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बिहार बना देश का पहला राज्य, जहां तैयार हुई ‘महिला एथलीट स्वास्थ्य एवं कल्याण नीति’

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Jul 4, 2025    150813 views     Online Now 134

बिहार में में महिला खिलाडियों की निरंतर भागीदारी बढ़ रही है. महिलाओं में खेल के प्रति उत्साह को देखते हुए खेल विभाग, बिहार राज्य खेल प्राधिकरण और सरकार ने मिलकर स्वास्थ्य और कल्याण नीति बनाने की पहल की है. बिहार महिला एथलीट स्वास्थ्य एवं कल्याण नीति-2025 के ड्राफ़्ट पर विस्तार से परिचर्चा हुई. इस दौरान बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रवीन्द्रण शंकरण, निदेशक रविंद्र नाथ चौधरी पूर्व निदेशक संजय कुमार सिन्हा, उप निदेशक हिमांशु सिंह की उपस्थिति में खेल और विभिन्न क्षेत्रों की महिला विशेषज्ञों ने अपनी-अपनी राय रखी.

प्रमुख खिलाड़ियों ने रखे अपने विचार

इनके अलावा खिलाड़ियों में प्रमुख रूप से बिहार पुलिस अकादमी की निदेशिका आर मल्लार विज़्जी,ऑलंपियन तैराक माना पटेल,आईआईएम बोधगया की निदेशिका डॉ. विनीता एस सहाय, प्रसिद्ध महिला उद्यमी और आईटी विशेषज्ञ ब्रांड रेडियेटर की प्रबंध निदेशक हिमानी मिश्रा, दानी स्पोर्ट्स फाउंडेशन के निदेशक और टॉप्स के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी कमोडोर राजेश राजगोपालन, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ.ऋतुराज ,राजगीर स्पोर्ट्स अकादमी के मुख्य सलाहकार ऑलंपियन गविन फरेरा, सिंपली स्पोर्ट्स फाउंडेशन की अदिति मुतालकर, खेल मनोवैज्ञानिक डॉ.प्रिया, आईपीआरडी की कम्युनिकेशन एक्सपर्ट नूपुर झा, लीड स्पोर्ट्स न्यूट्रिशनिस्ट मिहिरा, एनआईएस पटियाला की खेल विज्ञान विशेषज्ञ डॉ.जाह्नवी दांडे,सहित 30 से ज्यादा विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे.

खेलों में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि

पिछले दशक में बिहार ने जमीनी स्तर और अभिजात वर्ग दोनों स्तरों पर खेलों में महिलाओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी है. 2022 के राष्ट्रमंडल खेलों में, महिलाओं ने भारत के कुल पदकों में से 40% से अधिक का योगदान दिया. पेरिस 2024 ओलंपिक में पदक स्पर्धाओं में लैंगिक समानता का वादा करते हुए, भारत ने अपने अब तक के सबसे अधिक लिंग-संतुलित दल भेजे. वैश्विक मंचों पर इस बढ़ती उपस्थिति ने महिला एथलीटों को अच्छी पहचान दिलाई है और देश भर में लाखों युवा लड़कियों को प्रेरित किया है.

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इस प्रगति के बावजूद, वैश्विक स्तर पर और भारत में अधिकांश खेल प्रणालियां महिला एथलीटों की शारीरिक और मनोवैज्ञानिक ज़रूरतों के अनुरूप नहीं बनाई गई हैं. वैश्विक स्तर पर, 80% महिला एथलीट मासिक धर्म से संबंधित लक्षणों का अनुभव करती हैं जो प्रदर्शन को प्रभावित करते हैं, फिर भी 10% से भी कम अपने कोच के साथ इस पर चर्चा करने में सहज महसूस करती हैं. भारत में, 82% महिलाओं ने बताया है कि मासिक धर्म उनके प्रशिक्षण और प्रदर्शन में बाधा डालता है.

स्वास्थ्य से जुड़े पहलुओं पर विस्तार से चर्चा

महिला खिलाडियों की खेल के दौरान मासिक धर्म संबंधी समस्याओं और इसके समाधानों , समुचित पोषण की कमी से होने वाली समस्या तथा इसका निदान, शारीरिक और मानसिक रुप से खेल के लिए सक्षम बनाने के वैज्ञानिक उपायों पर विशेष ध्यान देते हुए इस नीति का ड्राफ़्ट तैयार किया गया है जिससे की राज्य में महिला खिलाडियों की भागीदारी और उनके प्रदर्शन में और सुधार हो सके तथा ज्यादा से ज्यादा महिला खिलाड़ी राज्य और देश के लिए विभिन्न खेलों में मेडल जीत सकें.

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