केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) के जरिए अपराधियों को पकड़ने के लिए नई e-Zero FIR पहल की शुरू की है. इसे दिल्ली के लिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लॉन्च किया गया है. नया सिस्टम NCRP या 1930 पर दर्ज साइबर शिकायतों को खुद ही FIR में बदल देगा. नया सिस्टम जांच में तेजी लाएगा, जिससे साइबर अपराधियों पर सख्ती हो सकेगी, और जल्द ही इसका विस्तार पूरे देश में किया जाएगा.
अमित शाह ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि दिल्ली के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया, यह नया सिस्टम, एनसीआरपी या हेल्पलाइन नंबर 1930 पर दर्ज साइबर वित्तीय अपराधों को स्वतः एफआईआर में परिवर्तित करेगा. शुरू में यह 10 लाख रुपए से ऊपर की सीमा के लिए होगा.
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार साइबर-सुरक्षित भारत बनाने के लिए साइबर सुरक्षा ढांचे को मजबूत कर रही है. गृह मंत्रालय के भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) ने किसी भी अपराधी को अभूतपूर्व गति से पकड़ने के लिए नई ई-जीरो एफआईआर पहल शुरू की है.
क्या-क्या होगा फायदा?
Zero FIR का मतलब है कि कोई भी व्यक्ति देश के किसी भी स्थान से किसी भी थाने में शिकायत दर्ज करवा सकता है, शुरुआत में यह 10 लाख रुपए से ऊपर की धोखाधड़ी के लिए लागू होगा।शिकायतकर्ता 3 दिनों के भीतर साइबर अपराध पुलिस स्टेशन में जाकर जीरो FIR को नियमित FIR में परिवर्तित कर सकते हैं.
कैसे करेगा पूरा सिस्टम काम?
यह नया सिस्टम तीन मुख्य संस्थानों भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C), दिल्ली पुलिस की e-FIR सिस्टम, और राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) का CCTNS नेटवर्क की संयुक्त पहल है. इसके तहत शिकायत आने पर यह दिल्ली के e-Crime पुलिस स्टेशन को खुद भेज दी जाएगी और फिर उसे स्थानीय साइबर थाने को ट्रांसफर किया जाएगा. यह पूरी प्रक्रिया भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bhartiya Nagrik Suraksha Sanhita – BNSS) की धारा 173 (1) और 1(ii) के तहत अमल में लाई गई है.
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