबर और दिसंबर की मीटिंग में दो और रेट कट किया गया. इस तरह से ब्याज दरों में एक फीसदी की कटौती की गई.
इससे आम लोगों को तो राहत मिली. लेकिन आने वाले दिनों के लिए टेंशन भी बढ़ गई है. वो ये कि अमेरिकी इकोनॉमी के हिसाब से देश में अभी पॉलिसी रेट काफी ज्यादा है. अमेरिकी बैंक इसी पॉलिसी रेट की वजह से काफी परेशान थे. बीते कुछ महीनों की राहत तो जरूर मिली, लेकिन आम लोगों की ईएमआई और बैंकों की सेहत में सुधार के लिए और कट की जरूरत थी. जिसके पक्ष डोनाल्ड ट्रंप बिल्कुल भी दिखाई नहीं दिए. जिसकी वजह फेड ने इस साइकिल पर विराम लगा दिया.
फेड रेट में नहीं हुआ कोई बदलाव
अमेरिका के सेंट्रल बैंक फेड ने पॉलिसी दरों में कोई बदलाव नहीं किया है. जिसकी वजह से अगली पॉलिसी बैठक तक ब्याज दरों की रेंज 4.25-4.50 फीसदी ही रहेगी. इस फैसले का सबसे बड़ा दबाव महंगाई नहीं बल्कि डोनाल्ड ट्रंप हैं. जो काफी समय से रेट कट के विरोध में दिखाई दे रहे थे. वो अपने चुनावी कैंपेन में भी इस कट का विरोध करते हुए दिखाई दिए. साथ ही इकोनॉमी को आगे बढ़ाने के पक्ष में दिखे. जो रेट कट से बिल्कुल भी नहीं हो सकता. जिसकी वजह से फेड को मजबूरी में इस साइकिल पर ब्रेक लगाने को मजबूर होना पड़ा. फेड चेयरमैन ने कहा कि मौजूदा साल में सिर्फ दो रेट की संभावना है. जून के महीने में ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है. एक कटाैती साल के अंत में देखने को मिल सकती है.
2024 में एक फीसदी की थी कटौती
पिछले साल फेड रिजर्व में ब्याज दरों में तीन बार पॉलिसी रेट में कटौती की थी. सितंबर के महीने में ये सिलसिला 0.50 फीसदी की कटौती से शुरू हुआ था. उसके बाद नवंबर के महीने में ऐसे समय पर रेट कट हुआ. जब डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रापति का चुनाव अपने नाम कर चुके थे. साथ ही इस बात भी इशारा मिलना शुरू हो गया था कि जिस अग्रेसिव तरीके से फेड ने कटौती शुरूआत की थी, उसकी भले ही ना रुके लेकिन धीमी जरूर हो जाएगी. नवंबर के महीने में 0.25 फीसदी की कटौती की गई. दिसंबर में इसका भी प्रमाण मिल गया और कटौती को 0.25 फीसदी तक ही सिमित रखा गया. साथ इशारा किया कि जनवरी के महीने में होने वाली फेड मीटिंग में कोई बदलाव नहीं होगा. अभी से सिलसिला जो शुरू हुआ है, वो कुछ और मीटिंग तक जारी रह सकता है.
शेयर बाजार में गिरावट
फेड रेट के ऐलान होते ही अमेरिकी शेयर बाजार में तेज गिरावट देखने को मिली. कारोबारी सत्र के दौरान नैस्डैक 1 फीसदी से ज्यादा की गिरावट के साथ कारोबार करता हुआ दिखाई दिया. वहीं दूसरी ओर डाव जोंस में कारोबारी सत्र के दौरान 0.50 फीसदी तक की गिरावट देखने को मिली. एसएंडपी 500 करीब एक फीसदी गिरावट पर पहुंच गया.
अगर बात शेयरों की करें तो टेस्ला के शेयर 3 फीसदी तक गिर गए. वहीं अमेजन के शेयर में 0.50 फीसदी तक की गिरावट दिखाई देने लगी. दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी में से एक एपल के शेयर भी 0.50 फीसदी के साथ कारोबार करते हुए दिखाई दिए. माइक्रोसॉफ्ट के शेयर एक फीसदी से ज्यादा की गिरावट पर देखे गए. एनवीडिया के शेयरों में सबसे ज्यादा करीब 7 फीसदी की गिरावट देखने को मिली.
सोने के दाम में गिरावट
अमेरिका के कॉमेक्स बाजार में गोल्ड की कीमत में गिरावट देखने को मिल रही है. जिसका प्रमुख कारण डॉलर इंडेक्स का तेज होना है. जानकारों की मानें तो डॉलर में तेजी का प्रमुख कारण साल में दो और कट की संभावना है. कॉमेक्स पर गोल्ड फ्यूचर करीब 7 डॉलर प्रति ओंस की गिरावट के साथ 2,787.90 डॉलर प्रति ओंस पर कारोबार कर रहा है. वहीं दूसरी ओर गोल्ड स्पॉट के दाम 18 डॉलर प्रति ओंस की गिरावट के साथ 2,745.24 डॉलर प्रति ओंस पर कारोबार कर रहा है. जबकि चांदी के दाम में इजाफा देखने को मिल रहा है. सिल्वर फ्यूचर की कीमत 1.55 फीसदी की तेजी के साथ 31.36 डॉलर प्रति ओंस पर है. जबकि सिल्वर स्पॉट के दाम 0.70 फीसदी की तेजी के साथ 30.63 कारोबार करती हुई दिखाई दीं.
भारत पर क्या होगा असर?
भले ही अमेरिकी सेंट्रल बैंक ने अपने रेट कट में ब्रेक लगा दिया हो, लेकिन भारत का सेंट्रल बैंक फरवरी के महीने में रेट कट का ऐलान कर सकता है. मॉर्गन स्टानले की रिपोर्ट के अनुसार आरबीआई एमपीसी 0.25 फीसदी की कटौती कर सकती है. जिसके बाद आरबीआई के पॉलिसी रेट 6.25 फीसदी पर दिखाई दे सकते हैं. अगर ऐसा होता है तो आरबीआई एमपीसी मई 2022 के बाद रेपो रेट में कटौती करेगी. जोकि 0.40 फीसदी देखने को मिली थी.
खास बात तो ये है कि आरबीआई नए गवर्नर संजय मल्होत्रा पहली बार एमपीसी के पॉलिसी रेट का ऐलान करेंगे. उससे पहले पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास फरवरी 2023 के बाद से जो ब्याज दरों में पॉज बटन दबाया, वो उनके रिटायरमेंट तक दबा रहा. वैसे मौजूदा समय में देश में महंगाई दर 5 फीसदी से ऊपर बनी हुई है. वहीं दूसरी ओर देश की इकोनॉमिक ग्रोथ दूसरे तिमाही में 6 फीसदी से नीचे आ गई है. अनुमान लगाया जा रहा है कि मौजूदा वित्त वर्ष में देश की जीडीपी भी 7 फीसदी से नीचे रह सकती है. ऐसे में आरबीआई के लिए भी राह बिल्कुल भी आसान नहीं होने वाली है.
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