पटना। बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों को धार देने के लिए आज कांग्रेस मुख्यालय सदाकत आश्रम में प्रदेश स्तर की एक अहम बैठक आयोजित की गई है। बैठक में राज्यभर के सभी जिला कांग्रेस अध्यक्षों और कार्यकारी अध्यक्षों को बुलाया गया है। बैठक की अगुवाई प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम कर रहे हैं।

संगठन को सशक्त बनाना
सूत्रों के अनुसार, बैठक का मुख्य एजेंडा बूथ स्तर पर संगठन को सशक्त बनाना है। साथ ही, बिहार में चुनाव आयोग द्वारा कराए जा रहे सामाजिक-आर्थिक पुनरीक्षण को जनआंदोलन का रूप देने की रणनीति पर भी चर्चा होगी।
संगठनात्मक समीक्षा के साथ रणनीति
बैठक में सभी जिलाध्यक्षों के कार्यों की समीक्षा की जाएगी। खासतौर पर यह देखा जाएगा कि जनता के बीच कांग्रेस की ‘हर घर झंडा’ और ‘माई-बहिन मान योजना’ जैसे अभियानों को लेकर ज़मीन पर कितनी सक्रियता रही है।
इस बार बूथ स्तर पर फोकस
महिलाओं, दलितों और पिछड़े वर्गों की भागीदारी बढ़ाने पर है। बूथ कमेटियों के पुनर्गठन और सामाजिक समावेशन को लेकर भी जिलाध्यक्षों से फीडबैक लिया जाएगा।
टिकट वितरण में भूमिका होगी अहम
सूत्रों की मानें तो आगामी विधानसभा चुनाव में कैंडिडेट चयन और टिकट वितरण में जिलाध्यक्षों की राय अहम मानी जाएगी। ऐसे में पार्टी नेतृत्व सभी जिलाध्यक्षों की जमीनी पकड़ और संगठनात्मक क्षमता को करीब से परख रहा है।
विवाद सुलझाने की कोशिश
गौरतलब है कि तीन महीने पहले ही कांग्रेस ने राज्यभर में 40 जिलाध्यक्षों की नियुक्ति की थी। इनमें से 21 नए चेहरे हैं जबकि 19 को दोबारा मौका दिया गया है। जातिगत समीकरण को ध्यान में रखते हुए इनमें 14 सवर्ण, 5 दलित, 6 मुस्लिम और एक महिला अध्यक्ष बनाई गई हैं। 12 जिलों में कार्यकारी अध्यक्षों की भी तैनाती की गई है। हालांकि इस प्रक्रिया में विवाद भी देखने को मिले। बक्सर के जिलाध्यक्ष मनोज कुमार पांडे को पार्टी ने मल्लिकार्जुन खड़गे की सभा में कम भीड़ आने पर निलंबित कर दिया था। वहीं, औरंगाबाद के जिलाध्यक्ष राकेश कुमार सिंह ने कार्यकारी अध्यक्ष की समानांतर नियुक्ति से नाराज़ होकर इस्तीफा दे दिया था।