अखिलेश यादव, माता प्रसाद पांडेय
अखिलेश यादव ने एक ब्राह्मण चेहरे को समाजवादी पार्टी के विधायक दल का नेता बना कर सबको चौंका दिया है. माता प्रसाद पांडेय पार्टी के पुराने नेता हैं. वे यूपी विधानसभा के अध्यक्ष रहे. तब अखिलेश यादव मुख्यमंत्री हुआ करते थे. पांडे को मुलायम सिंह यादव का करीबी नेता माना जाता था. वे उनकी सरकार में मंत्री रहे. रविवार को लखनऊ में पार्टी ऑफिस में विधायकों की बैठक हुई. एजेंडा अखिलेश यादव की जगह नया नेता चुनने का था. लेकिन बैठक में फैसला अखिलेश यादव पर छोड़ दिया गया.
समादवादी पार्टी के अंदर और बाहर किसी दलित या पिछड़े विपक्ष का नया नेता बनाए जाने की चर्चा थी. कहा गया कि PDA की बदौलत पार्टी ने लोकसभा में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है. तो इस सोशल इंजीनियरिंग को आगे भी जारी रखा जाए. अखिलेश के PDA का मतलब पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक माना जाता है. इसी सामाजिक समीकरण के कारण पार्टी ने लोकसभा चुनाव में 37 सीटें जीत ली.
विपक्ष के नए नेता के तौर पर चार नाम रेस में थे. इंद्रजीत सरोज, तूफानी सरोज, राम अचल राजभर और शिवपाल यादव. चाचा होने के कारण शिवपाल यादव सबसे पहले रेस से बाहर हो गए. अखिलेश यादव ने उन्हें बुला कर कह दिया जब सरकार बनेगी आप मंत्री रहेंगे.
राम अचल राजभर और इंद्रजीत सरोज दोनों बीएसपी से आए हैं. किसी जमाने में मायावती के करीबी रहे. तय हुआ कि पार्टी के समर्पित चेहरे को ही विधायक दल का नेता बनाया जाए. इस आधार पर दोनों के नाम कट गए. अब बचे तूफानी सरोज. तीन बार के सासंद रहे तूफानी सरोज की बेटी प्रिया इस बार एमपी बन गई है. परिवारवाद के नाम पर तूफानी भी बाहर हो गए.
अचानक से दोपहर में अखिलेश यादव ने माता प्रसाद पांडेय को पार्टी ऑफिस बुला लिया. वे कल देर रात भी अखिलेश से उनके घर पर मिल चुके थे. पार्टी के सीनियर लीडर पांडे अभी सिद्धार्थनगर के इटवा से विधायक हैं. वे लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे. पर पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया. वे आज सवेरे भी विधायकों की बैठक में मौजूद थे. लेकिन तब उन्हें भी नहीं पता था कि उन्हें ये जिम्मेदारी दी जाएगी. दोपहर बाद उनके पास अखिलेश यादव के सहयोगी आशीष यादव का फोन आया. उन्हें अखिलेश यादव से तुरंत मिलने को कहा गया. जब वे मिलने गए तब अखिलेश ने उन्हें फैसले की जानकारी देते हुए बधाई दी.
अखिलेश यादव का PDA फॉर्मूला हिट रहा. अब उनकी नजर विधानसभा की 10 सीटों के उपचुनाव पर है. वे परंपरागत MY मतलब मुस्लिम यादव के समीकरण का विस्तार कर चुके हैं. उनकी पार्टी पर मुसलमान और यादव की तरफदारी करने के आरोप लगते रहे. लोकसभा चुनाव में उन्होंने दलित और पिछड़ों को साथ कर लिया. अब उनकी नजर ब्राह्मण वोटरों पर हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे बीजेपी से नाराज चल रहे हैं. उन्हें अपना बनाने के लिए अखिलेश ने माता प्रसाद पांडे वाला दांव चल दिया है. अगर अखिलेश बीजेपी के ब्राह्मण वोट बैंक में सेंध लगाने में कामयाब रहे तो फिर बीजेपी का डबल नुकसान है. कहा जाता है कि यूपी में करीब 9 प्रतिशत ब्राह्मण वोटर हैं.
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