
अहमदाबाद विमान हादसा.
परिवहन, पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय से संबंधित संसद की स्थायी समिति की बुधवार को बैठक हुई. इसमें अहमदाबाद विमान हादसे पर विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) ने समिति को बताया कि हादसे पर प्रारंभिक रिपोर्ट कुछ दिनों में सार्वजनिक कर देगा. AAIB के महानिदेशक जी. वी. जी. युगांधर ने बताया कि बोइंग ड्रीमलाइनर से जुड़ी ये हाल के दशकों में ये सबसे भीषण विमानन दुर्घटनाओं में से एक थी. इसकी रिपोर्ट दुर्घटना के 30 दिनों के भीतर अपलोड कर दी जाएगी. सूत्रों के मुताबिक, 2 दिन में रिपोर्ट सार्वजनिक की जा सकती है.
12 जुलाई को अहमदाबाद विमान हादसे का एक महीना पूरा हो जाएगा. जानकारी के मुताबिक, एएआईबी ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय को कोई प्रारंभिक रिपोर्ट नहीं सौंपी है. आईसीएओ (ICAO) के नियमों के मुताबिक, एएआईबी दुर्घटना के 30 दिनों के भीतर प्रारंभिक रिपोर्ट मंत्रालय को सौंप सकता है. अधिकारियों ने समिति को बताया कि यह पहली बार है जब भारत में किसी दुर्घटनाग्रस्त विमान के ब्लैक बॉक्स की जांच की जा रही है. ब्लैक बॉक्स और वॉयस रिकॉर्डर सुरक्षित हैं. डेटा की जांच की जा रही है.
सुरक्षा और रेगुलेटरी ढांचे का विकास नहीं हो सका
समिति में सांसदों ने कहा जिस तरह से हवाई सेवाओं का विकास हुआ है, उसकी तुलना में देश में सुरक्षा और रेगुलेटरी ढांचे का विकास नहीं हो सका है. तर्क ये भी दिया गया कि एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) एक रडार पर लगभग 30 उड़ानों की निगरानी करता है, जबकि कई जगहों पर ये मानक आठ से 10 उड़ानों का होता है. सदस्यों ने ये भी कहा कि डीजीसीए में स्वीकृत पदों के आधे से ज़्यादा पद खाली हैं.
सदस्यो ने ये भी चिंता जताई कि जहां देश में हवाई सेवाओं में तेजी से विकास हुआ है, विमानों की संख्या वर्तमान लगभग 800 से बढ़कर चार वर्षों में 2,500 हो जाने की संभावना है. अधिक हवाई अड्डे बनने वाले हैं लेकिन रखरखाव और सुरक्षा जरूरतें उस हिसाब से नहीं बढ़ पाई हैं, जिस पर ध्यान देने की जरूरत है. सूत्रों ने बताया कि अहमदाबाद दुर्घटना के बाद घरेलू हवाई यातायात में आठ प्रतिशत से ज़्यादा की गिरावट आई. अंतर्राष्ट्रीय यातायात में ये गिरावट एक प्रतिशत से भी कम रही है.
एयरपोर्ट के पास अव्यवस्थित शहरीकरण का जिक्र
कुछ सदस्यों ने कई हवाई अड्डों के आसपास अव्यवस्थित तरीके से हो रहे शहरीकरण और विकास का भी जिक्र किया. बैठक में सदस्यों ने भारत में विमानन सुरक्षा की स्थिति को लेकर गंभीर चिंता जताई. सांसदों ने इस बात पर सवाल उठाए कि विमानन सुरक्षा को लेकर पहले की संसदीय समितियों की मुख्य सिफारिशों को अब तक लागू क्यों नहीं किया गया. DGCA के प्रतिनिधियों से इस पर स्पष्टीकरण देने को कहा गया.
सदस्यों ने बोइंग कंपनी के प्रतिनिधि के बैठक में मौजूद नहीं रहने पर सवाल उठाते हुए कहा कि सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं के मौजूदगी होनी चाहिए थी. कई सदस्यों ने विमानन सुरक्षा के लिए आवंटित बजट और उसके इस्तेमाल पर भी सवाल उठाते हुए अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग की. विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो की दोहरी भूमिका पर भी समिति में चर्चा हुई.
पहले की सिफारिशों की अनदेखी की गई है?
कई सदस्यों ने यह सवाल उठाया कि क्या यह संस्था एक साथ दोनों क्षेत्रों (विमानन और रेलवे) में प्रभावी निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित कर सकती है? सदस्यों ने इस पर स्वतंत्र और मजबूत निगरानी तंत्र स्थापित करने की जरूरत पर जोर दिया. सदस्यों ने DGCA की हवाई सुरक्षा को लेकर जीरो टॉलरेंस नीति पर सवाल उठाते हुए पूछा कि पहले की सिफारिशों की अनदेखी की गई है? बैठक में समिति के सदस्यों ने अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया विमान हादसे के संबंध में सवाल पूछे.
सदस्यों ने पूछा कि विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) ने अब तक न तो कोई रिपोर्ट जारी की है और न ही कोई प्रेस वार्ता करके जानकारी दी है. ब्लैक बॉक्स की स्थिति को लेकर भी चिंताएँ जताई गई हैं. खासकर, उससे क्या डेटा मिला है. इसके अलावा सदस्यों ने सवाल पूछा कि सरकार देश में विमानन सुरक्षा को लेकर बढ़ते आशंका के हालात को दूर करने और उससे निपटने में क्यों पीछे रही और अब क्या कर रही है. सदस्यों ने यह भी पूछा है कि एयर इंडिया हादसे की जांच समिति का गठन किस आधार पर किया गया था. समिति के सदस्यों की विशेषज्ञता क्या है?
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