
हरियाणा में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने हैं.
जवानों और किसानों के दबदबे वाले राज्य हरियाणा को भी इस बार मोदी 3.0 के पहले बजट से काफी उम्मीदें हैं. इन उम्मीदों की एक बड़ी वजह राज्य में इस साल होने वाले विधानसभा के चुनाव भी है. हरियाणा में अब से 3 महीने बाद 90 सीटों के लिए विधानसभा के चुनाव होंगे.
इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के वादों से इतर हरियाणा में किसानों के लिए एमएसपी की लीगल गारंटी तो जवानों के लिए अग्निवीर का मुद्दा बहुत बड़ा है. दोनों ही कौम को निर्मला सीतारमण के बजट से राहत की उम्मीद है.
अग्निवीर ने लोकसभा चुनाव में किया था खेल
हरियाणा में युवाओं के लिए अग्निवीर बड़ा मुद्दा है. इसकी वजह सेना की नौकरी है. यहां के युवा बड़ी संख्या में सेना में जाते रहे हैं. अग्निवीर स्कीम लागू होने से पहले जब सेना में भर्ती निकली थी, तब साल 2019-20 में यहां के 5,097 लोगों का चयन हुआ था. 2017-18 में यह संख्या 3,634 की थी.
हरियाणा में सेना की नौकरी बेरोजगारी कम करने का एक बड़ा माध्यम था. वर्तमान में राज्य में 15 से 29 वर्ष के आयु वर्ग में बेरोजगारी दर 17.5 प्रतिशत है. यह आंकड़ा एनएसएसओ की है.
हालिया लोकसभा के चुनाव में भी अग्निवीर मुद्दे की गूंज सुनाई दी. कांग्रेस ने पूरे हरियाणा के अपने कैंपेन में इस मुद्दे को भुनाया. पार्टी ने वादा किया था कि सरकार में आने पर वो इस स्कीम को रद्द कर देगी. इस मुद्दे को उठाने का कांग्रेस को फायदा भी हुआ. पार्टी के वोट और सीटों में जबरदस्त इजाफा देखने को मिली.
सीएसडीएस के मुताबिक हरियाणा में अग्निवीर स्कीम ही सबसे ज्यादा प्रभावी रही. हरियाणा में इसी साल विधानसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में यहां के युवाओं को उम्मीद है कि इस बजट में सरकार अग्निवीर स्कीम को लेकर भी कोई बड़ा वादा करेगी.
स्कीम को लेकर एक बड़ी चर्चा यह है कि इसके कार्यकाल में 4 साल की बढ़ोतरी की जा सकती है. अभी तक अग्निवीर की नौकरी 4 साल की ही है. बजट से पहले रक्षा मंत्रालय ने आरपीएफ और सीएपीएफ की नौकरी में पूर्व अग्निवीरों को आरक्षण देने की घोषणा की है.
चुनाव से पहले आंदोलन की तैयारी कर रहे किसान
हरियाणा किसान बाहुल्य राज्य है और यहां पर 89 लाख एकड़ से अधिक कृषि भूमि और 16 लाख से ज्यादा किसान हैं. अधिकांश किसान धान और गेंहू की ही खेती करते हैं और यहां पर मिनिमम सपोर्ट प्राइस (एमसएपी) की लीगल गारंटी एक बड़ा मुद्दा रहा है.
हरियाणा समेत देश में लंबे वक्त से एमएसपी की लीगल गारंटी की मांग की जा रही है. किसानों का कहना है कि एमएसपी की अगर लीगल गारंटी हो जाती है, तो इससे खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित होने के साथ-साथ बाजारी मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहेगी.
एमएसपी के लीगल गारंटी देने से किसानों को बिचौलियों के शोषण से भी बचाया जा सकेगा. हालांकि, सरकार के लिए यह करना आसान नहीं है. लीगल गारंटी देने का मतबल है कि सरकार को तय रेट पर अनाज खरीदनी ही खरीदनी होगी.
भारत सरकार का कहना है कि धान और गेहूं जैसे फसलों पर लीगल गारंटी नहीं दी जा सकती है, क्योंकि इसका उत्पादन देश में काफी ज्यादा है.
एमएसपी को लेकर हरियाणा में संयुक्त किसान मोर्चा आंदोलन भी करने की तैयारी में है. यह आंदोलन अगस्त में प्रस्तावित है. ऐसे में कहा जा रहा है कि बजट में केंद्र हरियाणा के किसानों को लेकर कोई बड़ी घोषणा कर सकती है.
केंद्र से हरियाणा सरकार ने की है ये डिमांड
बजट पूर्व राज्य के वित्त मंत्रियों की बैठक में हरियाणा सरकार ने वित्त मंत्री निर्मला से एनसीआर इलाकों के लिए विशेष पैकेज की मांग की. हरियाणा सरकार का कहना है कि एनसीआर से लगे इलाकों के विकास के लिए केंद्र को विशेष पैकेज की व्यवस्था करनी चाहिए. हरियाणा 2022 से ही यह पैकेज मांग रही है. इस पैकेज से एनसीआर से लगे हरियाणा के जिलों को सीधे तौर पर फायदा होगा.
हरियाणा में 90 सीटें, बीजेपी का सीधा कांग्रेस से मुकाबला
हरियाणा में विधानसभा की 90 सीटें हैं, जहां पर सरकार बनाने के लिए किसी भी गठबंधन या पार्टी को 46 विधायकों की जरूरत होती है. राज्य में पिछले 10 साल से भारतीय जनता पार्टी की सरकार है.
यहां पर बीजेपी का सीधा मुकाबला कांग्रेस पार्टी से है. हालिया लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 42 तो बीजेपी को 44 सीटों पर बढ़त मिली थी. लोकसभा की तुलना में विधानसभा चुनाव के वोट पैटर्न काफी अलग होते हैं.
अग्निवीर से MSP की गारंटी तक.. चुनाव से पहले निर्मला के बजट में हरियाणा के लिए क्या-क्या है?
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