रायपुर। डॉक्टर मिश्रा हॉस्पिटल नयापारा, रायपुर में अब एआई आधारित ब्रावा प्लस तकनीक की शुरुआत की गई है। मध्य भारत में यहां इस तकनीक का पहला उपयोग माना जा रहा है। इस तकनीक से बिना तारों के टेढ़े-मेढ़े दांतों का सफल इलाज डॉ. हमजा दरगाहवाला, एमडीएस आर्थोंडोंटिक्स और डॉ. अबीर मिश्रा एमडीएस माइक्रो एंडोडोंटिक्स की टीम ने किया है।


दांतों में तार बंधवाकर कई महीनों या सालों तक घूमते हुए लोग अक्सर देखे जाते हैं। यह उपचार दंत पंक्तियों को सीधा करने के लिए ही किया जाता है पर इसकी तकलीफें बहुत अधिक होती है। ब्रावा प्लस में यह उपचार दांतों के पीछे से किया जाता है, जो सामने से दिखाई नहीं पड़ता। इस तकनीक में दांतों की ट्रे बदलनी नहीं पड़ती, बार-बार हॉस्पिटल के चक्कर नहीं लगाने पड़ते। सौ प्रतिशत इनविजिबल अलाइनमेंट के कारण यह तकनीक दुनिया में तेजी से लोकप्रिय हुई है। मध्य भारत, विशेषकर छत्तीसगढ़ में यह सुविधा उपलब्ध ही नहीं थी, जिसे अब डॉक्टर मिश्रा हॉस्पिटल नयापारा, रायपुर में डॉक्टर अबीर मिश्रा और डॉक्टर हमजा दरगाहवाला ने शुरू किया है।
इस आधुनिक तकनीक के उपचार से रायपुर के मरीजों को बहुत लाभ और संतुष्टि मिली है। दांतों में ओवरलेप गैप, कवर्ड अलाइनमेंट, चबाने या बोलने में दिक्कत, मसूड़ों की बीमारियों से राहत का मार्ग प्रशस्त हुआ है। डॉक्टरों के मुताबिक, यह तकनीक बहुत उपयोगी और सुरक्षित है। इसके पहले इनविजिबल आर्थोंडोंटिक्स में इनवेसलाइन को सबसे अच्छा माना जाता था लेकिन उसमें बार-बार दांत में लगाने वाली ट्रे बदलनी पड़ती थी। मरीज़ के ट्रे के इस्तेमाल के अधिकतम वक़्त के आधार पर उपचार की सफलता सुनिश्चित होती थी, किसी भी असावधानी से उपचार असफल होने का खतरा मंडराता रहता था, लेकिन ब्रावा प्लस के फिक्स एप्लिकेशन होने के कारण मरीज को ये दिक्कत नहीं होती।
ट्रे एप्लिकेशन और उपचार प्लानिंग जो पूर्व में सिर्फ थ्री डी डेटा से किया जाता था, जिसमें सॉफ्ट टिशू और हार्ड टिशू में मात्र बाहर से दिखने वाले स्ट्रक्चर की जानकारी मिलती थी, लेकिन ब्रावा प्लस में थ्री डी एक्सरे के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग भी किया जाता है. यह उपचार की एक्युरेसी को कई गुना बढ़ा देता है। इस तरह ब्रावा प्लस तकनीक में एआई के उपयोग के कारण स्माइल डिजाइनिंग में परफेक्शन बढ़ जाता है और मरीज को सुविधा व एक्युरेसी दोनों में मदद मिलती है।