डोनाल्ड ट्रंप. (फाइल फोटो)
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव का रोमांच केवल मतगणना और विजेता की घोषणा तक सीमित नहीं होता. इसमें कई जटिल प्रक्रियाएं शामिल हैं, जो इसे दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र का अनूठा उदाहरण बनाती हैं.
5 नवंबर 2024 को हुए राष्ट्रपति चुनावों में डोनाल्ड ट्रंप ने डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस को हराकर 312 इलेक्टोरल वोट्स के साथ एकतरफा जीत हासिल की. हालांकि, ट्रंप की जीत 6 नवंबर को ही साफ हो गई थी, फिर भी आधिकारिक घोषणा 6 जनवरी को होगी. आइए समझते हैं कि आखिर ऐसा क्यों होता है?
चुनाव प्रक्रिया की जटिलता
अमेरिकी चुनाव प्रक्रिया में जनता के सीधे वोट से राष्ट्रपति का चुनाव नहीं होता. इसके बजाय, 50 राज्यों और वाशिंगटन डीसी में इलेक्टोरल कॉलेज के जरिए राष्ट्रपति चुना जाता है. कुल 538 इलेक्टोरल वोट्स होते हैं, और किसी भी उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनने के लिए 270 वोट्स चाहिए. 5 नवंबर को मतगणना के बाद विजेता तय हो जाता है, लेकिन इसके बाद कई प्रक्रियाएं होती हैं, जो इसे औपचारिकता तक ले जाती हैं.
ये भी पढ़ें
सर्टिफिकेट ऑफ असर्टेनमेंट
चुनाव के तुरंत बाद हर राज्य में गवर्नर की तरफ से सर्टिफिकेट ऑफ असर्टेनमेंट जारी किया जाता है. यह दस्तावेज यह पुष्टि करता है कि किस उम्मीदवार ने राज्य में इलेक्टोरल वोट्स जीते हैं.
सर्टिफिकेट में यह भी लिखा होता है कि जीतने वाले इलेक्टर्स किस उम्मीदवार को राष्ट्रपति पद के लिए वोट देंगे. हर राज्य में सर्टिफिकेट की सात कॉपियां बनती हैं, जिन पर गवर्नर का हस्ताक्षर और राज्य की मुहर होती है. किसी भी चुनावी विवाद की स्थिति में दोबारा काउंटिंग की जा सकती है. इस कारण यह पूरा प्रोसेस लंबा खिंचता है.
11 दिसंबर तक सभी राज्यों की तरफ से इलेक्टर्स की लिस्ट सत्यापित कर दिया जाता है. इसके बाद 17 दिसंबर को सभी 50 राज्यों के कुल 538 इलेक्टर्स अपने वोट डालते हैं. अमेरिकी संविधान में यह कहीं नहीं लिखा है कि इलेक्टर को पॉपुलर वोट को फॉलो करना होगा.
6 जनवरी को क्यों होती है आधिकारिक घोषणा?
दरअसल सभी राज्यों से इलेक्टर के वोट 6 जनवरी को वॉशिंगटन पहुंचते हैं. यहीं अमेरिकी संसद कैपिटल हिल है. जनवरी के पहले हफ्ते में सांसदों का संयुक्त सत्र (जॉइंट सेशन) बुलाया जाता है. इसी सत्र में उपराष्ट्रपति के सामने ही इलेक्टर्स के वोटों को गिना जाता है.
जो कैंडिडेट 538 में से 270 वोटों के आंकड़े को पार कर जाएगा, उसके नाम का नए राष्ट्रपति के रूप में ऐलान हो जाता है. यह प्रक्रिया उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की अध्यक्षता में होनी है क्योंकि वह सीनेट की अध्यक्ष हैं.
आधिकारिक घोषणा क्यों जरूरी?
6 जनवरी को इलेक्टर्स के वोटों की गिनती के बाद ही यह आधिकारिक रूप से तय होता है कि राष्ट्रपति पद पर कौन काबिज होगा. यह प्रक्रिया न केवल चुनाव परिणामों को कानूनी रूप से मान्यता देती है, बल्कि यह सुनिश्चित करती है कि कोई विवाद न रहे. अमेरिकी लोकतंत्र की इस प्रक्रिया की ऐतिहासिक जड़ें हैं. यह प्रणाली 1787 में अमेरिका के संविधान निर्माताओं ने तय की थी ताकि राज्यों और केद्रीय सरकार के बीच संतुलन बना रहे.
[ Achchhikhar.in Join Whatsapp Channal –
https://www.whatsapp.com/channel/0029VaB80fC8Pgs8CkpRmN3X
Join Telegram – https://t.me/smartrservices
Join Algo Trading – https://smart-algo.in/login
Join Stock Market Trading – https://onstock.in/login
Join Social marketing campaigns – https://www.startmarket.in/login