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पति की करेंट से मौत… पत्नी ने बिजली कंपनी के खिलाफ किया केस, 3 साल चली कानूनी लड़ाई, अब देना होगा भारी मुआवजा – Hindi News | Consumer Forum imposed a fine of Rs 19 lakh on North Bihar Power Distribution Limited stwam

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Sep 1, 2024    150871 views     Online Now 196
पति की करेंट से मौत... पत्नी ने बिजली कंपनी के खिलाफ किया केस, 3 साल चली कानूनी लड़ाई, अब देना होगा भारी मुआवजा

बिजली विभाग को भरना पड़ा जुर्माना

बिहार के मोतिहारी में पति की मौत के जिम्मेदार लोगों से पत्नी की जीत की खबर सामने आई है. कहते हैं न के हाथ बहुत ही लंबे होते हैं. मोतिहारी जिला उपभोक्ता आयोग ने तीन साल की लंबी लड़ाई लड़ने के बाद उपभोक्ता को उसका वाजिब हक देने का फैसला सुनाया है. ये फैसला नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड के खिलाफ है. दरअसल. एक आटा-चक्की चलाने वाले व्यक्ति की मौत बिजली के तार में सटकर हो गई थी, जिसके बाद उसकी पत्नी ने बिजली कंपनी के खिलाफ उपभोक्ता फोरम में केस किया था. ये लड़ाई लगभग 3 साल तक चली थी, जिसमें आयोग ने नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड की सर्विस में कमी पाते हुए 19 लाख 47000 का जुर्माना लगाया है.

साथ ही दो महीना के अंदर मृतक की पत्नी को मुआवजे के रूप में दो लाख सैंतालीस हजार सात सौ पचास रुपए का भुगतान और मृतक के आश्रित सात लड़के व लड़कियों के नाम पर 16,99,250 की अवधि के अंदर जमा करने का निर्देश दिया है. आयोग ने हसुआहा गांव के उपेंद्र के केस को सही पाते हुए यह फैसला सुनाया है.

बिजली कंपनी की लापरवाही से हुई मौत

पत्नी लवंगी देवी के पति उपेंद्र मुखिया बिजली से चलने वाली आटा-चक्की मशीन लगाए हुए थे, जिसे खुद चला कर वह अपने परिवार का भरण पोषण करते थे. बिजली आपूर्ति कट जाने पर वह डीजल से आटा चक्की चलाकर गेहूं पीसते थे. 8 सितंबर 2020 को 3:00 बजे शाम में बिजली से चलने वाली आटा चक्की का कनेक्शन का तार पोल पर आग लगने से गिर गया और जमीन पर सट गया था. गिरे हुए तार में समय करंट आ रहा था. इसकी सूचना उपेंद्र ने बिजली कंपनी के कनीय अभियंता को दी. बिजली कंपनी के कर्मचारी की तरफ से इसे ठीक करने का आश्वासन भी दिया लेकिन तार को ठीक नहीं कराया गया.

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इसके बाद 16 सितंबर को उपेंद्र मुखिया डीजल इंजन से आटा पीसकर रात के 10:00 बजे अपने आटा चक्की से घर के लिए निकले तो उनका पैर उसे गिरे हुए बिजली के टूटे तार में फंस गया, जिसमें प्रवाहित करंट से उनकी मौत हो गई. अस्पताल ले जाने पर डॉक्टरों ने उपेंद्र मुखिया को मृत घोषित कर दिया था. इसके बाद उनकी पत्नी ने आयोग के समक्ष एक केस फाइल किया, जिसमें फैसला देते हुए विपक्षी बिजली कंपनी के कनीय अभियंता को भी कोर्ट में बुलाया.

उन्होंने बिजली कंपनी की तरफ से भी अपनी दलील दी, लेकिन दलील को सुनने के बाद आयोग के सदस्यों ने बिजली कंपनी के दावों को सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि ये गलती बिजली कंपनी की है, जिसने समय रहते अगर बिजली के तार को ठीक कर दिया होता तो शायद उपेंद्र मुखिया की जान नहीं जाती. जिला का यह पहला ऐसा केस हैं जिसमें आयोग ने इतनी बड़ी राशि को भुगतान करने का निर्देश बिजली कंपनी को दिया है. इसके साथ ही आयोग के ऊपर अब लोगों का विश्वास बढ़ता जा रहा है.

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