
जेलेंस्की और ट्रंप.
व्हाइट हाउस में डोनाल्ड ट्रंप से बहस के बाद यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की की कुर्सी खतरे में आ गई है. यूरोप से लेकर अमेरिका और यूक्रेन तक के लोगों की नजर जेलेंस्की की राष्ट्रपति कुर्सी पर है, जिसके वैधता पर रूस लगातार सवाल उठा रहा है. अब द सन ने दावा किया है कि अमेरिकी अधिकारी शांति समझौते से पहले जेलेंस्की को पद से हटाने की कवायद में लगे हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी अधिकारियों ने यह संकेत दिया है कि जब तक जेलेंस्की राष्ट्रपति पद पर रहेंगे, तब तक ट्रंप के अनुसार समझौता नहीं हो सकता है. समझौता न होने की सूरत में अमेरिका का ज्यादा नुकसान हो सकता है.
जेलेंस्की का कार्यकाल पूरा
2019 में वोलोदिमीर जेलेंस्की राष्ट्रपति चुने गए थे. राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद उन्होंने नाटो की सदस्यता को लेकर मोर्चा खोल दिया. अमेरिका ने सहयोग करने की बात कही, जिसके बाद रूस बौखला गया. रूस ने फरवरी 2022 को यूक्रेन पर हमला कर दिया, तब से अब तक दोनों देशों के बीच युद्ध जारी है.
जेलेंस्की 2024 में अपना कार्यकाल पूरा कर चुके हैं. पुतिन और रूस के नेता लगातार इसे मुद्दा बना रहे हैं. इन नेताओं का कहना है कि कार्यकाल खत्म होने के बाद भी जेलेंस्की पद पर कैसे रह सकते हैं?
दूसरी तरफ यूक्रेन का कहना है कि शांति समझौता होने के बाद ही देश में राष्ट्रपति का चुनाव कराया जाएगा.
ट्रंप के खांचे में फिट नहीं जेलेंस्की
वैसे तो ट्रंप और जेलेंस्की के बीच सियासी अदावत की शुरुआत साल 2019 में ही हो गई थी, लेकिन व्हाइट हाउस विवाद के बाद स्थिति और ज्यादा खराब हो गई है. स्काई न्यूज ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि जेलेंस्की ने न तो ट्रंप की ड्रेस कोड का पालन नहीं किया.
मुलाकात के दौरान जेडी वेंस ने सवाल उठाया कि आप प्रेसिडेंट ट्रंप को थैंक्यू तक नहीं बोलना चाहते हैं, लेकिन हम आपके लिए काम कर रहे हैं. वेंस ने इस दौरान यह भी सवाल उठाया कि आप डेमोक्रेट्स नेताओं से मिलते हैं.
अमेरिका के बागी नेताओं की सत्ता गई
इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहते हुए अमेरिका के खिलाफ ही मोर्चा खोल रखा था, जिसके बाद उन्हें अपनी सत्ता गंवानी पड़ी. इसी तरह बांग्लादेश में शेख हसीना की कुर्सी चली गई.
अफगानिस्तान में तालिबान और अमेरिका में दोस्ती के बाद अशरफ गनी को भागना पड़ गया. इस तरह के दर्जनों उदाहरण हैं, जब अमेरिकी सरकार ने विरोधी रूख वाले नेताओं की सत्ता गिरा दी. इसी तरह सीरिया के असद के साथ हुआ.असद ने अमेरिका के साथ समझौता नहीं किया, जिसके बाद वहां के बागियों ने ही सरकार उखाड़ दी.
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