भारत में लैपटॉप बनाने के लिए शुरू होगी नई असेंबली लाइन.
भारत में आईटी हार्डवेयर मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में एक नई दिशा देखने को मिल रही है. यह चीन के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकती है. भारत ने ताइवान की कंपनी MSI के साथ मिलकर अपने इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का प्लान बनाया है. चेन्नई में Syrma SGS टेक्नोलॉजी लिमिटेड मॉडर्न लैपटॉप के लिए नई असेंबली लाइन बना रही है. यूनियन मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने इस नई असेंबली की आधारशिला रखी. भारत में बढ़ता इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्शन चीन के वर्चस्व को चुनौती दे सकता है, जो आईटी हार्डवेयर का सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरर है.
ताइवानी कंपनी के साथ पार्टनरशिप
सिरमा एसजीएस ने ताइवान की कंपनी MSI के साथ पार्टनरशिप की है, जो AI-पावर्ड पर्सनल कंप्यूटर की दिग्गज कंपनी है. नई असेंबली लाइन में MSI के लैपटॉप भी बनाए जाएंगे. यह कदम भारत में लैपटॉप और अन्य आईटी हार्डवेयर के प्रोडक्शन को बढ़ावा देगा और भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स के ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब के तौर पर स्थापित करने में मदद मिलेगी.
इस पहल से भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर और भी मजबूत होगा, और यह मेक इन इंडिया मिशन को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएगा.
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भारत का नया कदम
भारत सरकार की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव ‘PLI 2.0’ स्कीम के महज 18 महीनों के अदर नई यूनिट शुरू हो गई है, और तमिलनाडु में चल रही है. इसके तहत ‘मेड इन इंडिया’ लैपटॉप बनने भी शुरू हो गए हैं. इन 18 महीनों में 3,900 नौकरियों पैदा हुई हैं, और 10,000 करोड़ रुपये का प्रोडक्शन हुआ.
तमिलनाडु में सिरमा एसजीएस की नई असेंबली लाइन हर साल हजारों लैपटॉप का प्रोडक्शन करेगी. प्रधानमंत्री मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ मिशन को रफ्तार देते हुए यूनियन मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने इस प्रोजक्ट का उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि इससे भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और देश की आईडी हार्डवेयर इंडस्ट्री को नई ऊंचाइयों तक पहुंचने में मदद मिलेगी.
चीन के लिए चुनौती
भारत और ताइवान के इस गठजोड़ से चीन को एक नया खतरा महसूस हो सकता है. चीन वर्तमान में आईटी हार्डवेयर और लैपटॉप के सबसे बड़े मैन्युफैक्चचरिंग देशों में से एक है. लेकिन अब भारत की यह नई पहल, खासकर ताइवान के साथ साझेदारी के बाद चीन के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती है.
भारत के बाजार में लैपटॉप के प्रोडक्शन और सप्लाई की बढ़ती कोशिशो से चीन की मैन्युफैक्चरिंग ताकत को चुनौती मिल सकती है. भारत न केवल घरेलू बाजार में लैपटॉप की बढ़ती मांग को पूरा करेगा, बल्कि ग्लोबल मार्केट में भी अपनी पहचान बनाने की दिशा में आगे बढ़ेगा. इससे चीनी कंपनियों को टफ कंपटीशन का सामना करना पड़ सकता है.
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