
सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) को कानूनी शिक्षा के मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है और इसे ज्यूरिस्ट और लीगल एकेडमिक्स पर छोड़ देना चाहिए. शीर्ष अदालत ने केरल हाईकोर्ट के एक फैसले के खिलाफ बीसीआई की अपील को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की है.
बीसीआई ने केरल हाईकोर्ट के उस फैसले को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी, जिसमें हत्या के दोषियों को वर्चुअल तरीके से एलएलबी की कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति दी गई थी.
बीसीआई की अपील को किया खारिज
जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने बीसीआई की अपील को खारिज कर दिया और कहा कि मामले से जुड़ा कानूनी सवाल अभी खुला रहेगा. सुनवाई के दौरान जस्टिस कांत ने सवाल किया कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया को इस तरह के आदेश को क्यों चुनौती देनी चाहिए?
इसके जवाब में बीसीआई की ओर से पेश अधिवक्ता ने पीठ से कहा कि मामले में बड़ा सवाल दोषी छात्रों को वर्चुअल तरीके से कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति देने से संबंधित है, जो यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन के रेगुलेशन के खिलाफ है.
कानूनी की पढ़ाई करने की अनुमति
इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हाईकोर्ट ने दोषी व्यक्ति को कानूनी की पढ़ाई करने की अनुमति देकर एक रचनात्मक कदम उठाया है, ऐसे में बीसीआई को रूढ़िवादी दृष्टिकोण अपनाने के बजाए, हाईकोर्ट के फैसले का समर्थन करना चाहिए था. बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने केरल हाईकोर्ट के 2023 के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें हत्या के मामले में सजा काट रहे दो व्यक्तियों को जेल से ऑनलाइन मोड के एलएलबी की कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति दे दी गई थी.
[ Achchhikhar.in Join Whatsapp Channal –
https://www.whatsapp.com/channel/0029VaB80fC8Pgs8CkpRmN3X
Join Telegram – https://t.me/smartrservices
Join Algo Trading – https://smart-algo.in/login
Join Stock Market Trading – https://onstock.in/login
Join Social marketing campaigns – https://www.startmarket.in/login