बांग्लादेश के पीएम मोहम्मद यूनुस और पाकिस्तान की पीएम
बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद धीरे-धीरे भारत के साथ संबंध वाला परिवर्तन भी हो रहा है. आज से लगभग एक महीने पहले जब नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस के हाथों में बांग्लादेश की सत्ता गई तो ऐसा लग रहा था कि बांग्लादेश में शांति आएगी. भारत के साथ संबंधों पर खास असर नहीं होगा लेकिन बांग्लादेश से जो खबरें आ रही हैं वो इन अनुमानों के बिल्कुल ही विपरीत है. ऐसा लग रहा है बांग्लादेश उसी राह पर जा रहा है जो अपने निर्माण से पहले पूर्वी पाकिस्तान के दौरान था.
मोहम्मद यूनुस सरकार की ओर से हाल ही में लिए गए पांच बड़े फैसले इस बात के गवाह है जिन्हें आप बांग्लादेश के पाकिस्तान प्रेम वाले सबूत के तौर पर भी समझ सकते हैं. बांग्लादेश की नई सरकार की नीतियों और नीयत में कुछ ऐसी ही चीजे झलक रही हैं.
पांच बड़े फैसले?
- बांग्लादेश पाकिस्तान से गोला बारूद खरीद रहा है.
- युनूस सरकार ने बांग्लादेश के वरिष्ठ हिंदू अफसरों की लिस्ट मांगी है. उनकी व्यक्तिगत जानकारी मांगी है.
- सरकार ने सत्ता में आने के कुछ ही दिनों बाद खूंखार आतंकवादी संगठन अंसारुल्लाह बांग्ला टीम (ABT) के प्रमुख जसीमुद्दीन रहमानी को रिहा किया था.
- बांग्लादेश की ‘सत्ता’ में भारत विरोधी जमात-ए-इस्लामी का दखल बढ़ रहा है.
- बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति को लेकर एक रिपोर्ट आई है जिसके अनुसार बांग्लादेश के 52 जिलों में करीब एक महीने में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के 205 से अधिक मामले सामने आए हैं.
पहले बात करते हैं बांग्लादेश और पाकिस्तान की गोला-बारूद वाली दोस्ती की. जिसको लेकर भारत की सरकार अलर्ट पर है. बांग्लादेश ने अब अपनी रक्षा रणनीति में बड़ा बदलाव किया है वो पाकिस्तान से गोला-बारूद का आयात लगातार बढ़ रहा है.
- बांग्लादेश ने पाकिस्तान ऑर्डिनेंस फैक्ट्री से 40000 राउंड गोला-बारूद लेगा
- 2000 यूनिट टैंक गोला-बारूद
- 40 टन RDX विस्फोटक
- 2900 हाई-इंटेंसिटी वाले प्रोजेक्टाइल का ऑर्डर दिया है
- ये पिछले वर्ष के ऑर्डर की तुलना में बड़ी वृद्धि है
- बांग्लादेश को पाकिस्तान से ये शिपमेंट तीन चरणों में मिल सकती है
- पहले चरण के हथियार इसी महीने मिल सकते हैं
- दिसंबर 2024 तक ये डील पूरी हो जाएगी.
वैसे तो पाकिस्तान से हथियार खरीदना किसी देश का निजी फैसला है, लेकिन जो देश आतंकवाद की फैक्ट्री चलाने के लिए कुख्यात है, जो खुद दूसरे देशों के हथियार पर निर्भर है, उस देश से हथियार खरीदना और वो भी सत्ता परिवर्तन के तुरंत बाद, ये फैसला लेना कई शंकाएं पैदा करता है.
हिंदुओं की सुरक्षा की चिताएं और बढ़ा दीं
अब यूनुस सरकार के एक और फैसले की बात करते हैं. सत्ता परिवर्तन के बाद से बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले बढ़े हैं, इस पर पूरी तरह से रोक लगी नहीं कि यूनुस सरकार ने एक और विवादित फैसला ले लिया है. जिससे बांग्लादेश के हिंदुओं की सुरक्षा की चिताएं और बढ़ा दी हैं.
- बांग्लादेश के राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ से एक नोटिफिकेशन जारी किया गया
- टिफिकेशन में बांग्लादेश के मंत्रालयों और विभागों के वरिष्ठ हिंदू अधिकारियों की लिस्ट मांगी गई
- नोटिफिकेशन के जरिए हिंदू अधिकारियों की व्यक्तिगत जानकारी मांगी गई
- नोटिफिकेशन के सामने आते ही हिंदू अधिकारियों में डर फैल गया.
- इसके बाद सवाल पूछे जा रहे हैं क्या बांग्लादेशी सरकार धर्म के आधार पर अधिकारियों से भेदभाव कर रही है
- बांग्लादेश के राष्ट्रपति की तरफ से केवल हिंदू अधिकारियों की सूची क्यों मांगी गई.
हालांकि दावा ये किया जा रहा है कि राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन हर साल दुर्गा पूजा पर दशमी की पूजा का आयोजन करते हैं. नोटिफिकेशन में अधिकारियों से उनकी निजी जानकारी इसलिए मांगी गई ताकि उनके आयोजन में शामिल होने के लिए एक लिस्ट बनाई जा सके, लेकिन हिंदुओं में डर होना भी स्वाभाविक है क्योंकि एक सच ये भी है कि 5 अगस्त से लेकर अब तक बांग्लादेश में 50 से अधिक हिंदू शिक्षाविदों को अपनी नौकरी से इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया है.
बांग्लादेश के मंत्री से मिले पाक के मंत्री
बांग्लादेश की सत्ता में कैसे पाकिस्तान का प्रभाव बढ़ रहा है इसको एक और उदाहरण से समझते हैं. आज से 6 दिन पहले 1 सितंबर को पाकिस्तान के उच्चायुक्त सैय्यद अहमद ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मंत्री नाहिद इस्लाम से मुलाकात की थी. एक रिपोर्ट के अनुसार नाहिद इस्लाम ने इस मुलाकात में पाकिस्तान के साथ 1971 का मसला सुलझाने की बात की थी. दोनों देशों के बीच वर्ष 1971 की लड़ाई एक अहम मुद्दा रही है. इससे पहले 30 अगस्त को पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ ने अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस से बात की थी. बांग्लादेश में क्या हो रहा है ये तो पूरी दुनिया देख रही है.
बांग्लादेश का चीन प्रेम भी जाग गया है
आपको बांग्लादेश के चीन प्रेम वाली कहानी भी बताते हैं. कुछ दिन पहले ही बांग्लादेश में जमात-ए-इस्लामी पर लगी पाबंदी हटाई गई थी. जमात-ए-इस्लामी पर शेख हसीना सरकार ने 2013 में पाबंदी लगाई थी. ऐसे में पाबंदी हटने के बाद जमात-ए-इस्लामी के नेताओं से चीनी राजदूत ने मुलाक़ात की थी. जिसके बाद चीनी राजदूत याओ वेन ने कहा भी था कि ”चीन बांग्लादेश के साथ अच्छे रिश्ते बनाना चाहता है.
यहां गौर करने वाली बात ये है कि शेख हसीना सरकार में बांग्लादेश का झुकाव चीन से ज्याद भारत की तरफ था. शेख हसीना ने कहा भी था कि तीस्ता परियोजना में भारत और चीन दोनों की दिलचस्पी थी लेकिन वो चाहती हैं कि इस परियोजना को भारत पूरा करे. अब चीन बांग्लादेश से दोस्ती बढ़ा रहा है इसका मतलब भी समझा जा सकता है.
(टीवी9 ब्यूरो रिपोर्ट)
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