
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन
यूरोप और रूस की तल्खी बढ़ती जा रही है. युद्ध की शुरुआत तो नहीं हुई है, लेकिन रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का हाइब्रिड ऑपरेशन शुरू हो चुका है, जिसके टारगेट पर यूरोप के कई देश हैं. रूस से बढ़ते खतरे को देखते हुए यूरोप भी युद्ध की तैयारी कर रहा है. एस्टोनिया ने सबसे संवेनशील सीमा क्षेत्र में सैन्य बेस बनाने का फैसला है. इसके अलावा रूस की सीमा के करीब के देशों में यूरोप एक सुरक्षा कवच बनाने जा रहा है. फ्रांस और ब्रिटेन की सेना ने युद्धाभ्यास शुरू किया है.
खास बात है कि वॉर प्रैक्टिस में रिहायशी इलाकों में ऑपरेशन चलाने का अभ्यास हो रहा है. पुतिन को शक है कि यूरोप के सैनिक रूसी क्षेत्र में कब्जे की. रूस की जमीन पर हो रहे हर धमाके की वजह अब यूरोप का बारूद है. यूरोप के हथियारों से ही रूस में तबाही मच रही है और रूसी सैनिकों की जिंदगी खत्म हो रही है. रूस ने कभी सोचा नहीं था कि अमेरिका का युद्ध से किनारा करने के बाद भी यूक्रेन इतनी कड़ी टक्कर देने में कामयाब होगा.
ट्रंप काल में पुतिन के लिए अब सिर्फ जेलेंस्की दुश्मन नहीं हैं, बल्कि दुश्मनों की लिस्ट में ये तीन चेहरे सबसे ऊपर हैं. यूक्रेन सिर्फ हथियार हासिल नहीं कर रहा है बल्कि यूक्रेन को नई तकनीकें भी दी जा रही हैं. कई हथियार सीक्रेट तरीके से यूक्रेन पहुंचे हैं जिसे यूक्रेन अपने देश का प्रोडक्शन बता रहा है. यूक्रेन पिछने दिनों 2 मिसाइल बनाने का दावा कर चुका है. यूक्रेन लॉन्ग रेंज के कई ड्रोन भी बनाने का दावा कर रहा है और तो और यूक्रेन एयर डिफेंस की मिसाइल बना लेने का दावा भी कर रहा है.
पुतिन तक सीक्रेट रिपोर्ट पहुंची
पुतिन के लिए यू्क्रेन की ये कामयाबी हैरानी की वजह नहीं है क्योंकि रूसी खुफिया एजेंसी पुतिन तक अपनी सीक्रेट रिपोर्ट पहुंचा चुकी है, जिसके मुताबिक यूरोप से यूक्रेन में कई हथियारों के पार्ट्स लाए जा रहे हैं और यूक्रेन में उसे असेंबल किया जा रहा है. लेटेस्ट रिपोर्ट के मुताबिक, अब यूरोप को यकीन हो चुका है कि जल्द ही पुतिन के इंतकाम का एक्शन शुरु होने वाला है. यही वजह है कि एक तरफ यूरोप के सैनिक युद्ध की तैयारी कर रहे हैं तो दूसरी तरफ डिफेंस को भी मजबूत किया जा रहा है. सुरक्षा चक्र बनाने के साथ ही मुकाबले की भी तैयारी शुरु हो चुकी है.
युद्धाभ्यास की शुरुआत फ्रांस में हुई है. य़हां ब्रिटिश सैनिक भी पहुंचे हैं. दोनों देश के सैनिक शहरी क्षेत्र में युद्ध लड़ने का अभ्यास कर रहे हैं. भारी हथियारों के इस्तेमाल की जगह सैनिक सड़कों और रिहायशी इलाके में युद्ध लड़ने का अभ्यास कर रहे हैं. इस तरह के युद्धाभ्यास ने रूस को चौंकन्ना कर दिया है क्योंकि यूक्रेन के रिहायशी इलाकों में रूसी सेना मौजूद है. डोनेस्क समेत कई जगहों पर रूस कब्जे की कोशिश में है
खारकीव और सूमी में भी रिहायशी इलाकों में युद्ध चल रहा है.
फ्रांस और ब्रिटेन की सेना का प्लान
पुतिन को शक है कि फ्रांस और ब्रिटेन की सेना यूक्रेन के लिए तैयार की जा रही है ताकि यूक्रेन के कब्जे वाले इलाकों सो मुक्त कराने में आसानी हो सके. कुर्स्क और बेलगोरोद ऑपरेशन को लेकर भी रूस सचेत है. रूस को शक है कि फ्रांस और ब्रिटेन के सैनिक रूसी क्षेत्र पर कब्जा कर सकते हैं. जर्मनी ने बड़े हथियार कंपनी से संपर्क किया है. सभी हथियार कंपनी को एक खाल लक्ष्य दिया गया है. हथियार प्रोडक्शन को तीनगुना और चारगुना करने की कोशिश है.
