अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अपने रेसीप्रोकल टैरिफ के ऐलान के बाद उम्मीद की जा रही थी कि भारत के शेयर बाजार में गिरावट देखने को मिलेगी. ये उम्मीद यूं ही नहीं जगी थी. उसका एक कारण मंगलवार को अमेरिकी शेयर बाजारों का एक फीसदी से ज्यादा टूटना था. उसके बाद भी भारत के शेयर बाजार गुलजार होता हुआ दिखाई दिया. सेंसेक्स में दोपहर 12.30 बजे 943.87 से ज्यादा अंकों की तेजी देख रहा था. वहीं दूसरी ओर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में भी करीब 300 अंकों की तेजी देखने को मिल रही थी. इस तेजी की वजह से निवेशकों को 7 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का फायदा हुआ.
मंगलवार को, निफ्टी 50 में लगातार 10वें दिन गिरावट देखने को मिली, जो अप्रैल 1996 के बाद से सबसे लंबी गिरावट है. निफ्टी सितंबर 2024 के अपने शिखर 26,277 से लगभग 16 फीसदी टूट चुका था, जोकि 2008-09 के वित्तीय संकट के बाद से छठी सबसे बड़ी गिरावट और मार्च 2020 में कोविड-19 के कारण हुई गिरावट के बाद दूसरी सबसे बड़ी गिरावट थी. वहीं दूसरी ओर विदेशी निवेशकों ने साल 2025 में अब तक 14 बिलियन डॉलर शेयर बाजार से निकाल लिए हैं. इस बिकवाली का प्रमुख कारण अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प की टैरिफ धमकी और कमजोर होता हुआ रुपया है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर शेयर बाजार में किस तरह की गिरावट देखने को मिल रही है.
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शेयर बाजार में बंपर उछाल
5 महीनों से ज्यादा समय के बाद शेयर बाजार निवेशकों के चेहरे पर मुस्कुराहट देखने को मिली है. वो भी ऐसे दिन जब अमेरिका ने ‘जैसा को तैसा’ टैक्स यानी रेसीप्रोकल टैरिफ का ऐलान कर दिया है. जो कि 2 अप्रैल से लागू हो जाएगा. जानकारों को अनुमान था कि जिस तरह से ट्रंप ने भारत का नाम लेते हुए टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, शेयर बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिलेगी. लेकिन ऐसा देखने को नहीं मिला. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स में जबरदस्त रिकवरी देखने को मिली और 943.87 से ज्यादा अंकों की तेजी के साथ 73,933.80 अंकों के साथ दिन की ऊंचाई पर पहुंच गया.
जबकि एक दिन पहले शेयर बाजार 72,989.93 अंकों पर बंद हुआ. दोपहर 12.10 पर सेंसेक्स 820.18 अंकों की तेजी के साथ 73,806.76 अंकों पर कारोबार कर रहा है. वहीं दूसरी ओर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का प्रमुख सूचकांक निफ्टी 300 से ज्यादा अंकों की तेजी के साथ 22,375.05 अंकों के साथ दिन की ऊंचाई पर पहुंच गया. वैसे दोपहर 12.10 पर निफ्टी 275.60 अंकों की तेजी के साथ 22,358.25 अंकों पर कारोबार कर रहा है. एक दिन पहले निफ्टी 22,082.65 अंकों पर बंद हुआ था.
किन शेयरों में देखने को मिली गिरावट
तेजी वाले शेयरों की बात करें तो नेशनल स्टॉक एक्सचेंल पर ट्रेंट 5.80 फीसदी की तेजी देखने को मिल रही है. वहीं पॉवरग्रिड के शेयर 4.37 फीसदी, महिंद्रा एंड महिंद्रा 4.34 फीसदी, अडानी पोर्ट 4.19 फीसदी और टाटा स्टील के शेयर में 3.98 फीसदी का इजाफा देखने को मिल रहा है. बीएसई पर भारती एयरटेल, इंफोसिस, टीसीएस, एसबीआई, रिलायंस इंडस्ट्रीज, मारुति सुजुकी आदि शेयरों में इजाफा देखने को मिल रहा है. वहीं दूसरी ओर निफ्टी पर गिरावट वाले शेयरों की बात करें तो बजाज फाइनेंस के शेयर में 2 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिल रही है. जबकि एचडीएफसी, ग्रासिम बैंक, इंडसइंक, और बजाज फिनसर्व के शेयरों में 0.50 फीसदी से कम की गिरावट देखने को मिल रही है.
शेयर बाजार में तेजी के अहम कारण
विदेशी बाजारों में तेजी
बुधवार को अधिकांश एशियाई बाजारों में तेजी रही, जिसमें कनाडा और मैक्सिको पर अमेरिकी टैरिफ के आंशिक रोलबैक की उम्मीद के बीच MSCI एशिया एक्स-जापान इंडेक्स में 1% की बढ़त दर्ज की गई. हांगकांग के शेयरों में तेजी आई, लेकिन मंगलवार की बढ़त में युआन में कुछ कमी आई. बीजिंग ने 2025 के आर्थिक विकास लक्ष्य को लगभग 5% पर बनाए रखा है. हैंग सेंग इंडेक्स में 1.1% की तेजी आई. पिछले सत्र में 0.7 फीसदी की मजबूती के बाद चीन का ऑफशोर युआन 0.3 फीसदी गिरकर 7.2716 प्रति डॉलर पर आ गया. इस बीच, एमएससीआई का विश्व इक्विटी सूचकांक स्थिर रहा, तथा इसकी साप्ताहिक गिरावट 1.9% तक पहुंच गई.
