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माइग्रेन और साइटिका का आयुर्वेद में क्या है इलाज, डॉक्टर ने बताया

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May 7, 2025    150813 views     Online Now 382
माइग्रेन और साइटिका का आयुर्वेद में क्या है इलाज, डॉक्टर ने बताया

माइग्रेन से राहत पाने के आयुर्वेदिक तरीकेImage Credit source: Pexels

माइग्रेन और साइटिका दोनों ही ऐसी बीमारी हैं जिनसे मरीज बेहद परेशान रहता है. माइग्रेन में सिर के एक ओर धड़कता हुआ तेज दर्द होता है और यह 4 घंटे से 72 घंटे तक लगातार हो सकता है. वहीं साइटिका में कूल्हे से लेकर एड़ी तक दर्द होता है. यह दर्द लगातार होता है. दर्द तेज होने पर मरीज के लिए असहनीय हो जाता है. आयुर्वेद में कई ऐसे नुस्खे हैं जो इन दोनों बीमारियों को बहुत हद तक न केवल रोक सकते हैं बल्कि खत्म भी कर सकते हैं.

माइग्रेन सिर की एक ओर होने वाला भयंकर दर्द है. यह दर्द होने पर मरीज कुछ भी करने की स्थिति में नहीं रहता. साइटिका में मरीज को लगातार दर्द होता है. कूल्हे से एड़ी तक टांग के पिछले हिस्से में तेज दर्द होता है. कई बार यह दर्द असहनीय हो जाता है और मरीज को उठने-बैठने चलने-फिरने में भी परेशानी होती है. पेन किलर के जरिए इस दर्द में भी आराम मिलता है. साइटिका के लिए डॉक्टर फिजियोथेरेपी करवाने की सलाह देते हैं. हालांकि मरीज का वजन अधिक होने पर इसका भी प्रभाव नहीं होता.

आयुर्वेद में इलाज

क्षेत्रीय आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी डॉ. अशोक राना बताते हैं कि माइग्रेन के कई कारण होते हैं. उन कारणों की पहचान करके आयुर्वेदिक डॉक्टर इलाज करते हैं. इलाज में वातज, पित्तजा और कफज के जरिए उपचार किया जाता है. साइटिका के दर्द में आराम के लिए अजवाइन, हरसिंगार, केसर, सेंधा नमक, हल्दी और मेथी बेहद कारगर होती है. सेंधा नमक को गरम पानी में डालकर सिकाई करने से दर्द में राहत मिलती है. अजवाइन औऱ हल्दी में एंटी इंफ्लेमेंट्री गुण होते हैं. यह दर्द और सूजन को कम करती है.हरसिंगार को केसर के साथ लिया जाता है. मेथी को सुबह खाली पेट लिया जाता है.

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क्या करें

यदि आप माइग्रेन या साइटिका के दर्द से परेशान हैं और लगातार इलाज से भी आराम नहीं मिल रहा है तो आयुर्वेद के नुस्खों को अपना सकते हैं. हालांकि यदि आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लेकर इन नुस्खों को अपनाएं तो ज्यादा लाभकारी साबित हो सकते हैं. आयुर्वेद के अनुसार शरीर में वात, पित्त और कफ की स्थिति खराब होने पर ही कोई बीमारी होती है. जब इन तीनों पदार्थों को नियंत्रित कर लिया जाता है तो बीमारी दूर होना शुरु हो जाती है. वात, पित्त और कफ को अनुभवीप्रैक्टिशनर की देखरेख में ही नियंत्रित किया जा सकता है.

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