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आज के दौर में मोबाइल फोन हमारी जिंदगी का अहम हिस्सा बन गया है.सुबह उठने से लेकर रात सोने तक हम घंटों फोन का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसका हमारे दिमाग पर क्या असर होता है? क्या लगातार मोबाइल फोन का इस्तेमाल ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ा सकता है? आइए एक्सपर्ट से जानते हैं मोबाइल फोन का इस्तेमाल हमारे ब्रेन को किस तरह से प्रभावित कर रहा है और कैसे इससे बचा जा सकता है.
मोबाइल फोन से ब्रेन ट्यूमर का रिस्क बढ़ने का जिक्र इसलिए किया जा रहा है कि हर साल 8 जून को विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य लोगों को ब्रेन ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारी के बारे में जागरूक करना है. ब्रेन ट्यूमर एक ऐसी स्थिति है जिसमें दिमाग की कोशिकाएं असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और एक गांठ (ट्यूमर) बना लेती हैं. ये ट्यूमर दो तरह के हो सकते हैं. पहला सौम्य ये धीमी गति से बढ़ते हैं और कैंसरस नहीं होते. मैलिग्नेंट ये कैंसरस होते हैं और तेजी से फैलते हैं.
ब्रेन ट्यूमर के लक्षण
ब्रेन ट्यूमर के कुछ लक्षण होते हैं, जिससे पता चलता है कि ब्रेन में गांठ बन गया है. जैसे, सिरदर्द, उल्टी, दौरे, दृष्टि में धुंधलापन, याददाश्त में कमी और बोलने में कठिनाई शामिल हो सकते हैं.
मोबाइल फोन और ब्रेन ट्यूमर का संबंध
GB पंत अस्पताल में न्यूरोलॉजी विभाग के पूर्व हेड डॉ. दलजीत सिंह बताते हैं कि मोबाइल फोन से निकलने वाली रेडिएशन, जिसे रेडियोफ्रीक्वेंसी (RF) विकिरण कहा जाता है, हमारे दिमाग के पास ही रिसीव और ट्रांसमिट होती है. इसलिए कुछ लोगों को चिंता होती है कि क्या यह रेडिएशन ब्रेन ट्यूमर का कारण बन सकता है? हालांकि, इसका कोई सीधा संबंध नहीं है. अंदाजा लगाया जा रहा है कि मोबाइल फोन से निकलने वाले रेडिएशन ब्रेन ट्यूमर के रिस्क को ट्रिगर कर सकता है.
रिसर्च क्या कहती है?
वैज्ञानिकों ने इस विषय पर कई वर्षों से शोध किया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक एजेंसी, IARC (International Agency for Research on Cancer) ने 2011 में मोबाइल फोन से निकलने वाली RF रेडिएशन को संभावित कैंसरकारी (possibly carcinogenic) की श्रेणी में रखा था. इसका मतलब है कि मोबाइल फोन और ब्रेन ट्यूमर के बीच कोई “संभावित” संबंध हो सकता है, लेकिन पक्के सबूत नहीं हैं.
कई रिसर्च में यह पाया गया है कि जो लोग बहुत ज्यादा समय तक (10 साल या उससे ज्यादा) मोबाइल फोन का इस्तेमाल करते हैं, उनमें कुछ विशेष प्रकार के ब्रेन ट्यूमर (जैसे ग्लियोमा) का खतरा थोड़ा बढ़ सकता है. वहीं दूसरी ओर, कई बड़ी और लंबी स्टडीज ने मोबाइल फोन के इस्तेमाल और ब्रेन ट्यूमर के बीच कोई स्पष्ट संबंध नहीं पाया है.
क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
हालांकि इसका पुख्ता सबूत नहीं हैं कि मोबाइल फोन ब्रेन ट्यूमर का सीधा कारण है, लेकिन फिर भी सावधानी बरतना समझदारी है. कुछ आसान उपाय ये हैं. ईयरफोन या स्पीकर मोड का इस्तेमाल करें ताकि फोन सीधे सिर से न लगे. बच्चों को कम से कम मोबाइल का इस्तेमाल करने दें, क्योंकि उनका दिमाग ज्यादा संवेदनशील होता है. कॉल्स को छोटा रखें और चैटिंग या वीडियो कॉल की बजाय टेक्स्ट का इस्तेमाल करें. सोते समय मोबाइल को सिर से दूर रखें और एयरप्लेन मोड पर करें.
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