कच्चे तेल का प्रभाव
बुधवार को लगातार तीसरे सत्र में तेल की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई. इस गिरावट का प्रमुख कारण बढ़ता ट्रेड वॉर और अप्रैल में उत्पादन बढ़ाने की ओपेक+ की योजनाओं के बीच ग्लोबल ग्रोथ में कमी आने की संभावना है. ब्रेंट क्रूड 15 सेंट गिरकर 70.89 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया, जबकि पिछले सत्र में यह 69.75 डॉलर के निचले स्तर पर पहुंच गया था – 11 सितंबर के बाद से यह इसका सबसे कम स्तर है.
FII की बिकवाली और DII की खरीदारी
मंगलवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 3,405.82 करोड़ रुपए के शेयर बेचे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) ने कुल 4,851.43 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे। जिसकी वजह से शेयर बाजार को थोड़ा सपोर्ट मिलता हुआ दिखाई दे रहा है. वैसे विदेशी निवेशक मौजूदा साल में 14 बिलियन डॉलर निकाल चुके हैं.
रुपए में डॉलर के मुकाबले में तेजी
भारतीय रुपया बुधवार को 0.04% बढ़कर 87.23 प्रति अमेरिकी डॉलर पर खुला, जबकि पिछले बंद भाव 87.2650 था। इस बीच, अमेरिकी डॉलर सूचकांक, जो यूरो, स्टर्लिंग और चार अन्य प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर को ट्रैक करता है, दो दिन की 1.9 फीसदी की गिरावट के बाद 105.60 पर थोड़ा बदला, जिसने इसे कुछ समय के लिए 105.49 पर धकेल दिया – जो 6 दिसंबर के बाद से इसका सबसे निचला स्तर है. नए अमेरिकी टैरिफ और कनाडा और चीन की जवाबी कार्रवाई के कारण बढ़ते ट्रेड वॉर को लेकर चिंताएं बढ़ने के कारण डॉलर इंडेक्स तीन महीने के लोअर लेवल पर पहुंच गया है.
शॉर्ट कवरिंग
प्रॉफिटमार्ट सिक्योरिटीज के रिसर्च हेड अविनाश गोरक्षकर ने मीडिया रिपोर्ट में कहा कि यह तेजी काफी राहत देने वाली हो सकती है. क्योंकि भारतीय बाजार लगातार 19 सत्रों तक लाल निशान पर कारोबार करने के बाद बढ़ रहा है. इस अवधि में, शॉर्ट पोजीशन का एक बड़ा ढेर लगा, खासकर एफआईआई द्वारा, जो लंबे अंतराल के बाद अपनी कुछ पोजीशन को कवर कर सकते हैं.
यूएस बॉन्ड यील्ड में गिरावट
भले ही बुधवार को यूएस ट्रेजरी यील्ड में बढ़ोतरी हुई हो, लेकिन यूएस डॉलर में मुनाफावसूली के बाद हाल के सत्रों में एसेट में कुछ बिकवाली देखी गई है. यह सुबह के सत्र के दौरान भारतीय शेयर बाजार में शॉर्ट कवरिंग का एक कारण भी हो सकता है.
शेयर बाजार निवेशकों को बड़ा फायदा
शेयर बाजार में तेजी की वजह से निवेशकों को जबरदस्त रिकवरी देखने को मिली. निवेशकों का फायदा और नुकसान बीएसई के मार्केट कैप से डिपेंड होता है. एक दिन पहले बीएसई का मार्केट कैप 3,85,07,568.89 करोड़ रुपए था, जोकि कारोबारी सत्र के दौरान बढ़कर 3,92,77,338.9 करोड़ रुपए पर आ गया. इसका मतलब है कि बीएसई के मार्केट कैप में 7,69,770.01 करोड़ रुपए का इजाफा देखने को मिला है. उससे पहले फरवरी के महीने में निवेशकों को 40 लाख करोड़ और अक्टूबर से फरवरी तक के बीच में निवेशकों को 90 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है.
क्या कहते हैं जानकार
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार ने मीडिया रिपोर्ट में कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ से पैदा हुई अनिश्चितता सर्वोच्च स्तर पर है और इसका असर बाजारों पर पड़ रहा है. जिसकी वजह से ट्रेडिंग वॉल्यूम में भारी गिरावट आई है. उन्होंने कहा कि कम वॉल्यूम पर बाजारों में गिरावट का मतलब मौजूदा लेवल से निरंतर गिरावट नहीं है. मौजूदा अराजक सिनेरियो में नई खबरें और घटनाक्रम बाजार की चाल को गति दे सकते हैं.
विजयकुमार ने कहा कि चीन, कनाडा और मैक्सिको द्वारा लगाए गए टैरिफ से अमेरिका के लिए बच पाना मुश्किल होगा. अमेरिका में महंगााई बढ़ेगी और फेड आक्रामक रुख अपनाएगा. अमेरिकी शेयर बाजार में तेज गिरावट की संभावना है. इससे ट्रंप की लोकप्रियता को नुकसान पहुंचेगा और बाजार में तेज गिरावट का नकारात्मक प्रभाव अमेरिका में विकास की मंदी को बढ़ा सकता है. जल्द ही, ट्रंप शासन को इसका एहसास हो जाएगा.
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