
नीतीश कुमार. (फाइल फोटो)
बिहार का उद्योग विभाग सिर्फ विभाग नहीं, बल्कि राज्य के आर्थिक उत्थान की रीढ़ बन चुका है. यह विभाग एक ऐसा आधार है, जिससे आत्मनिर्भर बिहार का सपना साकार हो रहा है. उद्योग विभाग राज्य के आर्थिक विकास और औद्योगिकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. बीते कुछ वर्षों में विभाग ने अनेक नवाचारपूर्ण योजनाएं, निवेश प्रोत्साहन, स्टार्टअप सहयोग से बिहार की औद्योगिक छवि को नई दिशा दी है.
राज्य में नई औद्योगिक (इंडस्ट्रियल) नीति, स्टार्टअप बिहार नीति, मुख्यमंत्री उद्यमी योजना, लॉजिस्टिक्स नीति और इंटीग्रेटेड मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर जैसी योजनाओं के तहत व्यापक सुधार और निवेश आकर्षित करने के प्रयास किए जा रहे हैं.
उद्योग विभाग का मकसद
उद्योग विभाग का मकसद स्थानीय उद्यमों को सशक्त बनाना, युवाओं को स्वरोजगार के अवसर देना, और बिहार को एक औद्योगिक (इंडस्ट्रियल) हब के रूप में स्थापित करना है. उद्योग विभाग की ओर से बिहार आइडिया फेस्टिवल, बिहार बिजनेस कनेक्ट, कौशल विकास कार्यक्रम, सिंगल विंडो क्लियरेंस सिस्टम जैसे आयोजन युवाओं को प्रेरित कर रहे हैं.
निवेश प्रस्तावों की समीक्षा
साथ ही राज्य में निवेश प्रस्तावों की समीक्षा और शीघ्र स्वीकृति की व्यवस्था को और अधिक प्रभावी बनाया गया है. मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत अब तक हजारों युवाओं, खासकर महिलाओं, अनुसूचित जाति/जनजाति और पिछड़ा वर्ग के उद्यमियों को सहायता दी गई है.
स्टार्टअप को वित्तीय सहायता
वहीं, स्टार्टअप बिहार नीति के तहत 1500 से अधिक स्टार्टअप को वित्तीय सहायता, मेंटरशिप और ब्रांडिंग में सहयोग प्रदान किया गया है. बिहार के प्रमुख जिलों में विकसित हो रहे औद्योगिक पार्क, फूड प्रोसेसिंग हब और टेक्सटाइल क्लस्टर रोजगार और निवेश उद्योग की संभावनाओं को बढ़ा रहे हैं.
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