फरवरी के शुरूआती दिनों को याद कर लीजिए जब रुपए में बड़ी गिरावट देखने को मिली थी. 10 फरवरी को डॉलर के मुकाबले में रुपया 87.94 के लेवल के साथ लाइफ टाइम लोअर लेवल पर पहुंच गया था. तब करेंसी मार्केट के जानकारों का अनुमान था कि फाइनेंशियल ईयर तक रुपया और भी ज्यादा लुड़कते हुए 88 के लेवल को पार कर जाएगा. लेकिन किसी को क्या पता था कि रुपया या यूं कहें कि आरबीआई किस तरह की प्लानिंग कर रहा है.
रुपए ने ऐसा काउंटरअटैक किया कि वो अपने लोअर लेवल से करीब 2 फीसदी तक रिकवर हो चका है. इस तरह के काउंटर अटैक अभी थमने वाले नहीं है. करेंसी मार्केट के एक्सपर्ट ने अपने अनुमान में बदलाव किया है. अब उनका मानना है कि नए वित्त वर्ष की पहली तिमाही में रुपया डॉलर के मुकाबले में 86 के लेवल से उभरते हुए 85.50 के लेवल पर भी जा सकता है.
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अगर बात आज की करें तो रुपए में लगातार 5वें दिन तेजी देखने को मिल रही है. इस दौरान डॉलर के मुकाबले रुपए में करीब 1 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी देखने को मिल चुकी है. इसका मतलब है कि रुपया होली के पहले के लेवल से एक रुपए का सुधार देख चुका है. रुपए में सुधार का प्रमुख कारण डॉलर इंडेक्स में गिरावट, एक बार फिर से शेयर बाजार में तेजी, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और आरबीआई की ओर से किए जा रहे हैं.
वहीं दूसरी ओर भारत में महंगाई के आंकड़े कम हुए हैं. इसके अलावा दूसरे मैक्रो इकोनॉमिक डाटा के साथ आने वाले दिनों में देश का इकोनॉमिक आउटलुक बेहतर होने का संकेत दे रहा है. जिसकी वजह से डॉलर के मुकाबले में रुपए में तेजी देखने को मिल रही है. आइए आपको भी बताते हैं कि गुरुवार को रुपए में डॉलर के मुकाबले में किस तरह की तेजी देखने को मिल रही है और आने वाले दिनों में रुपए में कितना सुधार देखने को मिल सकता है उसके बारे में चर्चा करते हैं.
रुपए लगातार 5वें दिन तेजी
गुरुवार को शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 12 पैसे बढ़कर 86.25 पर पहुंच गया, जो घरेलू इक्विटी में सकारात्मक रुख और विदेशी बाजार में डॉलर में कमजोरी की वजह से देखने को मिला. फॉरेन करेंसी ट्रेडर्स ने कहा कि भारतीय रुपए ने बाहरी दबावों के खिलाफ जबरदस्त काउंटरअटैक किया है, जिसे डेट मार्केट में मजबूत विदेशी फ्लो से समर्थन मिला है.
हालांकि, विदेशी संस्थागत निवेशकों की निरंतर बिकवाली और ट्रम्प के टैरिफ रुख को लेकर अनिश्चितता के कारण जोखिम बना हुआ है, जो रुपए की तेजी के लिए चुनौतियां खड़ी कर सकता है. इंटरबैंक फॉरेन करेंसी एक्सचेंज मार्केट में, रुपया डॉलर के मुकाबले 86.39 पर खुला, फिर कुछ बढ़त के साथ 86.25 पर पहुंच गया, जो पिछले बंद से 12 पैसे अधिक है. बुधवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 19 पैसे बढ़कर 86.37 पर बंद हुआ.
12 मार्च को डॉलर के मुकाबले में रुपया 87.22 के लेवल पर बंद हुआ था. उसके बाद से गुरुवार का दिन लगातार 5वां कारोबारी सत्र है, जब डॉलर के मुकाबले में रुपए में तेजी देखने को मिल रही है. तब से अब तक रुपए में 1 रुपए की तेजी देखने को मिल चुकी है. इसका मतलब है कि 5 कारोबारी दिनों में डॉलर के मुकाबले में 1.11 फीसदी का इजाफा देखने को मिल चुका है. जिसे इंडियन इकोनॉके लिए बड़ी खबर माना मा रहा है.