फिलहाल फ्रांस और ब्रिटेन के सैनिक बख्तरबंद गाड़ियों से किसी इलाके में घुसकर दुश्मन पर हमले का अभ्यास कर रहे हैं. इस बीच पूर्वी यूरोप में भी एक खास मिशन को लॉन्च किया गया है. मिशन का कोड नाम, ड्रोन वॉल रखा गया है. ड्रोन वॉल के जरिए यूरोप में सुरक्षा कवच बनाया जा रहा है. रूस के हमलों को नाकाम करने का अभियान चलाया गया है. यूरोप का मिशन ड्रोन वॉल रूस से सटे इलाकों में शुरू होगा और बाद में इसे बढ़ाया जाएगा.
ड्रोन के लिए लगेंगे रडार
यूरोप एक ड्रोन दीवार बना रहा है, जिसका मकसद रूसी हमलों को नाकाम करना है. रूस से सटे एस्टोनिया में ड्रोन के लिए रडार लगाए जाएंगे. लातविया में भी ड्रोन की मौजूद पकड़ने वाले रडार रहेंगे. लिथुआनिया में भी चौकसी बढ़ेगी और तीनों देशों में अर्ली वॉर्निंग सिस्टम तैनात होंगे. इसके अलावा फिनलैंड में भी ऐसी ही व्यवस्था करने का प्लान है. स्वीडन में भी कई रडार लगाने जा रहे हैं. नॉर्वे में भी अर्ली वॉर्निंग सिस्टम तैनात रहेंगे. इसके अलावा ड्रोन गिराने के लिए एयर डिफेंस भी तैनात रहेंगे.
एस्टोनिया, लातविया, लिथुआनिया, फिनलैंड, स्वीडन, नॉर्वे हर जगह ऐसी मुस्तैदी होगी कि रूस के ड्रोन हमले को आगे न बढ़ने दिया जाए और यूरोप के तमाम देश सुरक्षित रहें. रूस ने फिनलैंड में यूरोप की तैयारियों को लेकर चेतावनी भी दी है. रूस की तरफ से कहा गया है कि फिनलैंड में सैनिक और हथियारों को जमा करने का गंभीर अंजाम भुगतना पड़ सकता है. फिनलैंड से बौखलाए रूस का क्रोध बढ़ाने वाली एक और खबर आई है. रूस सीमा पर एस्टोनिया नारवा में एक बेस बनाने जा रहा है. बेस पर हर वक्त 200 सैनिकों की तैनाती रहेगी इसके अलावा हथियार भी जमा रहेंगे.
हाइब्रिड वॉर की शुरुआत हुई
इंटेलिजेंस रिपोर्ट के मुताबिक, रूस ने भले ही यूरोप पर सीधा हमला नहीं किया है लेकिन हाइब्रिड वॉर की शुरुआत हो चुकी है. रूस ने यूरोप के कई देशों में हैकिंग कर चुका है. कोशिश यूरोपीय देश के अलग अलग सिस्टम को नुकसान पहुंचाने की होती रही है. यही वजह है कि यूरोप रूस से युद्ध की तैयारी में जुट गया. NATO की ताकत बढ़ाने के यूरोप के देश अब सुरक्षा पर अपना खर्च बढ़ाने जा रहे हैं.
पहले NATO को लेकर सबसे अधिक खर्च अमेरिका कर रहा था लेकिन अब छोटे छोटे देश भी अपना योगदान बढ़ा रहे हैं. जेलेंस्की का दावा है कि रूस ने हथियार प्रोडक्शन में चीन से मदद ली है. चीन के नागरिकों को ड्रोन प्रोडक्शन में लगाया गया है. चीन से हथियार बनाने के उपकरण मंगवाए जा रहे हैं. पुतिन को लग रहा है कि यूरोप की वजह से ही युद्धविराम नहीं हो रहा है और रूस यूक्रेन के जिन इलाकों पर कब्जा चाहता है वो मिशन पूरा नहीं हो रहा. इसलिए माना जा रहा है कि यूक्रेन को कमजोर करने के लिए रूस से यूरोप को भी किसी मोर्चे पर युद्ध में उलझाया जा सकता है.
ब्यूरो रिपोर्ट, TV9 भारतवर्ष
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