
गुरदीप सप्पल, अजय माकन और डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी.
कांग्रेस ने मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिए बैठक बुलाने में मोदी सरकार द्वारा दिखाई गई जल्दबाजी पर सवाल उठाए हैं. पार्टी ने चयन समिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में 19 फरवरी को होने वाली सुनवाई को देखते हुए बैठक स्थगित करने की मांग की है. कांग्रेस कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए पार्टी के कोषाध्यक्ष अजय माकन, वरिष्ठ नेता डॉ. अभिषेक मनु सिंघवी और गुरदीप सप्पल ने बताया कि मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और कार्यकाल) अधिनियम, 2023 को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है.
डॉ. सिंघवी ने कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है और 19 फरवरी को इसकी सुनवाई है. ऐसे में सरकार को अपनी बैठक को स्थगित करना चाहिए और सुप्रीम कोर्ट में यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सुनवाई प्रभावी रूप से हो.
कई संवैधानिक और कानूनी समस्याएं
उन्होंने कहा कि इस नए कानून के अनुसार प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और लोकसभा में नेता विपक्ष की समिति मुख्य चुनाव आयुक्त का चयन करती है, लेकिन इसमें कई संवैधानिक और कानूनी समस्याएं हैं. सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च 2023 को एक फैसले में स्पष्ट रूप से कहा था कि मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों के चयन के लिए प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और मुख्य न्यायाधीश की समिति होनी चाहिए. वर्तमान समिति इस आदेश का स्पष्ट उल्लंघन है.
चुनाव आयोग की स्वतंत्रता सुनिश्चित
डॉ. सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि अगर केवल कार्यपालिका द्वारा नियुक्ति की प्रक्रिया होगी, तो यह आयोग को पक्षपाती और कार्यपालिका की शाखा बना देगा. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिए, मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों को कार्यपालिका के हस्तक्षेप से मुक्त रखा जाना चाहिए.
चुनाव आयुक्त नियुक्त
कांग्रेस नेता ने कहा कि वर्तमान समिति को जानबूझकर असंतुलित किया गया है, जिसमें केंद्र को दो तिहाई वोट दिए गए हैं. सरकार का उद्देश्य है कि ऐसा चुनाव आयुक्त नियुक्त किया जाए जो कभी भी सरकार के खिलाफ न खड़ा हो सके. उन्होंने पूछा कि मुख्य न्यायाधीश को इस समिति से बाहर रखने का कारण क्या है. इस सवाल का न तो संसद में और न ही बाहर कोई उत्तर दिया गया है.
स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर प्रभाव
उन्होंने कहा कि अगर यह चयन प्रक्रिया इसी तरह जारी रहती है, तो इसके दीर्घकालिक प्रभाव भारतीय चुनाव प्रणाली की स्वतंत्रता और निष्पक्षता पर पड़ेगा. यह सिर्फ मुख्य चुनाव आयुक्त के चयन का मामला नहीं है, बल्कि यह पूरे चुनाव आयोग की निष्पक्षता और वैधता पर असर डालता है.
सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद बैठक
कांग्रेस ने सरकार से यह आग्रह किया था कि वह सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के बाद ही बैठक का आयोजन करे और सुप्रीम कोर्ट को याचिका देकर मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम से संबंधित मामले की जल्द सुनवाई सुनिश्चित करे. उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार का पूर्ण समर्थन करेगी, लेकिन सरकार को अपना अहंकार छोड़कर यह मांग माननी चाहिए.
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