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जिगर के टुकड़े को मारा, फिर कमरे में दफना दी लाश; पांच साल बाद मां-बाप और बुआ को उम्रकैद

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Feb 22, 2025    150813 views     Online Now 331
जिगर के टुकड़े को मारा, फिर कमरे में दफना दी लाश; पांच साल बाद मां-बाप और बुआ को उम्रकैद

बरेली जिला कोर्ट.

उत्तर प्रदेश के बरेली में 10 साल की बच्ची की हत्या कर उसे घर में ही दफना दिया. हत्या करने वाले उसके मां-बाप और बुआ थीं. घटना 2020 में हुई. मृतका की बुआ के बेटे ने पुलिस को घटना के बारे में बताया. उनसे पानी मां और मामा-मामी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई. दोषियों को अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अरविंद कुमार यादव ने उम्रकैद की सजा सुनाई है, साथ ही तीनों दोषियों पर 90 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

कोर्ट ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के नूपुर तलवार केस का भी जिक्र किया और कहा कि परिस्थिति जन्य साक्ष्य होने पर अभियोजन को हेतु सिद्ध करने की जरूरत नहीं होती. इस मामले में मृतका की बुआ के बेटे ने अपनी मां और मामा-मामी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी और गवाही भी दी थी.

2020 में हुई हत्या, ये थी घटना

घटना 17 अगस्त 2020 को बरेली के थाना इज्जतनगर क्षेत्र में हुई थी. 10 साल की बच्ची काजल की हत्या उसके माता-पिता रवि बाबू और ऋतु तथा बुआ राधा देवी ने मिलकर की थी. इसके बाद उन्होंने शव को घर के ही एक कमरे में गड्ढा खोदकर दफना दिया. मृतका के फुफेरे भाई सूरज ने पुलिस को बताया कि वह बचपन से ही अपने मामा के घर पर रहता था. घटना के दिन उसने देखा कि उसके मामा और मामी और मां कमरे में गड्ढा खोदकर काजल के शव को उसमें डाल रहे थे. जब सूरज ने कारण पूछा तो मामा ने कहा कि काजल अचानक बेड के नीचे गिर गई थी, जिससे उसकी मौत हो गई और इसलिए उसे दफनाया जा रहा है.

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सूरज को इस बात पर संदेह हुआ और उसने घटना के तीसरे दिन इज्जतनगर थाने पहुंचकर पुलिस को पूरी जानकारी दी. पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए कमरे के अंदर से बच्ची का शव बरामद किया और पोस्टमार्टम कराया. रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि काजल के शरीर पर चोटों के निशान थे और उसकी कलाई की हड्डी दो जगह से टूटी हुई थी. जांच में पता चला कि काजल ने घर में चल रहे अवैध संबंधों के बारे में खुलासा करने की धमकी दी थी. जिसके कारण उसकी हत्या कर दी गई. पुलिस ने सभी सबूतों को इकट्ठा कर आरोपियों के खिलाफ अदालत में मामला पेश किया.

कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा

अदालत में कुल सात गवाहों को पेश किया गया. जिनमें सबसे अहम गवाह सूरज था. उसके बयानों और सबूतों के आधार पर अदालत ने तीनों दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई. अदालत ने अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट के नूपुर तलवार केस का भी जिक्र किया और कहा कि परिस्थिति जन्य साक्ष्य होने पर अभियोजन को हेतु सिद्ध करने की जरूरत नहीं होती. जब सभी सबूत एक-दूसरे से जुड़े होते हैं तो आरोपी का दोष स्वतः सिद्ध हो जाता है. यह मामला न्याय व्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण मिसाल है, जिसमें अपराधियों को उनके किए की सजा मिली. सूरज की हिम्मत और सच्चाई के प्रति उसकी निष्ठा ने इस मामले को सुलझाने में अहम भूमिका निभाई. अदालत के इस फैसले से साफ संदेश गया कि कानून से कोई बच नहीं सकता, चाहे वह अपने ही परिवार के लोग क्यों न हों.

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