दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
दिल्ली शराब घोटाले में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद से लगातार उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने की मांग की जा रही है. जिसके लिए दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका भी दाखिल की गई है. जिस पर सोमवार को सुनवाई की गई. इस दौरान कोर्ट ने याचिका पर नाराजगी जाहिर करते हुए सख्त टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि ऐसी याचिका पर फाइन लगाना चाहिए.
अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने की याचिका आम आदमी पार्टी से निलंबित और दिल्ली के पूर्व मंत्री संदीप कुमार ने दायर की थी. जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता संदीप कुमार को फटकार लगाते हुए कहा कि हाई कोर्ट पहले ही इस तरह की मांग करने वाली दो याचिकाओं को खारिज कर चुका है, बावजूद इसके एक बार फिर से नई याचिका दाखिल की गई.
‘सस्ती लोकप्रियता के लिए दाखिल की याचिका’
इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि इस तरह की याचिका पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (PIL) न होकर महज सस्ती पब्लिसिटी हासिल करने के लिए दाखिल की गई है. ऐसे में याचिकाकर्ता पर भी भारी जुर्माना लगना चाहिए. इसके साथ ही इस मामले को जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद जस्टिस मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच के पास भेज दिया. इस मामले की अगली सुनवाई 10 अप्रैल को की जाएगी. सुनवाई के दौरान जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंचइसी तरह की याचिकाओं का निपटारा पहले कर चुकी है. इसीलिए इस मामले को भी मनमोहन की अध्यक्षता वाली बेंच के पास भेजना चाहिए.
कोर्ट दो याचिकाओं को पहले ही कर चुका है खारिज
वहीं पिछली दो याचिकाओं में सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि ये मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र का मामला है ऐसे में इस मामले में कोर्ट के दखल नहीं दे सकती. कोर्ट ने ये भी कहा था कि केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद पर बने रहना है या पद छोड़ना है इसका फैसला वो खुद करेंगे. वहीं अगर दिल्ली में कोई संवैधानिक संकट पैदा होता है तो दिल्ली के उप राज्यपाल या राष्ट्रपति फैसला लेंगे. इसके कोर्ट किसी भी तरह का कोई निर्देश नहीं सकता है.
आपको बता दें कि AAP के पूर्व विधायक और मंत्री संदीप ने अपनी याचिका में कहा है कि ईडी द्वारा गिरफ्तारी के बाद अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री का पद संभालने का अधिकार खो चुके हैं. ऐसे में उन्हें पद से हटा देना चाहिए.