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सिंधु में खून बहाने वाले बिलावल औकात में आ गए, युद्ध का नाम सुनते ही गिड़गिड़ाने लगे

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May 6, 2025    150810 views     Online Now 392
सिंधु में खून बहाने वाले बिलावल औकात में आ गए, युद्ध का नाम सुनते ही गिड़गिड़ाने लगे

बिलावल भुट्टो

पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री और पीपीपी अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी हाल ही में सिंधु जल संधि खत्म होने पर भारत को खून-खराबे की धमकी दे रहे थे. हालांकि, लगता है अब वो होश में आ रहे हैं. क्योंकि अब भारत के सख्त रुख के बाद बिलावल शांति की अपील करते नजर आ रहे हैं. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने कड़ा कदम उठाते हुए सिंधु जल संधि को रद्द किया और पाकिस्तान के खिलाफ वैश्विक स्तर पर कूटनीतिक कार्रवाई शुरू कर दी.

इसका असर यह हुआ कि पाकिस्तान की जुबान अब नरम पड़ गई है और बिलावल अब युद्ध की बात करने के बजाय बातचीत और शांति की दुहाई देने लगे हैं. बिलावल भुट्टो ने उकसाऊ भाषण में कहा था कि ‘या तो सिंधु में पानी बहेगा या भारतीयों का खून’, अब कह रहे हैं कि पाकिस्तान शांति चाहता है और झूठ नहीं, बल्कि सच्चाई के साथ बात करना चाहता है. पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में उन्होंने कहा, भारत अगर शांति की राह पर चलना चाहता है तो खुली हथेलियों के साथ आए, मुट्ठियों के साथ नहीं. हम झगड़ा नहीं चाहते, बल्कि आज़ादी से प्यार करते हैं.

क्यों बदलने लगे तेवर?

इस बदले हुए रुख की एक बड़ी वजह भारत की तेज़ कूटनीति भी है. भारत ने न सिर्फ सिंधु जल संधि को रद्द किया, बल्कि अटारी एकीकृत चेकपोस्ट को बंद कर दिया, सार्क वीजा छूट योजना को निलंबित किया और पाकिस्तानी नागरिकों को 40 घंटे में देश छोड़ने का आदेश दिया. साथ ही दोनों देशों के हाई कमीशन से अधिकारियों की संख्या में भी कटौती कर दी गई. ये सभी कदम पाकिस्तान के लिए गहरी चोट साबित हुए.

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पाक की इंटरनेशनल बेइज्जती

भारत द्वारा उठाए गए कदमों के चलते पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी बेइज्जती हो रही है. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बंद कमरे में हुई बैठक में पाकिस्तान की झूठी ‘फॉल्स फ्लैग’ थ्योरी को खारिज कर दिया गया और लश्कर-ए-तैयबा जैसे प्रतिबंधित संगठनों की भूमिका पर सवाल उठाए गए. बैठक में पहलगाम आतंकी हमले की कड़ी निंदा की गई और धार्मिक पहचान के आधार पर पर्यटकों को निशाना बनाए जाने पर चिंता जताई गई.

बिलावल का यू-टर्न

बिलावल का यह यू-टर्न पाकिस्तान की आंतरिक कमजोरियों और अंतरराष्ट्रीय दबाव का सीधा परिणाम है. पहले जहां वे युद्ध की भाषा बोल रहे थे, वहीं अब वे खुद को आतंकवाद का शिकार बता रहे हैं. यह वही पाकिस्तान है जो दशकों से आतंक को पनाह देता आया है और अब खुद को मासूम बताने की कोशिश कर रहा है. भारत और पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण रिश्तों में यह घटनाक्रम एक अहम मोड़ है. यह साफ हो गया है कि भारत अब केवल बातचीत की नहीं, ठोस और निर्णायक कार्रवाई की नीति पर आगे बढ़ रहा है.

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