अभी और होगी रुपए में तेजी
एचडीएफसी सिक्योरिटीज में करेंसी कमोडिटी के करेंसी हेड अनुज गुप्ता ने कहा कि आने वाले दिनों में रुपए में सुधार देखने को मिल सकता है. उन्होंने कहा कि रुपया-डॉलर इस फाइनेंशियल के खत्म होने और नए फाइनेंशियल ईयर की पहली तिमाही के दौरान रुपया डॉलर के मुकाबले में 86.42 से 86.90 के बीच के बीच में कारोबार करता हुआ दिखाई दे सकता है.
सीआर फॉरेक्स एडवाइजर्स के मैनेजिंग डायरेक्टर अमित पबारी ने कहा कि निकट भविष्य में यूएसडी-आईएनआर जोड़ी 86 और 86.80 के बीच कारोबार करने की उम्मीद है. एफआईआई के आउट फ्लो और तरलता की कमी की स्थिति बनी रहने के कारण, 86.50-86.60 की सीमा की ओर थोड़ा उछाल आने की संभावना है.
वहीं दूसरी ओर जिस तरह से भारत और अमेरिका का मैक्रो इकोनॉमिक आउटलुक देखने को मिल रहा है. उससे यही लगता है कि अगले 40 दिनों में रुपया 85.50 के लेवल पर भी दिखाई देगा. एक करेंसी एक्सपर्ट ने नाम ना प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि आरबीआई एमपीसी रेट कट करेगा, जिसकी वजह से इकोनॉमी को मजबूती मिलेगी और रुपया स्ट्रांग होगा.
उन्होंने कहा कि साथ ही आने वाले दिनों में कच्चे तेल के दाम में गिरावट देखने को मिलेगी और रुपए में सुधार की संभावनाएं बढ़ जाएंगी. अमेरिकी फेड भी कह चुका है इस साल दो कट जरूर होंगे. जिसके असर डॉलर के इंडेक्स में गिरावट आनी तय है. ऐसे में रुपए को बूस्ट करेगा. ऐसे में कोई दूसरा कारण नहीं दिखता कि जो रुपए के 86 के लेवल से नीचे आने से रोक और 85.50 के लेवल पर पहुंचने ना दे.
टूट डॉलर का सपना
ऐसे में डॉलर का एक बड़ा सपना टूटता हुआ दिखाई दे रहा है, जो उसने ट्रंप के शपथ लेने से पहले देखा था. 10 जनवरी को डॉलर इंडेक्स 110 के लेवल से ऊपर पहुंच गया था. उसके एक महीने के बाद रुपया 87.94 के लेवल के साथ 10 फरवरी को लाइफटाइम लो पर आ गया था. जिसके बाद कई करेंसी जानकारों की ओर से अनुमान लगाए जाने लगे थे कि रुपया अभी और भी नीचे जाएगा. फाइनेंशियल ईयर खत्म होने तक 88 के लेवल से पार और उसके बाद 2026 की पहली तिमाही में 90 के लेवल से पार का सपना दिखाया जाने लगा था, जो रुपए और भारत की इकोनॉमी के लिए काफी खतरनाक था. लेकिन अब जो डाटा सामने आने लगाया है उसने सभी अनुमान को ध्वस्त कर दिया. साथ की डॉलर के उस सपने को भी चकनाचूर कर दिया है, जो उसे दिखाया गया था. अगर बात 20 मार्च की करें तो डॉलर इंडेक्स में 0.04 फीसदी की गिरावट देखने को मिल रही है और 103.38 पर कारोबार कर रहा था.
कच्चे और शेयर बाजार में तेजी
ग्लोबल ऑयल मार्केट में ब्रेंट क्रूड 0.58 फीसदी बढ़कर 71.19 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था. वहीं दूसरी ओर घरेलू शेयर बाजार में सेंसेक्स 445.32 अंक या 0.59 फीसदी बढ़कर 75,894.37 अंक पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 131.75 अंक या 0.58 फीसदी बढ़कर 23,039.35 अंक पर था. एक्सचेंज के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने बुधवार को शुद्ध आधार पर 1,096.50 करोड़ रुपए के शेयर बेचे.
इस बीच, बुधवार को जारी आरबीआई के मार्च बुलेटिन में कहा गया है कि मजबूत फिस्कल पॉलिसीज, एक अच्छी तरह से संतुलित मॉनेटरी फ्रेमवर्क और डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन से दीर्घकालिक सतत आर्थिक विकास के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करने की उम्मीद है. इसमें यह भी कहा गया है कि व्यापक आर्थिक बुनियादी बातें मजबूत बनी हुई हैं, तथा मजबूत घरेलू मांग, स्थिर निवेश गतिविधि, तथा नीति-संचालित बुनियादी ढांचे के विकास के साथ-साथ सरकारी खर्च में वृद्धि के कारण आर्थिक विकास की गति बरकरार रहने की संभावना है.
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